Mercury hides diamonds: हमारे सौरमंडल के सबसे छोटे ग्रह बुध को लेकर हुए एक शोध में बड़ी ही रोचक जानकारी सामने आई है. इसको लेकर चीन और बेल्जियम के शोधकर्ताओं ने हाल में बुध पर किए एक सिमुलेशन के बाद दावा किया है कि इस ग्रह पर 18 किलोमीटर चौड़ी हीरे की परत मिली है. यह परत ग्रह की सतह के नीचे हैं. इसका खुलासा नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में किया गया है. अब वैज्ञानिक इसका अध्ययन कर के बुध ग्रह के बनने और उसके मैग्नेटिक फील्ड की जानकारी हासिल कर रहें है.
ग्रह के रहस्यों का स्टडी से होगा खुलासा
इससे पहले 2011 में नासा के एक मैसेंजर अंतरिक्ष यान ने इसका अवलोकन किया था. इस मैसेंजर अंतरिक्ष यान ने ग्रह की सतह पर मौजूद गहरे रंगों को ग्रैफाइट के रूप में पहचाना था. उसके पहले से ही वैज्ञानिकों को पता चल गया था कि ग्रेफाइट की व्यापक उपस्थिति के कारण बुध की सतह असामान्य रूप से अंधेरी है. इससे वैज्ञानिकों को यह अनुमान लगाने में मदद मिली कि ग्रह कभी कार्बन-समृद्ध मैग्मा के महासागर से ढका हुआ था, जो अब ठंडा हो गया जिसके कारण यहां पर ग्रेफाइट क्रस्ट का निर्माण हुआ. अब इस ग्रह के रहस्यों का खुलासा इसके अंदर की परतों और बनावट की स्टडी से ही चल पाएगा.
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कैसे खुला हीरे का राज?
दरअसल, पिछले कई सालों से इस ग्रह पर वैज्ञानिक शोध कर रहें थे. इसकी जांच के लिए शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में बुध के अंदर दबाव और तापमान की स्थिति को एक बार फिर से बनाया था. जिसके बाद उनको पता चला कि बुध ग्रह का मैंटल जितना सोचा गया था उससे भी 50 किलोमीटर ज्यादा गहरा है. इससे कोर और मैंटल के बीच काफी ज्यादा प्रेशर क्रिएट होता है. यही कारण हो सकता है जिसकी वजह से इस ग्रह के अंदर मौजूद कार्बन हीरे में बदलते जा रहा है. तभी यहां हीरों की इतनी मोटी परत मिली है.
बुध पर मौजुद है चुंबकीय क्षेत्र
बता दें कि हीरे की उच्च तापीय चालकता कोर से मेंटल तक गर्मी के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान कर सकती है, जिससे बुध के चुंबकीय क्षेत्र की उत्पत्ति प्रभावित हो सकती है। इससे पता चलता है कि अपने छोटे आकार के बावजूद ग्रह के पास असामान्य रूप से मजबूत चुंबकीय क्षेत्र है. लेकिन इस ग्रह की मैग्नेटिक फील्ड धरती की तुलना में बेहद कमजोर है. क्योंकि यह ग्रह आकार में बेहद छोटा है. भौगोलिक तौर पर एक्टिव नहीं है. इसलिए इसकी सतह कई जगहों पर गहरे रंग की है.