जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ( Jammu Kashmir Delimitation Commission ) की ओर से फाइनल रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव की उम्मीद तेज हो गई है. एकसमान जनसंख्या अनुपात बनाए रखने के लिए परिसीमन आयोग ने जम्मू कश्मीर क्षेत्र की अधिकतर विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से निर्धारित किया है. जम्मू में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 37 से बढ़ाकर 43 कर दी है. वहीं कश्मीर घाटी में 47 सीटें कश्मीर तय की गई हैं. इसके बाद केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ( BJP) को प्रदेश में राजनीतिक लाभ मिलने की बात कही जा रही है.
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में 111 सीटें थीं. 46 कश्मीर में, 37 जम्मू में और चार लद्दाख में. इसके अलावा 24 सीटें पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (Pok) में थीं. जब लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया तब सिर्फ़ 107 सीटें रह गईं. पुनर्गठन अधिनियम में इन सीटों को बढ़ाकर 114 कर दिया गया है. इनमें 90 सीटें जम्मू-कश्मीर के लिए और 24 पीओके के लिए हैं. परिसीमन आयोग का गठन 6 मार्च 2020 को किया गया. सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले इस आयोग में देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्र और देश के उप चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार सदस्य हैं.
कश्मीर घाटी में भी सीटें निकाल सकती है बीजेपी
परिसीमन आयोग की ओर से जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित नए सीट विभाजन ने बीजेपी को सरकार बनाने की उम्मीद दी है. चुनावी तारीखों की घोषणा से पहले ही बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र पर खास फोकस करते हुए तैयारी शुरू कर दी है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने जम्मू क्षेत्र की 37 में 25 सीटों पर जीत हासिल की थी. जम्मू-कश्मीर के बीजेपी सह-प्रभारी आशीष सूद ने बताया कि हम जम्मू क्षेत्र में 35 से 38 सीटें जीतने के लिए काम कर रहे हैं. इसके अलावा कश्मीर घाटी में भी कुछ सीटें जीत सकते हैं. जम्मू में मौजूदा नौ को हटाते हुए 15 नए निर्वाचन क्षेत्र बनाए गए हैं.
चुनाव की तैयारियों को धार देने में लगी बीजेपी
बीजेपी ने चुनाव को लेकर अपनी तैयारियों को धार देने के लिए 15 और 21 मई को जम्मू क्षेत्र के दो लोकसभा क्षेत्रों में बूथ कार्यकर्ताओं की दो बैठकें आयोजित करने वाली है. इसके साथ ही सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंचने और उनकी रैली निकालने पर भी काम कर रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में पीएम किसान से चार लाख किसान लाभान्वित हो रहे हैं. सूद ने बताया कि चार जिलों में शत-प्रतिशत पाइप से पानी का कनेक्शन है. विकास योजनाओं के तेजी से जमीन पर उतारा जा रहा है.
जनजातियों को सत्ता में सीधी भागीदारी से उम्मीद
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन किया गया था. परिसीमन आयोग ने प्रदेश में पहली बार नौ सीटों के लिए एसटी आरक्षण का प्रस्ताव रखा है. इससे भी बीजेपी को मदद मिल सकने की उम्मीद है. दरअसल जम्मू क्षेत्र के कुछ जिलों में गूजर बकरवाल आदिवासी आबादी अधिक है. बीजेपी प्रचारित करती है कि इस समुदाय को उसका वाजिब हक नहीं मिला. जम्मू में एसटी की पांच सीटें पड़ने से इन जनजातियों को सत्ता में सीधी भागीदारी मिलेगी. कश्मीर घाटी की उन चार एसटी सीटों पर भी बीजेपी को उम्मीद है कि फायदा होगा जहां इन जनजातियों की बड़ी संख्या हैं.
जीडी शर्मा समिति की सिफारिशों से भी फायदा
साल 2020 के अंत में हुए पंचायत चुनावों में कश्मीर घाटी में जिला विकास परिषद की तीन सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के यह पहला चुनाव था. पार्टी को लगता है कि आदिवासियों के अलावा इस क्षेत्र में पहाड़ी कहे जाने वाले स्थानीय समुदाय का भी उसे समर्थन मिल सकता है. पहाड़ियों को फिलहाल 4 फीसदी आरक्षण है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की ओर से गठित विभिन्न समुदायों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की जांच के लिए जीडी शर्मा समिति ने पिछले साल अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी. अगर सरकार रिपोर्ट को मान लेती है तो वह पहाड़ियों के लिए आरक्षण बढ़ा देगी.
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नए बदलावों से बीजेपी की उम्मीदों को लगे पंख
परिसीमन आयोग की सिफारिशों से होने वाले बदलावों के बाद जम्मू की 44 फीसदी आबादी 48 फीसदी सीटों पर मतदान करेगी. कश्मीर में रहने वाले 56 फीसद लोग बची हुईं 52 फीसद सीटों पर मतदान करेंगे. पहले की व्यवस्था में कश्मीर के 56 प्रतिशत लोग 55.4 प्रतिशत सीटों पर और जम्मू के 43.8 प्रतिशत में 44.5 प्रतिशत सीटों पर मतदान करते थे. अब नए परिसीमन के तहत जम्मू की छह नई सीटों में से चार हिंदू बहुल हैं. चेनाब क्षेत्र की दो नई सीटों में, जिसमें डोडा और किश्तवाड़ ज़िले शामिल हैं, पाडर सीट पर मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं. कश्मीर में एक नई सीट पीपल्स कॉन्फ्रेंस के गढ़ कुपवाड़ा में है, जिसे बीजेपी के क़रीबी के तौर पर देखा जाता है. कश्मीरी पंडितों और पीएके से विस्थापित लोगों के लिए सीटों के आरक्षण से भी भाजपा को मदद मिलेगी.
HIGHLIGHTS
- भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में राजनीतिक लाभ मिलने की उम्मीद
- जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार साल 1995 में परिसीमन किया गया था
- 2020 के पंचायत चुनावों में कश्मीर घाटी में 3 सीटों पर बीजेपी की जीत