16 नोबेल पुरस्‍कार जीत चुकी 'कयामत की घड़ी ' की टीम क्‍या कहती है भारत-पाक युद्ध के बारे में

परमाणु वैज्ञानिकों के मुताबिक डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)मिडनाइट से 2 मिनट पहले पर लगातार 2 साल से रुकी है.

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Drigraj Madheshia
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16 नोबेल पुरस्‍कार जीत चुकी 'कयामत की घड़ी ' की टीम क्‍या कहती है भारत-पाक युद्ध के बारे में

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

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जम्‍मू-कश्‍मीर को लेकर भारत और पाकिस्‍तान के बीच रार अभी भी बरकरार है. पाकिस्‍तान के हुक्‍मरान इमरान खान इसको लेकर परमाणु युद्ध (Nuclear War)तक की धमकी दे चुके हैं. उन्‍हें शायद इस बात का अंदाजा नहीं है कि परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons)से संपन्‍न दोनों देशों के बीच अगर ऐसा युद्ध हुआ तो पृथ्‍वी पर विनाश के अलावा कुछ नहीं बचेगा. मानव निर्मित खतरे में जब-जब दुनिया पड़ी है, 'कयामत की घड़ी ' यानी डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)हमे चेताती रही है. परमाणु वैज्ञानिकों के मुताबिक डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)मिडनाइट से 2 मिनट पहले पर लगातार 2 साल से रुकी है. इस घड़ी में टाइम सेट करने वाली टीम 16 नोबेल पुरस्‍कार जीत चुकी है. इसीलिए इस कयामत की घड़ी को काफी गंभीरता से लिया जाता है.

जब धरती के अस्तित्‍व को खतरा होता है तो इसकी मिनट की सुई को रात्रि 12 बजे के करीब कर दिया जाता है. जब संप‍न्‍नता होती है, तो इसके समय को बढ़ा दिया जाता है. 1953 में इसे 12 बजने में दो मिनट पहले तय किया गया था और 1991 में 17 मिनट पहले तय किया गया था. 24 जनवरी 2019- मानव निर्मित खतरे को बतानेवाली डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी.

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अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के 2016 में चुनाव जीतने के बाद से डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)2017 और 2018 में दो बार 30 सेकेंड आगे तक की हरकत ले चुकी है. उस दौर में ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के बीच तनातनी की खबरें काफी आम थीं.

क्या है डूम्सडे क्लॉक
डूम्सडे क्लॉक (Doomsday clock)एक सांकेतिक घड़ी है जो मानवीय गतिविधियों के कारण वैश्विक तबाही की आशंका को बताती है. घड़ी में मध्यरात्रि 12 बजने को भारी तबाही का संकेत माना जाता है. 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में हुए हमले के बाद वैज्ञानिकों ने मानव निर्मित खतरे से विश्व को आगाह करने के लिए इस घड़ी का निर्माण किया गया था.

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इसके मुताबिक जब धरती के अस्तित्‍व को खतरा होता है तो इसकी मिनट की सुई को रात्रि 12 बजे के करीब कर दिया जाता है. जब संप‍न्‍नता होती है, तो इसके समय को बढ़ा दिया जाता है. 1953 में इसे 12 बजने में दो मिनट पहले तय किया गया था और 1991 में 17 मिनट पहले तय किया गया था.

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अगर भारत और पाकिस्‍तान के बीच बढ़ रहे तनाव और परमाणु युद्ध (Nuclear War)की आशंका की बात करें तो अभी इस घड़ी की सुइयों को आगे नहीं किया गया है. मतलब साफ है कि दोनों देश इस स्‍थिति में नहीं हैं कि एक दूसरे पर न्‍यूक्‍लियर अटैक कर सकें. हालांकि अगर बात दुनिया की करें तो हाल ही में ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी युद्ध का खाका खींच रही थी. वहीं कुछ साल पहले उत्‍तर कोरिया और अमेरिका के बीच भी न्‍यूक्‍लियर वॉर की नौबत आ गई थी. दुनिया के विनाश के लिए रखे हथियारों की बात करें तो सबसे ज्‍यादा रूस के पास है. 

कौन-कौन से देश परमाणु संपन्न हैं

  • 2019 की शुरुआत में दुनिया में परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons)की संख्या 13,865 थी.
  • पिछले साल के मुकाबले परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons)की संख्या 600 कम हुई है. इसकी बड़ी वजह अमेरिका और रूस के बीच हुई स्टार्ट संधि है जिसके तहत दोनों देशों ने अपने परमाणु हथियार घटाए हैं.
  •  रूस के पास अभी 6,500 परमाणु हथियार हैं.
  • अमेरिका के पास 6,185 परमाणु हथियार है.
  • सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस और अमेरिका, दोनों ही अपने परमाणु अस्त्रागार, मिसाइलों और डिलीवरी सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए व्यापक कार्यक्रम चला रहे हैं.

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  • भारत के पास 130 से 140 परमाणु हतियार है.
  •  पाकिस्तान के पास 150 से 160 परमाणु हथियार हैं.
  • उत्तर कोरिया के पास 20 से 30 परमाणु हथियार हैं.
  • फ्रांस के पास 300 परमाणु हथियार है.
  • चीन के पास 290 परमाणु हथियार हैं.
  • ब्रिटेन के पास 200 परमाणु हथियार है.
  • इजरायल के पास 80 से 90 परमाणु हथियार हैं.

किस तरह खतरे के मुहाने पर खड़े हैं दुनिया के देश

  • दुनियाभर में मौजूद हथियारों के जखीरे में भले ही कमी देखी जा रही हो पर बीते 12-13 महीनों में परमाणु युद्ध (Nuclear War)का खतरा काफी बढ़ गया है. कुछ हद तक इसके लिए अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
  • स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) के रिसर्च के मुताबिक, दुनिया के 9 परमाणु संपन्न देशों के पास 2018 में 13,865 हथियार थे जबकि एक साल पहले इनकी संख्या 14,465 थी.
  • रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में रूस, अमेरिका और यूके ने अपने हथियारों की संख्या में कमी की है जबकि चीन, पाकिस्तान, इजरायल और नॉर्थ कोरिया ने अपने शस्त्रागारों में 10 से 20 हथियार बढ़ा लिए हैं. फ्रांस और भारत अपने भंडार को क्रमश: 300 और 140 पर बरकरार रखे हुए हैं.

Source : दृगराज मद्धेशिया

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