कोरोनावायरस महामारी ( Coronavirus Pandemic) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस साल मार्च के बाद एक बार फिर देश में बढ़ते नए कोरोना मामले ( Coronavirus Cases In India) लोगों को डराने लगे हैं. देश में बीते 24 घंटों में 12,249 नए मामले सामने आए हैं. वहीं 13 मरीजों की मौत हुई है. पिछले एक सप्ताह में कोरोना केस लगातार औसतन 12 हजार केस रोजाना के हिसाब से बढ़ रहा है. इस बीच एक बार फिर लॉन्ग कोविड (Long Covid ) के केस भी बढ़ने लगे हैं. वहीं कोरोनावायरस के बाद हार्ट अटैक के मामलों में कई गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
डेल्टा के मुकाबले ओमीक्रॉन में लॉन्ग कोविड केस कम
आंकड़ों के मुताबिक देश में सक्रिय मरीजों (Active Corona Cases) की संख्या 81,687 तक पहुंच चुकी है. कोरोना पीड़ितों को रिकवरी के बाद भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. एक रिसर्च में सामने आया है कि करीब 23 लोगों में से एक को लॉन्ग कोविड की शिकायत मिली है. वहीं, डेल्टा वेरिएंट में 10.8 फीसदी और ओमीक्रॉन में 4.4 फीसदी मामले लॉन्ग कोविड के हैं. इस आधार पर पाया गया है कि ओमीक्रॉन वेरिएंट के मामले में लॉन्ग कोविड की दिक्कत काफी कम होती है. डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण से रिकवरी के बाद इसकी शिकायत काफी ज्यादा थी.
दो साल में चार करोड़ लोगों को लॉन्ग कोविड की दिक्कत
रिसर्च से सामने आए तथ्यों के मुताबिक कोरोनावायरस संक्रमण के शुरू होने के बाद से बीते दो साल में करीब चार करोड़ भारतीय संक्रमितों में लॉन्ग कोविड के लक्षण दिखे हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना संक्रमित होने के चार सप्ताह या उससे ज्यादा वक्त यानी रिकवरी के बाद भी अगर संक्रमित रहे शख्स में लक्षण दिखते हैं, तो उसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है. इसके लक्षणों में थकान, सांस लेने में दिक्कत, ध्यान लगाने में परेशानी और जोड़ों में दर्द शामिल है. इन लक्षणों की वजह से पीड़ितों की दैनिक रूटीन पर भी असर पड़ता है.
ग्लोबल रिसर्च में महिलाओं और बच्चों में दिखे ज्यादा लक्षण
रिसर्च में जुटी अंतरराष्ट्रीय टीम ने 204 देशों के ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज से भी आंकड़े जमा किए. उन्होंने 44 से ज्यादा ग्लोबल स्टडी और मेडिकल रिकॉर्ड के डाटाबेस से आंकड़े लिए और लॉन्ग कोविड के थकान, ध्यान लगाने में दिक्कत और सांस लेने में तकलीफ जैसे तीन लक्षणों पर रिसर्च किया है. रिसर्च के मुताबिक, साल 2020 और 2021 में 14.47 करोड़ लोग इन तीन में कम से कम एक लक्षण से प्रभावित हुए हैं. लॉन्ग कोविड की शिकायत 20 से 29 साल की महिलाओं में ज्यादा पाई गई है. इसके अलावा बच्चों में भी लॉन्ग कोविड के लक्षण पाए गए.
कोविड-19 के एक्सपर्ट डॉक्टर्स बोले- बिल्कुल नहीं डरें
कोविड-19 के बढ़ते केस को लेकर एक्सपर्ट डॉक्टर्स का साफ कहना है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उन सबों ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने की दर अब भी कम है. पिछले एक हफ्ते में कोविड-19 के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इस समय घबराने की कोई बात नहीं है. इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए अधिकांश लोगों में ज्यादा तीव्र लक्षण भी नहीं उभरे हैं. इसके अलावा कोविड-19 का शिकार होने और टीकाकरण करवाने के कारण भी लोगों में इम्यूनिटी विकसित हुई है. इसके चलते संक्रमण उतना जानलेवा नहीं रह गया है.
हार्ट अटैक और उससे होने वाली मौतों के मामले भी बढ़े
लॉन्ग कोविड के अलावा पोस्ट कोविड स्वास्थ्य समस्याओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों और उससे होने वाली मौतों ने लोगों की मुश्किलें बढ़ी दी हैं. कुछ रिपोर्ट्स में इसके कैंसर को भी पीछे छोड़ देने की बात सामने आई है. हेल्थ रिसर्च के मुताबिक कोरोना Angiotensin Converting Enzyme लंग्स में होते हैं. और इनकी वजह से निमोनिया आदि होते हैं. ये एंजाइम हार्ट में भी होते हैं और कोरोना में इन्वॉल्व कर लिए जाने का बुरा असर होता है. इसके अलावा ओवर इम्यूनिटी की वजह से भी लोगों में हार्ट अटैक जैसी दिक्कतें सामने आ रही है.
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मुंबई में हार्ट अटैक से मौत के चौंकाने वाले आंकड़े
एक आरटीआई में यह पता चला है कि पिछले साल जनवरी से जून के बीच, सिर्फ 6 महीनों में ही मुंबई में हार्ट अटैक से करीब 18 हजार मौतें हुई थीं. वहीं, साल, 2018 में हार्ट अटैक से 8 हजार 601 मौतें हुई थी. साल 2019 में 5 हजार 849 मौत हुई. साल 2020 में भी हार्ट अटैक से मौतों की संख्या में कमी आई थी. उस साल 5 हजार 633 मौत हुई थी. हेल्थ एक्सपर्ट मान रहे हैं कि कोरोना की वजह से हार्ट अटैक और उससे मौत के केस बढ़े हैं. हालांकि कई एक्सपर्ट्स ने कोरोना को हार्ट अटैक के पीछे एकमात्र कारण मानने से इनकार किया है. उनका कहना है कि कोरोना का हार्ट पर असर होना और हार्ट फेल्यर हो जाने के मामले की और ज्यादा स्टडी की जरूरत है.
HIGHLIGHTS
- मार्च के बाद फिर देश में बढ़ते नए कोरोना मामले डराने लगे हैं
- डॉक्टर्स का साफ कहना है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है
- पोस्ट कोविड स्वास्थ्य समस्याओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे