Advertisment

तू कौन मैं खामख्वाह... जम्मू-कश्मीर में पाक की मदद से थर्ड अंपायर बनने की सोच रहा है ब्रिटेन

तेज आर्थिक विकास दर और वैश्विक दबदबे के मामले में भारत द्वारा यूनाइटेड किंग्डम को लगभग पीछे छोड़ने के बावजूद ब्रिटेन अभी भी भ्रम का शिकार है. इस भ्रम की वजह से वह पाकिस्तान की मदद से अफगानिस्तान-पाक क्षेत्र में थर्ड अंपायर बनने की कोशिश कर रहा है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Asim Munir

जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान के नए आर्मी चीफ असीम मुनीर के इरादे संदिग्ध.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

विभाजन (Partition) के दौरान लाखों भारतीयों की जान लेने वाली उप-महाद्वीपीय हिंसा (Violence) के बीच ब्रिटेन से भारत (India) और पाकिस्तान को स्वतंत्रता प्राप्त हुए 75 साल हो चुके हैं. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में ब्रिटेन की तुलना में भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में आर्थिक विकास की सबसे तेज दर अपनाए हुए है. दूसरी तरफ पाकिस्तान (Pakistan) है जो आर्थिक लिहाज से विदेशी मुद्रा भंडार के रसातल में डॉलरों को खंगाल रहा है. इस सबके बावजूद ब्रिटेन अभी भी एक साम्राज्यवादी शक्ति होने का भ्रम में भारत के प्रति एक औपनिवेशिक मानसिकता पाले बैठा है. इस वजह से इस्लामवादी पाकिस्तान और रावलपिंडी जीएचक्यू के प्रति पारंपरिक पूर्वाग्रह के साथ अभी भी अफ-पाक क्षेत्र में अपनी गोटियां बिछाना चाहता है. यही वजह है कि ब्रिटेन की सरकारी ब्रॉडकास्टर सेवा बीबीसी (BBC Documentary) ने अपने विदेशी कार्यालय के निर्देशों पर 2024 के लोकसभा चुनावों (Loksabha Elections 2024) को ध्यान में रखते हुए भारतीय सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा पीएम मोदी को क्लीन चिट देने के बावजूद 2002 के गुजरात दंगों (Gujarat Riots) को उठाया. इस कड़ी में अब पाकिस्तान और ब्रिटेन की सेना ने संयुक्त रूप से इंग्लैंड में क्षेत्रीय स्थिरता सम्मेलन की मेजबानी करने का फैसला किया है. इस सम्मेलन में अन्य मसलों के अलावा कथित तौर पर कश्मीर विवाद पर चर्चा भी होगी. 

फरवरी में होने जा रहा यूके-पाक स्थिरीकरण सम्मेलन
यह तब है जब न तो यूके और न ही पाकिस्तान के पास केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हस्तक्षेप करने की कोई वजह मौजूद है. गौरतलब है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सरकार के निमंत्रण पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर 5-8 फरवरी के बीच विल्टन पार्क में 5वें संयुक्त यूके-पाक स्थिरीकरण सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं. विल्टन पार्क वास्तव में ब्रिटिश विदेश कार्यालय की एक कार्यकारी एजेंसी है, जो रणनीतिक चर्चाओं के लिए एक मंच प्रदान करती है. यूके के सेना प्रमुख जनरल पीएन वाई एम सैंडर्स द्वारा सह-मेज़बान किए गए इस सम्मेलन की विषयवस्तु 'दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता: भू-राजनीति और अन्य चुनौतियों की वापसी' है. सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध के यूरोपीय संघ, ब्रिटेन पर प्रभाव समेत इसके पाकिस्तान से जुड़े निहितार्थों पर विचार-विमर्श होगा. ब्रिटेन-पाकिस्तान चर्चा के अन्य विषयों में सूचना संचालन की भूमिका, युद्ध में साइबर हमला, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा चुनौतियां और कश्मीर विवाद पर एक अपडेट शामिल हैं. गौरतलब है कि पाकिस्तान आरएएफ विमानों की मदद से यूक्रेन को गुप्त रूप से हथियार और गोला-बारूद प्रदान किया है. यूक्रेन युद्ध में पाकिस्तान की दोहरी भूमिका को नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि 24 फरवरी 2022 को मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी का स्वागत किया था. उसी समय रूसी सेना ने पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण करने का फैसला किया था. 

यह भी पढ़ेंः Pariksha Pe Charcha 2023: PM मोदी बोले- खुद की स्मार्टनेस पर विश्वास करें, गैजेट्स की नहीं 

ब्रिटेन बार-बार पाकिस्तान के पक्ष में आया सामने
यहां यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को निरस्त करने का फैसला किया, तो ब्रिटेन ने भारत से अपनी चिंता व्यक्त की थी. साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच शांति बनाए रखने की वकालत भी की थी. गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के नए राजनीतिक-भौगोलिक हालातों के बीच यूके ने 16 अगस्त 2019 को संयुक्त राष्ट्र में अनुच्छेद 370 को लेकर दोहरा खेल खेला था. वह पाकिस्तान के सदाबहार भाई चीन और कुवैत के साथ चाहता था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कश्मीर मुद्दे पर चर्चा करे. यह अलग बात रही कि अमेरिका ने इस प्रयास से किनारा करते हुए साफ शब्दों में कहा भारत और पाकिस्तान द्विपक्षीय रूप से इस मामले पर चर्चा करें. उसी दिन दूसरे दौर की बैठक में भी यूके ने फिर से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पाकिस्तान के पक्ष में बात उठाई. इस आलोक में एक बार फिर अमेरिका और फ्रांस भारत के समर्थन में आए. पाकिस्तान के प्रमुख समर्थक चीन ने जनवरी 2020 में यूएनएससी में फिर से जम्मू-कश्मीर पर कुत्सित चाल चलनी चाही, लेकिन तब तक ब्रिटेन ने मोदी सरकार और अमेरिका के भारी दबाव में अपना रुख बदलने का फैसला कर इस मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय चर्चा की वकालत की. यही नहीं, यूएनएससी की 1267 प्रतिबंध समिति पर अमेरिका, फ्रांस और भारत के दबाव में जब पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को प्रतिबंधित करने की बात आई, तो भी यूके ने दोहरा खेल खेला. इस कड़ी में अब पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ अगले महीने तथाकथित कश्मीर विवाद पर चर्चा करके, यूके तीसरे अंपायर की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है, जिसके लिए कश्मीर से जुड़ी राजनीतिक-कूटनीतिक चौसर के नियमों के तहत कोई प्रावधान नहीं है.

यह भी पढ़ेंः  जेएनयू, जामिया के बाद अब डीयू में SFI बीबीसी डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर अड़ा  

ब्रिटेन की पाकिस्तान परस्तगी भारत को है पता
भले ही जनरल मुनीर और जनरल सैंडर्स दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा करेंगे, लेकिन तत्कालीन ब्रिटिश चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल निक कार्टर की भूमिका भी उस पर मंडरा रही होगी. निक कार्टर ने हत्यारे तालिबान को देश का लड़का कहा था और तत्कालीन पाकिस्तान आईएसआई प्रमुख फैज हमीद ने अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों विशेषकर महिलाओं को दबाव में लाने में भूमिका निभाई थी. यही नहीं, दोहा, कतर में तालिबान के साथ एक गुप्त समझौते को पकाने में दोनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके कारण 15 अगस्त 2021 को आततायी तालिबान ने हत्या और हिंसक संघर्ष के बीच काबुल पर कब्जा कर लिया था. जाहिर है कि ब्रिटेन ने स्पष्ट रूप से 18वीं शताब्दी के एंग्लो-अफगान युद्धों से कोई सबक नहीं सीखा था. यह काबुल को कट्टरपंथी सुन्नी पश्तून बल को सौंपने की अमेरिका को सलाह देने वाला प्रमुख सलाहकार था. तालिबान ने अफगानिस्तान पर काबिज होते ही उसे इस्लामिक अमीरात में बदल दिया, जिसमें महिलाओं या अल्पसंख्यकों की कोई भूमिका नहीं थी. इस लिहाज से देखें तो पूरे अफ-पाक क्षेत्र में इस्लामिक कट्टरवाद का श्रेय ब्रिटेन और पाकिस्तान को जाता है, जो आज डूरंड लाइन विवाद पर आईएसआई शैतान के बच्चे तहरीक-ए-तालिबान से पीड़ित है. टीटीपी पाकिस्तान के आतंकवादी जनरल मुनीर की सेना से नवीनतम अमेरिकी हथियारों के साथ संघर्षरत हैं.

यह भी पढ़ेंः Kangana Ranaut: फिल्म 'पठान' के नाम पर भड़की कंगना, 'जय श्री राम' के लगाए नारे

ब्रिटेन-पाकिस्तान दीवार पर लिखी इबारत पढ़ने से काट रहे कन्नी
यूके में अगले महीने होने वाले सम्मेलन में जनरल मुनीर से तथाकथित कश्मीर विवाद पर शाहबाज शरीफ सरकार की भावनाओं को आवाज देने की उम्मीद की जा रही है. वहीं मोदी सरकार के पास दोनों में से किसी के लिए भी समय नहीं है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर तेजी से विकास की डगर पर कदम उठा रहा है. भले ही इस बीच पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों और घाटी में उनके जमीनी कार्यकर्ताओं ने छिटुट हिंसा की वारदातों को क्यों न अंजाम दिया हो, जम्मू-कश्मीर अपने नए राजनीतिक दर्जे के साथ तेजी से आगे के रास्ते पर कदम बढ़ा रहे हैं. इस आलोक में स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि यूके और पाकिस्तान अभी भी कश्मीर को लेकर भ्रमित हैं. साथ ही अभी भी नए भारत की दीवार पर लिखी इबारत को नहीं पढ़ना चाहते हैं.

HIGHLIGHTS

  • पाकिस्तान और ब्रिटिश सेना प्रमुख इंग्लैंड में कर रहे क्षेत्रीय स्थिरता सम्मेलन
  • तमाम अन्य मसलों संग जम्मू-कश्मीर के हालातों पर भी होने वाली है चर्चा
  • ब्रिटेन पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो फिर निभाना चाहता है अफ-पाक क्षेत्र में भूमिका
PM Narendra Modi Loksabha Elections 2024 Supreme Court लोकसभा चुनाव 2024 INDIA pakistan पाकिस्तान भारत violence पीएम नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट गुजरात दंगे Gujarat riots britain partition ब्रिटेन हिंसा विभाजन BBC Documentary बीबीसी डॉक्यूमेंट्री
Advertisment
Advertisment