Advertisment

नमन : अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती और रम्पा क्रांति के 100 साल

देश आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है. इसके साथ ही अल्लुरी सीताराम राजू जी की 125वीं जयंती का अवसर भी है. संयोग से इसी समय देश की आजादी के लिए हुए रम्पा क्रांति के 100 साल ( 100 years of Rampa Kranti ) भी पूरे हो रहे हैं.

author-image
Keshav Kumar
एडिट
New Update
allu sitaram

अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती और रम्पा क्रांति के 100 साल( Photo Credit : News Nation)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) ने आंध्र प्रदेश के भीमावरम में अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती समारोह ( 125th birth anniversary of Alluri Sitarama Raju) में अपने संबोधन में कहा कि देश आजादी के अमृत महोत्सव ( Azadi ka amrit mahotsava) में महान स्वतंत्रता सेनानियों को आदर के साथ याद कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैं आंध्र प्रदेश की इस धरती की महान आदिवासी परंपरा को और इस परंपरा से जन्में सभी महान क्रांतिकारियों और बलिदानियों को भी नमन करता हूं. देश आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है. इसके साथ ही अल्लुरी सीताराम राजू जी की 125वीं जयंती का अवसर भी है. संयोग से इसी समय देश की आजादी के लिए हुए रम्पा क्रांति के 100 साल ( 100 years of Rampa Kranti ) भी पूरे हो रहे हैं.

Advertisment

पीएम मोदी ने कहा कि अल्लूरी सीताराम राजू की 125वीं जन्मजयंती और रम्पा क्रांति की 100वीं वर्षगांठ को पूरे वर्ष समारोहपूर्वक किया जाएगा. उन्होंने बताया कि पंडरंगी में उनके जन्मस्थान का जीर्णोद्धार, चिंतापल्ली थाने का जीर्णोद्धार, मोगल्लू में अल्लूरी ध्यान मंदिर का निर्माण, ये कार्य हमारी अमृत भावना के प्रतीक हैं. आइए जानते हैं कि महान अल्लूरी सीताराम राजू और रम्पा क्रांति के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.

अल्लूरी सीताराम राजू के बारे में जानें

अल्लूरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई, 1897 को आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम के पांडुरंगी गांव में हुआ था. उनकी माता का नाम सूर्यनारायणाम्मा और पिता का नाम वेक्टराम राजू था. राजू को बहुत जल्दी ही अपने पिता के प्यार से वंचित हो जाना पड़ा. पिता के निधन के कारण वे उचित शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके और अपने परिवार के साथ टुनी रहने आ गये.

Advertisment

क्रांतिकारी पृथ्वीसिंह आजाद से भेंट

 

पहली तीर्थयात्रा के समय राजू हिमालय की ओर गये. उस दौरान उनकी भेंट महान क्रांतिकारी पृथ्वीसिंह आजाद से हुई. गुप्त रूप से कार्य करने वाले क्रांतिकारी संगठन का पता चला. साल 1919-1920 के दौरान साधु-संन्यासियों के बड़े-बड़े समूह लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगाने के लिए और स्वतंत्रका संघर्ष के लिए पूरे देश में भ्रमण कर रहे थे. इस मौके का लाभ उठाते हुए सीताराम राजू ने भी मुंबई, बड़ोदरा, बनारस, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, असम, बंगाल और नेपाल तक की यात्रा की. इसी बीच उन्होंने घुड़सवारी करना, तीरंदाजी, योग, ज्योतिष और प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन और अभ्यास भी किया.

संन्यास-गांधीवाद-क्रांतिकारी संगठन

 

सीताराम राजू ने संन्यासी जीवन जीने का निश्चय कर लिया था. तीर्थयात्रा से वापस आकर उन्होंने कृष्णदेवीपेट में आश्रम बनाया और ध्यान- साधना में लग गए. उनकी तीर्थयात्रा का प्रयाण नासिक की ओर था. उन्होंने इस यात्रा को पैदल ही पूरी की थी. उस समय पूरे भारत में असहयोग आंदोलन चल रहा था. आंध्र प्रदेश में भी यह आंदोलन अपनी चरम सीमा तक पहुंच गया था. कुछ समय तक गांधी जी के विचारों पर चले सीताराम राजू ने बाद में उसे छोड़कर सैन्य सगठन की स्थापना की. 

धनुष-बाण के बाद आधुनिक शस्त्र

Advertisment

इसके बाद संन्यासी सीताराम राजू ने पूरे रम्पा क्षेत्र को क्रांतिकारी आंदोलन का केंद्र बना लिया. आंदोलन के लिए प्राण तक न्यौछावर करने वाले क्रांतिकारी उनके साथ जुटते गए. आंदोलन को गति देने के लिए गुदेम में गाम मल्लू डोरे और गाम गौतम डोरे बंधुओं को लेफ्टिनेट बनाया गया. संघर्ष को और ज्यादा तेज करने के लिए उन्हें आधुनिक शस्त्रों की जरूरत थी. ब्रिटिश सैनिकों के सामने धनुष-बाण लेकर अधिक देर तक टिके रहना आसान नहीं था. इस बात को सीताराम राजू भली-भांति समझते थे.

रम्पा क्रांति या मन्यम क्रांति, 1922

सीताराम राजू ने शस्त्रों के लिए धन जुटाने की कोशिश में डाका डालना शुरू किया. इससे मिलने वाले धन से शस्त्रों को खरीद कर उन्होंने पुलिस स्टेशनों पर हमला करना शुरू किया. 22 अगस्त, 1922 को उन्होंने पहला हमला चिंतापल्ली में किया. इसको ही बाद में रम्पा क्रांति या मन्यम क्रांति भी कहा गया. अपने 300 सैनिकों के साथ शस्त्रों को लूटा. उसके बाद कृष्णदेवीपेट के पुलिस स्टेशन पर हमला कर किया और विरयया डोरा को मुक्त करवाया. ब्रिटिश सरकार पर सीताराम राजू के हमले लगातार जारी थे. उन्होंने छोड़ावरन, रामावरन आदि ठिकानों पर हमले किए.

Advertisment

बनाया सक्षम जासूसों का नेटवर्क

सीताराम राजू के जासूसों का समूह और उनका नेटवर्क काफी सक्षम था. इससे उन्हें सरकारी योजना का पता पहले ही लग जाता था. उनकी चतुराई का पता इस बात से लग जाता है कि जब पृथ्वीसिंह आजाद राजमहेंद्री जेल में कैद थे, तब सीताराम राजू ने उन्हें आजाद कराने का प्रण किया. अंग्रेजों ने आस-पास के जेलों से पुलिस बल मंगवाकर राजमहेंद्री जेल की सुरक्षा के लिए तैनात किया. इधर सीताराम राजू ने अपने सैनिकों को अलग-अलग जेलों पर एक साथ हमला करने का आदेश दिया. इससे फायदा यह हुआ कि उनके भंडार में शस्त्रों की और बढ़त हो गई.

किरब्बू में ब्रिटिश सैनिकों से जंग

Advertisment

अल्लूरी सीताराम राजू के बढ़ते हुए इन कदमों को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने 'असम रायफल्स' नाम से एक सेना का संगठन किया. जनवरी से लेकर अप्रैल तक यह सेना बीहड़ों और जंगलों में सीताराम राजू को खोजती रही. साल 1924 में अंग्रेज सरकार उन तक पहुंच गई. 'किरब्बू' नामक स्थान पर दोनों सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ. अल्लूरी सीताराम राजू क्रांतिकारी संगठन के नेता थे और 'असम रायफल्स' का नेतृत्त्व उपेंद्र पटनायक कर रहे थे. दोनों ओर की सेना के अनेक सैनिक मारे जा चुके थे.

ये भी पढ़ें - सावधान! अब Wi-Fi के जरिए हैकर्स की सेंध, यूजर्स ऐसे बचाएं पर्सनल डेटा

बलिदान के बाद भी नहीं थमा संघर्ष

ब्रिटिश पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार कुछ दिन बाद 7 मई, 1924 को सीताराम राजू को पकड़ लिया गया. उस समय सीताराम राजू के सैनिकों की संख्या कम थी फिर भी 'गोरती' नामक एक सैन्य अधिकारी ने सीताराम राजू को पेड़ से बांधकर उन पर गोलियां बरसाईं. इस तरह लगभग दो वर्षों तक ब्रिटिश सत्ता की नींद हराम करने वाला भारत माता का यह वीर सिपाही बलिदान हो गया. इसके बाद भी ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष जारी रहा. राजू से प्रेरित क्रांतिकारी आजादी के लिए लड़ते रहे. भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले वीर क्रांतिकारी अल्लूरी सीताराम राजू और उनकी रम्पा क्रांति को पूरा देश आज कृतज्ञता से नमन कर रहा है.

HIGHLIGHTS

  • देश आजादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है
  • अल्लुरी सीताराम राजू की 125वीं जयंती का भी अवसर
  • आजादी के लिए हुई रम्पा क्रांति के 100 साल भी हुए हैं
Alluri Sitarama Raju 75-years-of-independence Andhra Pradesh Bhimavaram The 125th Birth Anniversary Celebrations The Manyam Rebellion Prime Minister Narendra Modi azadi ka amrit mahotsava आंध्र प्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी The Rampa Rebellion of 1922
Advertisment
Advertisment