ANALYSIS: भारत से भगाई गई ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम पाकिस्तान क्यों गईं

डेबी अब्राहम एक ब्रितानी संसदीय समूह का संचालन करती हैं. इस समूह के ज्यादातर सदस्य पाकिस्तान या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) मूल के हैं और ये सभी भारत विरोधी हैं.

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Nihar Saxena
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ANALYSIS: भारत से भगाई गई ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम पाकिस्तान क्यों गईं

भारत विरोधी नजरिया ही रखती हैं ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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ब्रिटेन (Britain) की लेबर पार्टी (Labour Party) की सांसद डेबी अब्राहम (Debbie Abrahams) ने भारत सरकार द्वारा ई-वीजा रद्द कर देने पर बड़ी हाय-तौबा मचाई. उन्होंने अपना वीजा रद्द किये जाने को जम्मू-कश्मीर (jammu-Kashmir) से अनुच्छेद 370 (Article 370) के खात्मे पर लिखे पत्र की प्रतिक्रिया करार दिया और फिर से भारत की वैश्विक बिरादरी में किरकरी करने की असफल कोशिश की. सच तो यह है कि डेबी अब्राहम ब्रिटिश संसदीय समूह का संचालन करती हैं, जो एक तरह से पाकिस्तान के लिए लॉबिस्ट (Lobyst) का काम करता है. संभवतः यही वजह है कि ई-वीजा (E Visa) रद्द किए जाने के बाद दुबई (Dubai) डिपोर्ट की गई डैबी अब्राहम सीधे पाकिस्तान (Pakistan) जा पहुंची थीं. संभवतः उनकी हरकतों से कांग्रेस के चंद नेता भी वाकिफ हैं. इसीलिए अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने उनके ई-वीजा को रद्द किए जाने के कदम का समर्थन किया. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने भी ढंके-छिपे शब्दों में स्वीकार किया है कि डेबी के बयान और गतिविधियां भारत विरोधी हैं.

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डेबी का कश्मीर पर राग पुराना है
डेबी अब्राहम एक ब्रितानी संसदीय समूह का संचालन करती हैं. इस समूह के ज्यादातर सदस्य पाकिस्तान या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) मूल के हैं और ये सभी भारत विरोधी हैं. ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कश्मीर ग्रुप (APPKG) कश्मीर को लेकर भारत की लगातार आलोचना करता रहा है. यह समूह 'बातचीत के जरिए कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को समर्थन देने' और 'कश्मीर में मानवाधिकार हनन की घटनाओं को उजागर करने के साथ-साथ लोगों को न्याय दिलाने की मुहिम छेड़ने' का दावा करता है. बड़ी बात है कि इस ग्रुप का एक भी सदस्य भारतीय मूल का नहीं है. डेबी अब्राहम इस ग्रुप की चेयरमैन हैं और ब्रिटेन की संसद में ऑल्डम ईस्ट एंड सैडलवर्थ संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं, जहां पाकिस्तानी मीरपुरी समुदाय के लोगों की बड़ी तादाद है.

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पाकिस्तानी पीओके मूल वाला समूह
नवंबर 2019 में समूह के सदस्यता रजिस्टर को अपडेट किया गया था. इसके मुताबिक इस ग्रुप के सीनियर वाइस-चेयर लेबर सांसद इमरान हुसैन हैं. ब्रैडफोर्ड से सांसद इमरान पाकिस्तान मूल के हैं जो सालों से भारत के खिलाफ आग उगल रहे हैं. उन्होंने पिछले साल सितंबर महीने में पीओके और नियंत्रण रेखा (एलओसी) का दौरा किया था और पाकिस्तानी सेना के अधिकारियों को ब्रीफ करने का दावा किया था. उन्होंने ब्रिटेन के एक स्थानीय अखबार से कहा था कि कश्मीर में जो हो रहा है, वह एक 'वॉर क्राइम (युद्ध अपराध)' है. पीओके के मीरपुर में जन्मे लॉर्ड नजीर अहमद इस समूह के ऑनरेरी प्रेजिडेंट हैं. वह 15 अगस्त 2019 को लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग के सामने हुए ब्रिटिश पाकिस्तानियों के विरोध प्रदर्शन के मुख्य वक्ताओं में शामिल थे. भारत के स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित भारत विरोधियों का यह प्रदर्शन हिंसक हो गया था जिसमें उच्चायोग की बिल्डिंग को नुकसान पहुंचा था.

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सदस्यों का है पाकिस्तान कनेक्शन
APPKG के ऑनरेरी वाइस-प्रेजिडेंट अफजल खान भी पाकिस्तान में पैदा हुए हैं. वह मैनचस्टर गॉर्टन से लेबर पार्टी के सांसद हैं. अफजल खान ने 5 अगस्त, 2019 को पत्र लिखकर यूके के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन से मांग की थी कि वह 'भारत सरकार की कार्रवाइयों और कश्मीर के अधिग्रहण के लिए आर्टिकल 370 को अवैध एवं असंवैधानिक तरीके से निष्प्रभावी बनाने के फैसले की कड़ी आलोचना करें.' इस ग्रुप के सेक्रटरी पीओके के कोटली में पैदा हुए लॉर्ड हुसैन हैं. लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हुसैन जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत की अक्सर निंदा करते रहे हैं. वहीं, सीनियर वाइस-चेयर जैक ब्रेर्टन स्टोक-ऑन-ट्रेंट से कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद हैं. 8 अगस्त, 2019 को ब्रेर्टन ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब को पत्र लिखकर कहा था कि आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी बनाने से 'खतरनाक परिस्थिति पैदा हो गई है और इससे तनाव बढ़ेगा.'

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ग्रुप की भारत विरोधी हैं गतिविधियां
लंदन में भारतीय कूटनीतिक सूत्रों ने कहा, 'APPKG जिस तरह के समारोह आयोजित करता रहता है. इन आयोजनों में पाकिस्तान के जिन अराजक तत्वों को न्योता देता है और जिस तरह के मुद्दों का यह समर्थन करता है, उससे हमें इसकी ऐसी सदस्यता पर कोई हैरानी नहीं होती है.' बुधवार को ही इस समूह के सदस्यों ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री मखदूम शाह महमूद से इस्लामाबाद में मुलाकात की. उस मुलाकात में पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने समूह के पाक अधिकृत कश्मीर के दौरे की सराहना करते हुए कहा कि समूह भारतीय कश्मीर को लेकर वैश्विक पटल पर अच्छा काम कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि समूह की कश्मीर पर रिपोर्ट सही है और उसे कश्मीरियों के मानवाधिकारों के लिए लगातार आवाज उठाते रहना चाहिए. पाकिस्तान मानता है कि भारत के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए ब्रिटिश संसद में समूह की उपस्थिति एक ऐसा मंच है, जिसके जरिये वह अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को बरगलाने का अपना अभियान अच्छे से चला सकता है.

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डेबी अब्राहम का काम दुष्प्रचार फैलाना
डेबी अब्राहम को कश्मीर राग इतना भाता है कि वह सदैव कश्मीर कश्मीर की रट लगाये रहती हैं. डेबी अब्राहम उन ब्रिटिश सांसदों के दल में शामिल थीं जिन्होंने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर चिंता जताते हुए औपचारिक पत्र जारी किये थे. डेबी अब्राहम ने ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब को पत्र लिख कर कहा था कि हम भारत के गृह मंत्री अमित शाह की इस घोषणा से बहुत चिंतित हैं कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाला अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया गया है. भारत विरोध ज्वाला लिये डेबी अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर एलओसी या पीओके का दौरा कर स्वयं को भले मानवाधिकार कार्यकर्ता समझें लेकिन असल में वह भारत के खिलाफ दुष्प्रचार और भ्रम फैलाने का अभियान चलाने वाली नेता हैं. कौन नहीं जानता कि ब्रिटेन की ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑफ कश्मीर की अध्यक्ष और लेबर पार्टी की सांसद डेबी अब्राहम पाकिस्तान के पिट्ठू कहे जाने वाले राजा नजाबत हुसैन के माध्यम से चौबीसों घंटे पाकिस्तान के संपर्क में रहती हैं. यह जो राजा नजाबत हुसैन है वह जम्मू-कश्मीर के अधिकारों के लिए बने एक स्वयंभू संगठन का चेयरमैन है और इस संगठन को पूरी फंडिंग आईएसआई से मिलती है.

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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा सही कदम
सरकार के इस कदम को कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का साथ मिला है. ब्रिटिश सांसद डेबी अब्राहम को वापस लौटाने पर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि ऐसा फैसला लेना जरूरी था, क्योंकि वह पाकिस्तान की हिमायती थीं. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार सुबह ट्वीट किया 'डेबी अब्राहम को भारत की ओर से वापस भेजना काफी जरूरी था, क्योंकि वह सिर्फ एक ब्रिटिश सांसद नहीं थीं, बल्कि वह एक पाकिस्तान की हिमायती थीं जो वहां की सरकार, आईएसआई के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं. भारत की संप्रभुता को अलग करने के लिए जो भी प्रयास किए जाएंगे उन्हें नाकाम करना जरूरी है.' इसके बाद गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने डेबी अब्राहम की वापस भेजने की प्रक्रिया को सही ठहराते हुए कहा कि उनके पास वैध वीजा नहीं था. उन्होंने कहा कि हमने उन्हें 'बड़ी इज्जत से' दिल्ली एयरपोर्ट से डिपोर्ट किया था. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डेबी के बयान और गतिविधियां भारत विरोधी हैं. वह भारत के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार का एक अभियान सा चला रही हैं.

HIGHLIGHTS

  • डेबी अब्राहम के ब्रितानी संसदीय समूह के ज्यादातर सदस्य पाकिस्तान या पीओके मूल के हैं.
  • डेबी भारत के खिलाफ दुष्प्रचार और भ्रम फैलाने का अभियान चलाने वाली नेता हैं.
  • डेबी अब्राहम पाकिस्तान के पिट्ठू राजा नजाबत हुसैन से चौबीसों घंटे पाकिस्तान के संपर्क में रहती हैं.
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