रेल मंत्रालय ने उम्मीदवारों के उग्र विरोध के मद्देनजर अपनी एनटीपीसी, लेवल-1 और ग्रुप डी परीक्षा को टालते हुए बुधवार को पांच सदस्यों की एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर दी. बिहार और उत्तर प्रदेश में हजारों उम्मीदवारों ने रेलवे की भर्ती परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए सोमवार को ही हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव के बाद पुलिस कार्रवाई को लेकर विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है. दूसरी ओर इस मामले को लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश में राजनीति भी तेज हो गई है. विपक्षी दलों ने राज्य और केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं.
इस मामले में पटना में छात्रों को उकसाने को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चित खान सर के अलावा एसके झा सर, नवीन सर, अमरनाथ सर, गगन प्रताप सर, गोपाल वर्मा सर और बाजार समिति के कई कोचिंग संचालकों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है. इन सभी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 151, 152, 186, 187, 188, 330, 332, 353, 504, 506 और 120-बी के तहत केस दर्ज हुआ है. रेलवे की भर्ती परीक्षा को लेकर विवाद, लाखों उम्मीदवार छात्रों की नाराजगी और प्रदर्शन, मामले पर रेल मंत्रालय की कार्रवाई, पुलिस- प्रशासन का रवैया और अब मामले को लेकर तेज हुई राजनीति. आइए, एक-एक करके इन सबके बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.
35277 पदों के लिए 1.25 करोड़ उम्मीदवार
रेलवे के 35 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती के लिए बवाल हो रहा है. इन पदों के लिए 1.25 करोड़ उम्मीदवारों ने आवेदन का फॉर्म भरा था.रेलवे भर्ती बोर्ड ने नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरीज (NTPC) के लिए जनवरी 2019 में 35277 पदों की घोषणा की थी. फरवरी 2019 में इसका नोटिफिकेशन जारी किया था. इसमें ग्रेजुएट और अंडर-ग्रेजुएट दोनों पोस्ट शामिल थे. इस आवेदन के जरिए रेलवे जूनियर क्लर्क, ट्रेन असिस्टेंट, गार्ड, टाइम कीपर से लेकर स्टेशन मास्टर तक के पदों पर अपने विभिन्न जोनों के लिए भर्ती कर रहा था.
योग्यता और वेतनमान
भर्ती परीक्षा में 10628 पदों के लिए न्यूनतम योग्यता 10+2 है. वहीं 24649 पदों के लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन है. सभी पदों को पांच वेतनमान- लेवल 2 से लेवल 6 तक में बांटा गया है. 12वीं पास के पदों के लिए लेवल 2 और लेवल 3 में 19900 रुपये और 21700 रुपये का वेतनमान है. वहीं ग्रेजुएशन के पदों के लिए लेवल 4 से लेवल 6 तक के लिए क्रमश: 25500 रुपये, 29200 रुपये और 35400 रुपए वेतनमान रखा गया है.
स्थगित होने वाली परीक्षा के बारे में जानें
रेलवे भर्ती बोर्ड में प्रक्रिया के तहत पहले स्क्रीनिंग प्रोसेस के लिएसभी उम्मीदवारों का एक कॉमन टेस्ट लिया जाता है. इसे कम्यूटर बेस्ड टेस्ट-1 (CTBT-1) कहा जाता है. भर्ती परीक्षा की संभावित तारीख सितंबर 2019 थी, लेकिन ये मार्च 2020 तक टल गई थी. इसके बाद कोरोनावायरस महामारी को लेकर लगी लॉकडाउन की वजह से ये फिर स्थगित हुई. आखिरकार कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट-1 (CTBT-1) की परीक्षा दिसंबर 2020 से जुलाई 2021 तक सात चरणों में आयोजित की गई थी. CTBT-1 परीक्षा का रिजल्ट 14-15 जनवरी 2022 को घोषित किया गया था.
रेलवे भर्ती बोर्ड के नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरीज (NTPC) के इन पदों के लिए अगले राउंड की परीक्षा यानी कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट-2 (CTBT-2) 15 फरवरी 2022 को आयोजित होने वाली थी. उम्मीदवारों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए फिलहाल इस परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है. रेलवे ने इस परीक्षा के अलावा रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप डी (RRC-01/2019) की 23 फरवरी को होने वाली कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट-1 (CTBT-1) परीक्षा को भी स्थगित कर दिया है.
क्या करेगी रेलवे की उच्च स्तरीय कमेटी
रेलवे ने रिजल्ट को लेकर उम्मीदवारों की चिंताओं और शंकाओं के समाधान के लिए जो उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है उसकी रिपोर्ट के बाद ही अब परीक्षा की नई तारीख का ऐलान किया जाएगा. उम्मीदवारों को अपनी शिकायतें और सुझाव दर्ज कराने के लिए करीब तीन हफ्तों यानी 16 फरवरी तक का समय दिया गया. सभी उम्मीदवार ईमेल आईडी rrbcommittee@railnet.gov.in पर अपनी शिकायतें और सुझाव भेज सकते हैं. सभी पक्षों की शिकायतों को सुनने के बाद कमेटी 4 मार्च को रेल मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
उम्मीदवारों की RRB से नाराजगी की वजह
रेलवे भर्ती बोर्ड की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरीज (RRB-NTPC) परीक्षा में धांधली का आरोप लगाते हुए सोमवार को बिहार में हजारों उम्मीदवार सड़कों पर उतर आए. कई जगह ट्रेन की पटरियों पर बैठते हुए प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों को रोक दिया. 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा. भोजपुर और गया जिले में प्रदर्शनकारियों ने एक खड़ी ट्रेन को फूंक दिया और तोड़फोड़ की. वहीं उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में उम्मीदवारों और पुलिस के बीच झड़प की खबर सामने आई. रेलवे के नियमों और वादों में बदलाव को उम्मीदवारों के इस भीषण गुस्से की वजह बताया जा रहा है.
प्रदर्शन कर रहे उम्मीदवारों के मुताबिक इन 35 हजार से ज्यादा पदों पर ज्यादा लोगों को प्रतिस्पर्धा का मौका देने के लिहाज से इस बार रेलवे ने नियम बनाया था कि हर लेवल के लिए दूसरे चरण के कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट यानी CTBT-2 टेस्ट के लिए उपलब्ध पदों की संख्या से 20 गुना ज्यादा उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा. इससे पहले 2016 में हुई रेलवे की भर्ती के लिए पदों की संख्या से 15 गुना ज्यादा उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया था. रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षाओं में उससे पहले उपलब्ध पदों से 10 गुना ज्यादा उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने का नियम था. इसी वजह से इस बार कुल 35277 वैकेंसी के लिए पहले राउंड की परीक्षा के बाद 7 लाख से ज्यादा आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किया गया था. बाद में सामने आया कि दूसरे राउंड के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की असली संख्या 7 लाख नहीं, बल्कि 3.84 लाख है. यही उम्मीदवारों की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है.
कट ऑफ बढ़ने को लेकर उठे सवाल
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि रेलवे अपने नियम और अपने वादे से मुकर रही है. इससे पहले रेलवे भर्ती बोर्ड का कहना था कि शॉर्ट लिस्टिंग की प्रक्रिया आवेदनों पर निर्भर होगी. इसका मतलब है कि अगर आवेदक A ने लेवल 2 और लेवल 5 दोनों के लिए आवेदन किया था तो उपलब्ध पदों की संख्या के 20 गुना अधिक आवेदकों को शॉर्टलिस्ट किए जाने के आधार पर, उस व्यक्ति के स्कोर को पैमाना मानते हुए उसे दोनों कैटेगरी में गिना जाएगा. आंदोलनकारी उम्मीदवारों का कहना है कि ज्यादा योग्यता वाले उम्मीदवारों के दोनों लेवल में चुने जाने से कम योग्यता वालों की उम्मीदों को झटका लगेगा. शॉर्टलिस्ट उम्मीदवारों की संख्या घटाए जाने से कट ऑफ बहुत ऊपर चला गया है. इस वजह से जिनका दूसरे चरण की परीक्षा में चयन होना था, वह इस प्रक्रिया से बाहर हो गए हैं.
परीक्षा दो चरण में कराए जाने का भी विरोध
आवेदकों के विरोध की दूसरी वजह रेलवे भर्ती बोर्ड की ग्रुप-डी की परीक्षा को दो चरणों में कराए जाने को लेकर है. इससे पहले ग्रुप-डी के लिए चयन की परीक्षा एक चरण में आयोजित होती थी. उम्मीदवारों का आरोप है कि सरकार ग्रुप-डी के लिए दो चरणों में परीक्षा आयोजित करके नियुक्ति की प्रक्रिया को लंबे समय तक टालना चाहती है. साथ ही दूसरे चरण की परीक्षा के बहाने छात्रों से ज्यादा आवेदन शुल्क भी वसूला जाता है. इससे पहले हर रेलवे भर्ती बोर्ड अपनी अलग-अलग परीक्षाएं लेते थे. बाद में ये प्रक्रिया बंद हो गई और एक केंद्रीकृत भर्ती शुरू हुई थी. इस आधार पर आखिरी परीक्षा 2016 में आयोजित हुई थी. तब रेलवे ने 18 हजार पदों पर भर्ती निकाली थी. हालांकि उस समय आवेदन के लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन थी.
किसी को नहीं मिलेगी दो नौकरी, रेलवे की दलील
इस पूरे मामले पर रेलवे का कहना है कि 12वीं पास उम्मीदवार अपनी पसंद और टेस्ट स्कोर के आधार पर लेवल 2 और लेवल 3 दोनों पदों के लिए शॉर्टलिस्ट हो सकता है. इसी तरह एक ग्रेजुएट आवेदक भी टेस्ट स्कोर के आधार पर सभी लेवल के पदों के लिए शॉर्टलिस्ट हो सकता है. इसी वजह से CTBT-2 के लिए 35 हजार पदों के लिए 7 लाख से ज्यादा कैंडिडेंट्स को शॉर्टलिस्ट किया गया था. रेलवे के मुताबिक ज्यादा योग्यता वालों को फायदा मिलने की बात सही नहीं है. संभव है कि CTBT-2 टेस्ट के लिए कई लेवल में शॉर्टलिस्ट कुछ उम्मीदवार कई लेवल की परीक्षाएं दे दें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि एक ही व्यक्ति को एक से ज्यादा नौकरी मिल जाएगी.
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इस विवाद पर रेलवे ने साफ किया है कि आखिरी चरण यानी डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के दौरान रेलवे सबसे टॉप लेवल पदों की प्रक्रिया को होल्ड रखेगा. यानी सबसे पहले लेवल-6, फिर लेवल-5 वगैरह की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. ऐसे में अगर किसी उम्मीदवार को एक लेवल में नौकरी मिल जाती है, तो अगले लेवल में उसके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा. इसका मतलब कोई स्टेशन मास्टर की नौकरी के लिए क्वॉलिफाई करता है, तो उसके नाम पर अन्य निचले लेवल पर, जैसे TTE या अन्य पदों के लिए विचार नहीं किया जाएगा. कोई भी उम्मीदवार रेलवे में एक ही समय में दो अलग लेवल पर दो नौकरियां नहीं पा सकता है.
HIGHLIGHTS
- प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि रेलवे अपने नियम और वादे से मुकर रही है
- रेलवे ने उम्मीदवारों की शंकाओं के समाधान के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाई
- रेलवे के 35 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती के लिए 1.25 करोड़ उम्मीदवार