चीन और रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से क्या पाकिस्तान बना लेगा ब्रह्मोस जैसी मिसाइल? 

रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से  चीन ने ब्लैक हॉक जैसा हॉर्बिन जेड-20 बनाया. कई हथियारों को बनाने के लिए भी चीन ने इसी तकनीक का सहारा लिया. 

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Pradeep Singh
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ब्रह्मोस मिसाइल( Photo Credit : News Nation)

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पाकिस्तान के शहर चन्नू मियां पर 9 मार्च को 124 किलोमीटर अंदर एक मिसाइल गिरी, जिस पर भारत ने कहा था कि वह गलती से फायर हो गई और पड़ोसी देश में जा गिरी. कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि यह भारत की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस थी. अब कहा जा रहा है कि कहीं पाकिस्तान रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से ब्रह्मोस जैसी मिसाइल न बना ले. चीन के विशेषज्ञों को तो रिवर्स इंजीनियरिंग में महारत हासिल है. ऐसे में भारत के लिए भी खतरा बढ़ गया है. 

रिवर्स इंजीनियरिंग यानी वो तरीका, जिससे किसी मशीन या मिसाइल के हिस्सों को अलग करके उसके ढांचे को समझकर वैसा ही प्रोडक्ट बनाया जाता है. रिवर्स यानी पीछे जाना. इसका मतलब यह समझना कि कोई मशीन या हथियार कैसे बना था. एक्सपर्ट्स इसका इस्तेमाल किसी मशीन के बारे में अपनी जानकारी बढ़ाने में करते हैं. अब रिवर्स इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किसी टेक्नोलॉजी या उसकी नकल करने में इस्तेमाल होता है. 

कहा जाता है कि रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से पाकिस्तान ने क्रूज मिसाइल बाबर का निर्माण किया था. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने यह दावा किया था. हुआ ये था कि आतंकवादी संगठन अलकायदा ने अमेरिका के दूतावासों पर तंजानिया और केन्या में अटैक किया था. जवाब देने के लिए अमेरिका ने आतंकियों के ठिकानों पर क्रूज मिसाइल टॉम हॉक दागीं. लेकिन गलती से मिसाइल पाक के बलूचिस्तान में गिर गई. इसके बाद पाकिस्तान ने रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से बाबर मिसाइल बनाई थी. 

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अगस्त 2005 में पाकिस्तान ने बाबर का सफल परीक्षण किया था. उस वक्त पाक समेत कुछ ही देशों के पास क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी थी. इसके अलावा 1958 में ताइवान की ओर से अमेरिकी मिसाइल साइड वाइंडर दागी गई थी. यह मिसाइल फटी नहीं. इसको चीन ने सोवियत संघ को दे दिया. उसने रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से के-13 मिसाइल बना ली. 

साल 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अमेरिका ने रेड की थी. इस दौरान उनका सिकोरस्की यूएच-60 ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया. बताया जाता है कि इसके बाद पाक ने चीन को इस हेलिकॉप्टर का एक्सेस दे दिया. 

रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से  चीन ने ब्लैक हॉक जैसा हॉर्बिन जेड-20 बनाया. कई हथियारों को बनाने के लिए भी चीन ने इसी तकनीक का सहारा लिया.  साल 2009 में नॉर्थ कोरिया में एक पॉप वीडियो ने तहलका मचा दिया था. इस वीडियो में एक मशीन को हीरो की तरह पेश किया गया. एक्सपर्ट बताते हैं कि उत्तर कोरिया इसी मशीन की वजह से इतना शक्तिशाली बन गया. दुनिया भर में इस मशीन का उपयोग किया जाता है. इसका नाम है कंप्यूटर न्यूमेरिकल कंट्रोल यानी CNC.

इस मशीन की खासियत है कि यह ऑटोमोबाइल से लेकर मोबाइल फोन के पार्ट्स की डिटेल को हूबहू कॉपी कर सकती है. जबकि कपड़ों के डिजाइन और फर्नीचर के डिजाइन की भी नकल कर सकती है. 

क्या ब्रह्मोस की नकल कर सकता है पाक

फिलहाल सुपरसॉनिक या हाइसरसॉनिक टेक्नोलॉजी पाकिस्तान के पास नहीं है. ऐसे में सवाल  उठ रहे हैं कि क्या पाक इसे हासिल कर सकता है. डिफेंस एक्सपर्ट मानते हैं कि रिवर्स इंजीनियरिंग के लिए टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्टक्चर बेहद जरूरी है. पाक के पास ये दोनों नहीं हैं. ऐसे में रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से ब्रह्मोस जैसी मिसाइल बना पाना उसके लिए बहुत ज्यादा मुश्किल है. 

वैसे भी पाक में जो मिसाइल गिरी, वह काफी हद तक नष्ट हो गई होगी, ऐसे में रिवर्स इंजीनियरिंग काफी मुश्किल है. हालांकि पाक चीन की मदद से ऐसा कर सकता है. ब्रह्मोस दुनिया की सबसे घातक मिसाइलों में से एक है. 

ब्रह्मोस की क्या हैं खासियतें

ब्रह्मोस को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है. यह सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है. भारत हाइपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 बनाने पर काम कर रहा है. ब्रह्मोस 400 किमी तक निशाने को भेद सकती है. ब्रह्मोस-2 2024 तक तैयार हो सकती है. इसकी क्षमता एक हजार किलोमीटर तक हो सकती है. 

 

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