चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब इसरो गगायन मिशन पर जुट गया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन का पहला उड़ान परीक्षण करने जा रहा है. यह परीक्षण शनिवार सुबह 8 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा. गगनयान प्रोजेक्ट के जरिए इंसानों को अंतरिक्ष अभियान में भेजने की तैयारी की जा रही है. इसरो इस मिशन के जरिए दुनिया को अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है.
मिशन से सीधे जुड़े हैं पीएम मोदी
आपको बता दें कि इस मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में लाल किले से अपने गणतंत्र दिवस के भाषण के दौरान की थी. गगनयान मिशन को 2022 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोविड महामारी और मिशन की जटिलता के कारण इसमें देरी हुई. इस मिशन को लेकर पीएम मोदी इसरो से सीधे संपर्क में हैं. पीएम खुद हर जानकारी ले रहे हैं. वहीं, ये मिशन तीन दिनों का होगा. इसमें तीन सदस्य शामिल होंगे, जो आसमान से करीब 400 किमी ऊपर जाएंगे. इसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से समुद्र के पानी में उतारा जाएगा.
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यह मिशन क्यों है महत्वपूर्ण?
अब सवाल यह है कि यह मिशन भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? तो चलिए हम आपको ये बताते हैं. देश अब अंतरिक्ष की अंतिम सीमाओं को जीतना चाहता हैं, ब्रह्मांड का पता लगाना चाहता है, चंद्रमा और अन्य ग्रहों पर नए संसाधन ढूंढना चाहता है. यदि यह मिशन सफल रहा, तो सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत मानवयुक्त अंतरिक्ष उड़ानें संचालित करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
रोजगार के खुलेंगे नए अवसर
इस मिशन से भारत के अंतरिक्ष उद्योग का काफी विस्तार होगा, जिससे इसरो दुनिया के अन्य देशों के लिए एक बड़ा मददगार बन जाएगा. इससे रोजगार के कई अवसर खुलेंगे. गगनयान मिशन से 15,000 नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे रोजगार पैदा होने और मानव संसाधनों को उन्नत प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने की उम्मीद है. इस कार्यक्रम से मानव संसाधन विकास और औद्योगिक क्षमताओं में वृद्धि के संदर्भ में देश के भीतर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.
HIGHLIGHTS
- 21 अक्टूबर को गगनयान मिशन का परीक्षण
- पीएम मोदी ने ये घोषणा 2018 में की थी
- इसमें तीन सदस्य शामिल होंगे
Source : News Nation Bureau