2 अक्टूबर 2014 को ही महात्मा गांधी की जयंती (Gandhi Jayanti) पर पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की तो यह आंदोलन बन गया. स्वच्छता आंदोलन का ऐसा असर हुआ कि अब बच्चे भी इसके प्रति इतने जागरूक हैं कि आप टॉफी का रैपर भी सड़क पर नहीं फेंक सकते, सबसे पहले आपका बच्चा ही टोक देगा. अब महात्मा गांधी की 100वीं जयंती यानी 2 अक्टूबर 2019 (100th Birth Anniversary Of Mahatma Gandhi) को एक और बड़े बदलाव के लिए तैयार हो जाएं.
2 अक्टूबर, 2019 को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 100वीं जयंती (100th Birth Anniversary Of Mahatma Gandhi) के दिन देशभर में सिंगल-यूज प्लास्टिक बैन (Single Use Plastic) होने जा रहा है. यानी सिंगल-यूज प्लास्टिक से बनने वाले 6 प्रोडक्ट्स- प्लास्टिक बैग (Plastic) , स्ट्रॉ, कप्स, प्लेट, बोतल और शीट्स बंद होने जा रही हैं. बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने साल 2022 तक भारत को सिंगल-यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) से फ्री करने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने इस साल लाल किले से अपने भाषण में देशवासियों से सिंगल-यूज प्लास्टिक(Single Use Plastic) के इस्तेमाल को बंद करने की अपील कर चुके हैं.
पीएम मोदी के इस सपने को पूरा करने के लिए मंत्रालय भी पूरा जोर लगा रहे हैं. सभी मंत्रालयों ने हाल ही में बैठक बुलाकर तय तय किया है कि सभी सरकारी विभाग और संस्थाएं 11 सितंबर से एक अभियान लॉन्च करके सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाएंगी.
क्या है सिंगल-यूज प्लास्टिक
ऐसा प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर वह डस्टबिन में चला जाता है. यानी इस्तेमाल करने के बाद फेंक दी जाने वाली प्लास्टिक ही सिंगल-यूज प्लास्टिक कहलाता है. इसे हम डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहते हैं. हालांकि, इसकी रीसाइक्लिंग की जा सकती है. इसका इस्तेमाल हम अपने रोजमर्रा के काम में करते हैं, जैसे- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी की डिस्पोजेबल कप्स आदि.
क्यों होने जा रहा है बैन
जलवायु परिवर्तन (climate change) और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के कारण खराब होते पर्यावरण दुनिया के लिए इस समय सबसे बड़ी चिंता है. ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है. कई लाख टन प्लास्टिक हर साल प्रोड्यूस हो रहा है, जो कि बायोडिग्रेडेबल नहीं है. इसे ऐसे समझें कि यह मिट्टी में नहीं घुलता-मिलता है. इसलिए दुनिया भर के देश सिंगल-यूज प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के लिए कठोर रणनीति बना रहे हैं.
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बता दें कि सिंगल यूज प्लास्टिक के सिर्फ 1/13वां हिस्से यानी लगभग 7.5 फीसदी की ही रीसाइक्लिंग हो पाती है. बाकी प्लास्टिक मिट्टी में दफन हो जाता है, जो पानी की सहायता से समुद्र में पहुंचता है और वहां के जीवों को नुकसान पहुंचाता है. अधिकांश प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं हैं और कुछ समय में प्लास्टिक टूटकर जहरीले रसायन भी छोड़ते हैं. ऐसे रसायन पानी और खाद्य सामग्रियों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं और गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं.
पानी में भी नहीं घुलता-मिलता है प्लास्टिक
ऐसा प्लास्टिक मिट्टी ही नहीं, पानी में भी समाप्त नहीं होता. ऐसे में लगातार प्लास्टिक उत्पादन से कई दक्षिण एशियाई देश प्लास्टिक के डंपिंग यार्ड बन गए हैं. यह मानव शरीर ही नहीं, बल्कि पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचा रहा है. यूएन इनवायरमेंट हेड Erik Solheim ने भी इस पर चिंता जाहिर की है. उनका कहना है कि दुनिया को प्लास्टिक के डंपिंग यार्ड बनने से बचाने के लिए मजबूत प्लान के साथ निपटना होगा.
भारत ने छेड़ दी है जंग
सरकार सिंगल-यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर जुर्माना भी लगाने वाली है, लेकिन यह कदम बैन के छह महीने बाद लिया जाएगा. ऐसा इसलिए ताकि उन्हें इसके विकल्पों को खोजने का मौका मिल जाए. देश के कुछ राज्य इससे पहले ही सिंगल-यूज प्लास्टिक की बिक्री, उपयोग और भंडारण पर बैन लगा चुके हैं.
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- भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट के मैनेजमेंट का कोई सिस्टम नहीं है.
- इसकी वजह से भारत के शहरों और गांवों से बड़ी मात्रा में प्लास्टिक अपशिष्ट निकलता है.
- एक अनुमान के मुताबिक 6 प्लास्टिक प्रोडक्ट के उपयोग पर प्रतिबंध से भारत में सालाना तौर पर खपत होने वाली 14 मिलियन टन में से मात्र 5 से 10 प्रतिशत पर ही रोक लगाई जा सकेगी.
- हालांकि बैन के शुरुआती 6 माह में जुर्माने में छूट दी जा सकती है.
- हालांकि प्लास्टिक उपयोग पर किस तरह का जुर्माना लगाया जाएगा. इसे लेकर फिलहाल कोई जानकारी सामने नहीं आयी है.
- अधिकारियों के मुताबिक सरकार की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को प्लास्टिक पैकेजिंग न करने का निर्देश दिया जा सकता है.
- बता दें कि सालाना उपयोग होने वाले प्लास्टिक प्रोडक्ट में करीब 40 प्रतिशत प्लास्टिक की खपत ई-कॉमर्स सेक्टर में होती है.
- सस्ती स्मार्टफोन कंपनियां और ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे Amazon.com Inc, Walmart Inc's, Flipkart अपने प्रोडक्ट, बुक, मेडिसिन को प्लास्टिक में लपेटकर भेजते हैं.
- अमेजन भारत में जून 2020 तक सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करेगी, इसके बदले पेपर कुशन काम में लिए जाएंगे.
- पिछले महीने फ्लिपकार्ट ने कहा था कि उसने सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल 25% कम कर दिया है. मार्च 2021 तक पूरी तरह रिसाइकल प्लास्टिक के इस्तेमाल की योजना है.
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- रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ रहा है, जो सबसे ज्यादा नुकसान समुद्र को पहुंचा रहा है.
- यहां करीब 50 प्रतिशत सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट पहुंचता है, जिससे मरीन लाइफ प्रभावित हो रही है और यह प्लास्टिक ह्यूमन फूड चेन तक पहुंचा रहा है.
- यूरोपियन यूनियन ने साल 2021 तक सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम जैसे स्ट्रा, फोर्क, चाकू और कॉटन बड्स का उपयोग पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य तय किया है.
- चीन के कॉमर्शियल हब शंघाई ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर साल 2025 तक पूर्ण प्रतिबंध का लक्ष्य तय किया है.
Source : नीरज तिवारी