चीन समझ ले यह 1962 नहीं, बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना की लद्दाख में हलचल बढ़ी

भारतीय और चीनी सेनाओं (Indo China faceoff) ने तीखी झड़प के करीब दो सप्ताह बाद आक्रामक रुख अपनाते हुए लद्दाख (Ladakh) में गलवान घाटी और पांगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है.

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Nihar Saxena
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Indo China Border Tension

चीनी सैनिकों ने टेंट गाड़े, तो भारतीय सेना ने भी जमावड़ा बढ़ाया.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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भारतीय और चीनी सेनाओं (Indo China) ने तीखी झड़प के करीब दो सप्ताह बाद आक्रामक रुख अपनाते हुए लद्दाख (Ladakh) में गलवान घाटी और पांगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है. सैन्य सूत्रों ने यह जानकारी दी. समझा जाता है कि भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. वहीं अमेरिका (America) ने कहा कि चीनी सैनिकों का आक्रामक व्यवहार चीन द्वारा पेश खतरे की याद दिलाता है. अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा कि उन्हें लगता है कि सीमा पर तनाव एक चेतावनी है कि चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी ही नहीं होती है. चाहे दक्षिण चीन सागर (South China Sea) हो या भारत के साथ लगी सीमा हो, हम चीन (China) द्वारा उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं. खुद एनएसए अजीत डोभाल (Ajit Doval) वहां की स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए हैं.

छह दशकों से विवाद का केंद्र है गलवान क्षेत्र
सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों ने पांगोंग झील के आसपास के क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति काफी बढ़ा दी और यहां तक ​​कि झील में अतिरिक्त नाव भी ले आए हैं. सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों ने डेमचौक और दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थानों पर अधिक सैनिक तैनात किए हैं. गलवान के आसपास का क्षेत्र पिछले छह दशकों से दोनों पक्षों के बीच विवाद का बिंदु रहा है. सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने गलवान घाटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में टेंट लगा दिए हैं. इसके बाद भारत ने भी इलाके में चौकसी बरतने के लिए अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं. सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने भारत द्वारा गलवान नदी के आसपास एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण पर आपत्ति जतायी है.

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4 मई को हुई थी हिंसक झड़प
पांच मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुयी. इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए. दोनों सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव पर न तो सेना और न ही विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है. समझा जाता है कि विवादित सीमा की रक्षा में आक्रामक रूख के बीच उत्तरी सिक्किम के कई इलाकों में भी अतिरिक्त सैनिकों को भेजा गया है. लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए टकराव को भले ही स्थानीय स्तर पर सुलझा लिया गया लेकिन मामला पूरी तरह शांत नहीं हुआ है. चीन ने सीमा पर बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती कर दी है.बड़ी तादाद में मोटर बोट भी तैनात किए हैं. हालात पर भारत के शीर्ष नेतृत्व की करीबी नजर है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और हर एक गतिविधियों की जानकारी ले रहे हैं.

ड्रैगन की गंदी नजर
चीन का यह खतरनाक खेल उस वक्त चल रहा है जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है और इससे निपटने में लगी है. कोरोना वायरस चीन से पूरी दुनिया में फैला और अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि वायरस के फैलने की अंतरराष्ट्रीय जांच हो और हजारों मौतों की जिम्मेदारी तय हो. चीन के खिलाफ इस मामले में 120 से अधिक देश एक हैं. ऐसे वक्त में चीन न सिर्फ जगह-जगह टकराव के जरिए इस मुद्दे से ध्यान भटका रहा है, बल्कि नेपाल को भी भारत के खिलाफ भड़का रहा है. माना जा रहा है कि लिपुलेख मामले में नेपाल को उकसाने में में चीन का ही हाथ है. हालांकि ऊपरी तौर पर बीजिंग प्रशासन ने लिपुलेख मामले को भारत-नेपाल का अंदरूनी मसला बताया है, लेकिन अदर ही अंदर वह नेपाल में भारत विरोधी लॉबी को खाद-पानी मुहैया करा रहा है.

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लद्दाख में चीन की तरफ से बढ़ी हलचल
भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच नोकझोक, टकराव आम बात है. सीमा पूरी तरह स्पष्ट नहीं है इसलिए पट्रोलिंग के दौरान जब भी दोनों देशों के सैनिकों का आमना-सामना होता है तो उनमें कभी हल्की तो कभी तीखी नोकझोक देखने को मिलती है, लेकिन इस बार का टकराव गंभीर रूप लेता जा रहा है. टकराव के बाद चीन ने अपनी ओर सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया है. चीन के सैनिक इस हफ्ते उसी क्षेत्र में सैन्य अभ्यास कर रहे थे. उस सैन्य अभ्यास में इस्तेमाल हो रहे भारी हथियारों, सैन्य साजोसामानों को भी चीन ने बॉर्डर पर तैनात कर दिया है. यह भी माना जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने पैंगोंग सो लेक के किनारे अपनी-अपनी पोजिशन भी ले ली है और मोटरबोट के जरिए आक्रामक गश्त कर रहे हैं. इतना ही नहीं, बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने जो अस्थायी ढांचा बना रखे थे, उन्हें भी नुकसान पहुंचाया गया है.

चीनी सैनिकों के बाद भारत ने भी बढ़ाई तैनाती
गलवान में जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव हुआ, वहां चीन के सैनिक अब भी तैनात हैं. जवाब में भारत ने भी सैनिकों के जमावड़े को बढ़ा दिया है. जो रिपोर्ट्स आ रही हैं, उनके मुताबिक गलवान में टकराव वाली जगह के करीब 4 किलोमीटर के दायरे में चीन ने अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है. सूत्रों ने बताया कि चीनी सैनिकों का संभावित निशाना दरबुकशियोक-दौलत बेग ओल्डी रोड हो सकता है, जिसे भारत ने पिछले साल बनाया है. यह रोड सब सेक्टर नॉर्थ के लिए जीवन रेखा की तरह है. हालांकि, चीन को किसी भी तरह की हिमाकत से रोकने के लिए भारत ने भी पर्याप्त संख्या में सैनिकों की तैनाती की है. सूत्रों ने बताया कि जमीनी स्थिति 1962 से जुदा है, जब चीनी सेना ज्यादा तादाद की वजह से बहुत भारी पड़ी थी.

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इलाके में पकड़ मजबूत कर रहा ड्रैगन
दोनों देशों के बीच विवाद को उच्च स्तर पर बातचीत के जरिए हल करने की कोशिशें जारी हैं. हालांकि चीनी मीडिया की हालिया टिप्पणियां बताती हैं कि चीन आक्रामक रुख अपना रहा है. चीनी मीडिया के मुताबिक चीन इलाके पर अपनी 'पकड़ मजबूत' कर रहा है. ताजा स्थितियों पर भारतीय पक्ष ने विस्तार से कोई टिप्पणी नहीं की है बल्कि यही कहा है कि विवादित सीमा पर इस तरह के टकराव होते रहते हैं और इन्हें बातचीत के जरिए लोकल स्तर पर ही निपटा लिया जाता है. लद्दाख में टकराव के बाद दोनों देशों ने टकराव वाली जगह और आस-पास के इलाके में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है जो अब दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गया है. जिस जगह पर टकराव हुआ था, वहां पर चीन की तरफ से 80 से ज्यादा टेंट लगाए जा चुके हैं. इसके अलावा चीन की तरफ से अस्थायी डिफेंसिव पोजिशन भी तैयार किए गए हैं. ऐसा माना जा रहा है कि चीन ने गलवान नदी के करीब री-इनफोर्समेंट भी तैयार कर रखा है.

HIGHLIGHTS

  • चीनी पक्ष ने गलवान घाटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में टेंट लगा दिए हैं.
  • चीनी सैनिकों के निशाने पर दरबुकशियोक-दौलत बेग ओल्डी रोड.
  • भारतीय सेना ने भी लद्दाख समेत कई जगह जवानों की संख्या बढ़ाई.
PM Narendra Modi Xi Jinping Ladakh tension ajit doval North Sikkim China India Tension Reinforcement
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