इस साल की पहली छमाही में देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों ( Assembly Elections Result 2022) में चार में बड़ी सफलता और सरकार गठन के बाद अब भारतीय जनता पार्टी ( Bhartiya Janta Party) अगले चुनावों की तैयारी में लग गई है. आगामी विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों पर फोकस बीजेपी ने विभिन्न राज्यों में सांगठनिक बदलावों को प्राथमिकता की सूची में सबसे ऊपर रखा है. सबसे बड़े चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में इसको लेकर हलचल तेज हो गई है. यूपी बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर निचले स्तर के पदाधिकारियों को बदलने की कवायद शुरू हो गई है.
यूपी बीजेपी में बतौर प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह करीब 3 साल का अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. उनको मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में जगह भी मिल चुकी है. स्वतंत्रदेव का कार्यकाल 19 जुलाई तक है. बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के तहत जल्द ही यूपी प्रदेश अध्यक्ष का पद पर कोई चेहरा सामने आ सकता है. पार्टी के उच्च स्तरीय सूत्रों के मुताबिक एक-डेढ़ महीने के भीतर इस कवायद को पूरा किया जाएगा. प्रदेश टीम बनाना अध्यक्ष का बड़ा दायित्व होता है. इसलिए संगठन के बाकी पदों पर भी इसके साथ ही बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
लखनऊ और दिल्ली में बढ़ी नेताओं की आवाजाही
यूपी में सांगठनिक चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के अंदर बड़ी संख्या में नेताओं का फोकस अपना राजनीतिक-सांगठनिक समीकरण अनुकूल करने पर बढ़ गया है. इस मुहिम की वजह से बीजेपी नेताओं का प्रदेश मुख्यालय लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का चक्कर लगाना बढ़ गया है. हालांकि पहला और सबसे बड़ा सवाल प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर है. लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर तमाम जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए बीजेपी को एक ऐसे मजबूत चेहरे की तलाश है, जो उत्तर प्रदेश में चुनावी लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित हो सके.
जाति, क्षेत्र, छवि और परफॉर्मेंस पर व्यापक रिपोर्ट
लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बीजेपी कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है. इसलिए पार्टी आलाकमान व्यापक रिपोर्ट तैयार कर रहा है. बीजेपी और उसको अपना मानने वाले विभिन्न संगठनों की ओर से इसको लेकर कई नेताओं का सर्वे किए जाने की खबर भी सामने आई है. कई स्तरों से फीडबैक लेने के बाद ही आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष सहित संगठन में होने वाले फेरबदल पर अपनी मुहर लगाएगा. इसमें जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा नेता की छवि, परफॉर्मेंस, केंद्रीय टीम और प्रदेश में सरकार से नजदीकी वगैरह मुद्दों का भी ध्यान रखा जा रहा है.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता होगा अध्यक्ष
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लंबे समय तक जुड़ा रहा नेता हो सकता है. इसके अलावा संघ विचार परिवार के किसी महत्वपूर्ण अनुषांगिक संगठन जैसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े किसी नेता को भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाती सकती है. इसलिए इस बार भी प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सिफारिश पर बनेगा. संघ या उससे जुड़े अहम संगठन का बड़ा कार्यकर्ता होगा. इसके लिए सांगठनिक पृष्ठभूमि, सक्रियता और प्रभाव की समीक्षा भी की जाएगी.
ब्राह्मण चेहरे पर दांव या चौंकाने वाला होगा नाम
पार्टी सूत्रों के मुताबिक यूपी बीजेपी के अध्यक्ष पद के लिए फिलहाल प्रमुख रूप से चार ब्राह्मण नाम सामने आ रहे हैं. क्योंकि इस बार किसी ब्राह्मण चेहरे को संगठन के मुखिया का दायित्व दिए जाने की चर्चा है. इसकी वजह एक खास पैटर्न के माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव 2004 के दौरान केशरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे. वहीं लोकसभा चुनाव 2009 के दौरान रमापति राम त्रिपाठी के हाथ में उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान थी. लोकसभा चुनाव 2014 के वक्त मेरठ के रहने वाले पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे. वहीं हालिया लोकसभा चुनाव 2019 में महेंद्र नाथ पांडेय के हाथों उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान थी. इसका हवाला देते हुए एक दिग्गज नेता ने बताया कि इस बार भी ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
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अनुसूचित जाति के सांसद के नाम पर भी चर्चा
उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद पर ब्राह्मण चेहरे की ताजपोशी की अटकलों के बीच पूर्व सांसद जगदंबिका पाल समेत कई विधायकों और नेताओं ने प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री और ब्रज क्षेत्र के मथुरा से विधायक श्रीकांत शर्मा को सोशल मीडिया पर बधाई और शुभकामनाएं दे दीं. वहीं कुछ दिग्गजों ने प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा को भी प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा सकने की चर्चा की. इसके अलावा अलीगढ़ से दूसरी बार सांसद बने करीब 50 साल के सतीश गौतम का नाम भी आगे बताया जा रहा है. बीजेपी के अंदरखाने में किसी अनुसूचित जाति के वरिष्ठ कार्यकर्ता को भी प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व दिए जाने की बात हो रही है. इस समीकरण के मुताबिक विनोद सोनकर शास्त्री का नाम भी चर्चा में है. वहीं बीजेपी ( BJP ) अपनी रणनीति के तहत किसी और नाम आगे कर राजनीतिक माहिरों को चौंका भी सकती है.
HIGHLIGHTS
- लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश में BJP की तैयारी
- राज्यों में सांगठनिक बदलाव को BJP ने प्राथमिकता की सूची में सबसे ऊपर रखा
- यूपी BJP में प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई पदाधिकारियों को बदलने की कवायद शुरू