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अब मोबाइल की रिपेयरिंग करना होगा आसान, सरकार उठाने जा रही ये बड़ा कदम

कई बार लोग अपने मोबाइल फोन या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स को इसलिए ठीक करना पसंद नहीं करते क्योंकि उनकी रिपेयरिंग का खर्चा बहुत अधिक आता है. या उन्हें रिपेयरिंग करने के लिए इधर से उधर भागना पड़ता है, लेकिन सरकार अब इसे आसान बनाने जा रही है.

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Suhel Khan
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Mobile Repairing
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आज मोबाइल फोन हर किसी की जरूरत बन गया है. ऐसे में कई बार मोबाइल फोन में कुछ गड़बड़ी आने पर उसे रिपेयरिंग करने की जरूरत पड़ती है, लेकिन कई बार रिपेयरिंग के लिए हमें इधर से उधर भागना पड़ा है या फिर मोबाइल रिपेयरिंग की लागत अधिक होने की वजह से हम अपने मोबाइल को रिपेयर ही नहीं कराते और नया फोन ले लेते हैं. लेकिन अब केंद्र सरकार आपकी इस परेशानी को सॉल्व करने जा रही है.

मजबूत होगा मरम्मत योग्यता सूचकांक

दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के मरम्मत योग्यता सूचकांक को अधिक मजबूत करने पर जोर दे रही है और इसे यूरोपीय देशों की तर्ज पर विकसित करना चाहती. जिससे ग्राहकों के अधिक से अधिक फायदा मिल सके और ई-कचरे की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सके. इससे मोबाइल फोन ही नहीं बल्कि अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मरम्मत के लिए आपको परेशान होनी जरूरत नहीं पड़ेगी. साथ ही आप रेटिंग देखकर अपने इलेट्रोनिक गैजेट्स की रिपेयरिंग करने वाली एजेंसी के साथ ही गैजेट्स के पुर्जों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे.

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क्या है सरकार की योजना

उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे के मुताबिक, भारत का प्रस्ताविक मरम्मत सूचकांक अन्य देशों की पहल के समान होगा. वहीं फ्रांस का मरम्मत सूचकांक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों को पांच मानदंडों पर रेटिंग देता है, जबकि यूरोपीय संघ के पास इन पांच के अलावा भी अतिरिक्त मानदंड हैं, जिनके जरिए गैजेट्स से जुड़े तकनीकी दस्तावेजों की उपलब्धता, उन्हें खोलने में आसानी, स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता और मूल्य निर्धारण समेत मानदंडों पर उत्पादों का मूल्यांकन किया जाता है. हालांकि भारत में अभी तक इस तरह के नियम नहीं हैं. 

लंबी अवधि के लिए डिजाइन किए जाएंगे गैजेट्स

बता दें कि सरकार का लक्ष्य है कि वह मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मरम्मत और उनके दोबारा से इस्तेमाल करने की वर्तमान चुनौतियों को समाप्त कर दे. इसके लिए सरकार ऐसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का डिजायन कराना चाहती है जो लंबे समय तक चल सकें. जिससे उनके मरम्मत कराने के विकल्पों की कमी या उसकी मरम्मत के अधिक लागत के चलते लोग नए उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर न हों.

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में उपलब्ध ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मरम्मत करने लायक नहीं होते, ऐसे में हमें ऐसे उपकरओं को डिजायन करने की जरूरत है जिनकी मरम्मत की जा सके और उन्हें दोबारा इस्तेमाल किया जा सके. हालांकि उनका ये भी कहना है कि ये तभी मुमकिन है जब इसके लिए कानून बनाया जाए.

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मरम्मत का अधिकार पोर्टल कर रहा काम

बता दें कि उपभोक्ता कार्य विभाग पहले ही मरम्मत का अधिकार पोर्टल इंडिया लॉन्च कर चुका है. जिससे ग्राहकों की मरम्मत से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सके. इस पोर्टल के माध्यम से ग्राहक गैजेट्स की मरम्मत और उनके पार्ट्स से संबंधित तमाम जानकारियां हासिल कर सकते हैं. इस पोर्टल पर अब तक 63 से ज्यादा कंपनियों अपनी सेवाएं दे रही हैं. इनमें 23 कंपनियां ऐसी हैं जो मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं.

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