कल यानि बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र के राजभवन में एक संयुक्त प्रेस वार्ता में देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे के नाम की घोषणा की थी, इस घोषणा ने भाजपा और शिवसेना के बागी नेताओं को अचंभित कर दिया. घोषणा के बाद हर किसी ने फडणवीस के त्याग की प्रशंसा करते हुए उन्हें बड़े दिल का नेता बताया. लेकिन यह घोषणा देवेंद्र फडणवीस ने अपने मन से नहीं किया था. भाजपा हाईकमान ने उनसे ऐसा ही करने को कहा था.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और अब शिंदे सरकार में उप-मुख्यमंत्री का दायित्व संभाल रहे फडणवीस को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्देश पर भारी मन से ऐसा करना पड़ा था. इस पूरे प्रकरण में फडणवीस के त्याग जैसा कुछ नहीं है, बल्कि उन्हें पार्टी के निर्णय को मानना पड़ा. वह उप मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी के दबाव के आगे यहां भी उन्हें झुकना पड़ा. इस लेख में हम बताने की कोशिश करेंगे कि गुरुवार को दिनभर क्या हुआ, और कैसे देंवेंद्र फडणवीस डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनने को तैयर हुए.
प्रेस कांफ्रेंस में देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट कहा था कि वह मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे, लेकिन सरकार और गठबंधन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए बाहरी समर्थन प्रदान करेंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि आज केवल एकनाथ शिंदे ही शपथ ग्रहण करेंगे. इसके बाद दिल्ली और मुंबई में बैठे नेताओं में खलबली मच गयी. यह सिर्फ दो घंटे की अवधि थी जिसने महाराष्ट्र के नए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भाग्य को सील कर दिया.
जैसे ही उद्धव ठाकरे और उनके कट्टर विरोधी एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने का निर्णय लिया गया, राज्य का राजनीतिक संकट समाप्त हो गया, लेकिन शीर्ष पद पर शिवसेना के विद्रोही नेता का समर्थन करने का भाजपा के निर्णय ने कई लोगों को आश्चर्य में डाल दिया. और फडणवीस तीसरी बार शीर्ष पद पर पहुंचने से वंचित रह गए.
इस कदम ने शिवसेना के एक साधारण कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री की ताज पहना दिया. शिंदे का समर्थन करके, भाजपा ने एक मास्टरस्ट्रोक खेला था, जिसका उद्देश्य न केवल उद्धव ठाकरे परिवार को राजनीतिक रूप से नष्ट करना है, बल्कि बाल ठाकरे की विरासत पर भी दावा करना है.
हालांकि, फडणवीस के लिए यह बहुत बड़ा झटका था. मुख्यमंत्री से लेकर मास्टर रणनीतिकार तक, जिन्होंने चुपचाप शिवसेना और उसकी ताकत को चकमा दिया, भाजपा के वफादार अब शिंदे के डिप्टी की भूमिका निभाएंगे. गुरुवार को दो घंटे के अंदर मुंबई और दिल्ली में बहुत कुछ हुआ तब जाकर फडणवीस ने उप-मुख्यमंत्री की भूमिका स्वीकर की.
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गुरुवार शाम 5 बजे फडणवीस ने शिंदे के समर्थन की घोषणा की और कहा कि केवल एकनाथ नेता शाम 7.30 बजे शपथ लेंगे जबकि मंत्रिमंडल का विस्तार बाद में होगा. वह अपनी भूमिका के बारे में कहा, “मैं मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनूंगा, लेकिन मैं गठबंधन और सरकार के सुचारू कामकाज की जिम्मेदारी लूंगा. मैं सरकार को पूरा सहयोग और सहयोग दूंगा."
एक ट्वीट ने फैसले पर पुनर्विचार के लिए किया मजबूर
देवेंद्र फडणवीस के इस बयान के बाद शाम 06:30 पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक ट्वीट कर फडणवीस से राज्य का डिप्टी सीएम बनने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, “पूर्व सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को नया मुख्यमंत्री घोषित किया. उन्होंने बड़ा दिल भी दिखाया और कहा कि वह कैबिनेट से बाहर रहेंगे और सरकार को बाहर से समर्थन देंगे. यह हमारी पार्टी और नेताओं के चरित्र को दिखाता है और साबित करता है कि हम किसी पद के लिए काम नहीं करते हैं. हालांकि, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने फैसला किया है कि देवेंद्र फडणवीस को सरकार का हिस्सा होना चाहिए. फडणवीस से व्यक्तिगत हैसियत से इस बारे में अनुरोध किया गया है. केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें अवगत कराया है कि उन्हें उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालना चाहिए और महाराष्ट्र के लोगों की इच्छाओं को पूरा करना चाहिए."
लगभग आधे घंटे बाद पासा पलट गया. राष्ट्रीय अध्यक्ष के ट्वीट के बाद देवेंद्र फडणवीस अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को बाध्य हुए. गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया कि नड्डा के अनुरोध पर देवेंद्र फडणवीस राज्य के उपमुख्यमंत्री बनेंगे. शाम साढ़े सात बजे फडणवीस ने ट्वीट किया कि वह पार्टी के शीर्ष अधिकारियों के आदेश पर मंत्रिमंडल में शामिल होंगे. और 7:40 बजे देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई के राजभवन में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
HIGHLIGHTS
- देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे को नया मुख्यमंत्री घोषित किया
- देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि वह मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे
- जेपी नड्डा ने फडणवीस से डिप्टी सीएम बनने का अनुरोध किया था