जैसा कि कई भारतीय सैन्य विशेषज्ञ पहले भी कह चुके हैं कि चीन एक साथ तीन मोर्चों पर किसी देश को दबाव में लेने की कोशिश करता है. इनमें से एक है उसकी सरकारी प्रोपेगंडा मशीन यानी ग्लोबल टाइम्स (Global Times) अखबार. अपनी इसी नीति के अनुरूप लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Valley) में सैन्य झड़प के बाद चीन (China) ने फिर अपने इस सरकारी अखबार के जरिए भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश की. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक अगर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन तनाव बढ़ा तो भारत (India) को चीन के अलावा पाकिस्तान (Pakistan) और नेपाल की सेना का भी दबाव झेलना पढ़ेगा. खासकर भारत-चीन सीमा संघर्ष के बाद पाकिस्तान में शीर्ष सैन्य कमांडरों की बैठक से इसे जोड़ कर देखें, तो ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी सेना बीजिंग की मदद कर सकती है. इस कड़ी में फिलहाल चीन की गोद में बैठा नेपाल (Nepal) भी पीछे नहीं रहेगा. गौरतलब है कि विगत दिनों नेपाली सेना ने भारतीय सीमा में काम कर रहे मजदूरों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया था.
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Opinion: US wants create an illusion that #India has the back of the US and other Western countries. Some Indian hawkish forces have become increasingly irrational in provoking conflict with China, partly resulting from US instigation and encouragement. https://t.co/WyXh1cMylC
— GT Opinion (@GtOpinion) June 18, 2020
भारत-चीन सीमा संघर्ष के पीछे अमेरिका
ग्लोबल टाइम्स ने प्रोपेगंडा का शुरुआत करते हुए हालिया सीमा संघर्ष पर लिखा है कि भारतीय सीमा पर इस विवाद के पीछे अमेरिका का हाथ है. भारत का इस समय चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ सीमा विवाद है. अगर भारत तनाव बढ़ाता है, तो वह दो या तीन मोर्चों से सैन्य दबाव का सामना कर सकता है. गौरतलब है कि सोमवार रात लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच सैन्य झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. बाद में अमेरिकी रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन के 35 सैनिक भी इस हिंसक झड़प में हताहत रहे हैं. अपने सैनिकों के मारे जाने या घयाल होने की सही संख्या नहीं देते हुए अखबार ने दावा किया है कि बीजिंग नहीं चाहता है कि उसके सैनिकों में भारत के प्रति गुस्सा पनपे. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सही संख्या नहीं दिखाकर चीन अपने नुकसान को कमतर दिखाने की कोशिश कर रहा है.
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तीन मोर्चों पर भारतीय सेना को लड़ना पड़ेगा युद्ध
गौरतलब है कि ग्लोबल टाइम्स में चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी सरकार का ही नजरिया होता है. ऐसे में अखबार कई दिनों से भारत को तरह-तरह से धमकाने वाले लेख प्रकाशित कर रहा है. अब उसने शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्च फैलो हू झियोंग का लेख छापा है. इसमें झियोंग ने कहा, 'फिलहाल, भारत का चीन के अलावा पाकिस्तान और नेपाल से भी सीमा विवाद चल रहा है. पाकिस्तान और चीन के करीबी रिश्ते हैं. नेपाल भी हमारा सहयोगी है. दोनों देश चीन के वन बेल्ट रोड प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं.' ग्लोबल टाइम्स झियोंग के हवाले से आगे लिखता है कि ऐसे में अगर भारत सीमा पर तनाव बढ़ाता है तो उसे तीन मोर्चों पर सैन्य दबाव का सामना करना पड़ेगा और उसकी सेनाओं के पास इतनी ताकत नहीं कि वह इस त्रिस्तरीय दबाव को झेल सके. दूसरे शब्दों में इसमें भारत की करारी शिकस्त हो सकती है.
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Opinion: The US regards #India as a key in the #IndoPacificStrategy. But New Delhi's principle of strategic autonomy is contrary to the "America First" policy. https://t.co/2DQQEvoxCQ
— GT Opinion (@GtOpinion) June 18, 2020
भारत पर उलटा आरोप लगा दी नसीहत
लेख में आगे कहा गया, 'भारत को यह तय करना चाहिए कि भविष्य में गलवान घाटी जैसी घटनाएं फिर न हों. चीन को कमजोर समझना भारत के लिए भारी पड़ सकता है. भारत सरकार को गलवान वैली मामले की जांच कराना चाहिए. जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा देनी चाहिए.' अखबार ने चीन के एक मिलिट्री एक्सपर्ट का बयान भी प्रकाशित किया है. हालांकि, उनका नाम नहीं बताया गया. इस बयान के मुताबिक, चीन ने अपने मारे गए या घायल हुए सैनिकों की संख्या या नाम इसलिए नहीं बताए क्योंकि इससे तनाव बढ़ सकता है. इसके साथ ही ग्लोबल टाइम्स की ओर से लगातार कई प्रोपेगेंडा वीडियो शेयर किए जा रहे हैं, जिसमें चीनी सेना अभ्यास करती दिख रही है. ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि पीएलए 81 सेना समूह की एक टुकड़ी ने संयुक्त अभ्यास शुरू किया है. इस अभ्यास का उद्देश्य नए उपकरणों का परीक्षण करना और प्रत्येक टीम के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है.
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A troop of the PLA 81 army group has begun a Combined Army Tactical Training. According to an artillery battalion commander, as the troop has upgraded its equipment, this exercise aims to test the new equipment and boost cooperation between each team. pic.twitter.com/jGGScTDBkW
— Global Times (@globaltimesnews) June 18, 2020
भारत को बताया था लापरवाह और अहंकारी
ग्लोबल टाइम्स ने इसके पहले अपनी संपादकीय में दावा किया था कि अहंकार और लापरवाही भारत-चीन सीमा पर विवाद का मुख्य कारण है. हाल के वर्षों में नई दिल्ली ने सीमा मुद्दों पर कड़ा रुख अख्तियार किया है जो कि दो गलतफहमियों पर आधारित है. पहला यह कि अमेरिका के साथ बढ़ते सामरिक दबावों के कारण चीन रिश्तों में खटास नहीं चाहता है और दूसरा कुछ भारतीय लोग गलती से ये मान बैठे हैं कि उनके देश की सेना चीन से ज्यादा मजबूत है. ये गलतफहमियां भारतीय विचारों को प्रभावित कर रही है जिससे उनकी चीन नीति पर दबाव बढ़ा है. वह आगे लिखता है कि भारत सीमा क्षेत्र में बड़े स्तर पर निर्माण कार्य कर रहा है और जबरन चीन की सीमा में भी निर्माण कर रहा है. बावजूद इसके के सीमा विवाद पर द्विपक्षीय वार्ता हो रही है.
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अमेरिका पर लगाया भारत को लुभाने का आरोप
संपादकीय के मुताबिक अमेरिका अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति के जरिए भारत को अपने खेमे में ले रहा है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक जब 2017 में डोकलाम में भारत ने चीन की संप्रुभता को चुनौती दी. इससे भारत के लोगों ने अपनी सरकार की तारीफ की. अखबार का कहना है कि इसका मतलब ये है कि चीन को लेकर भारत के संभ्रात वर्ग की मानसिकता खतरनाक और गलत है. संपादकीय की मानें तो चीन भारत से टकराव नहीं चाहता है और सीमा विवाद का हल बातचीत के जरिए चाहता है. अखबार ने धमकी भरे टोन में कहा है कि शांति की एवज में चीन अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं कर सकता है और नई दिल्ली के सामने सिर नहीं झुका सकता है. अखबार कहता है कि अमेरिका एक सीमा तक ही भारत की मदद करेगा और भारत-चीन संबंध को खराब करने पर मजबूर करेगा.
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#OnThisDay in 1967, China successfully detonated its first hydrogen bomb. China staunchly pursues a nuclear strategy of self-defense and is committed to the principle of non-first-use of #nuclear weapons. pic.twitter.com/jGiES6CxqT
— Global Times (@globaltimesnews) June 17, 2020
फिर दिखाया हाइड्रोजन बम का डर
इसके साथ ही ग्लोबल टाइम्स ने 967 में हाइड्रोजन बम के परीक्षण का वीडियो भी पोस्ट किया है. चीनी अखबार ने दावा किया कि ये हाइड्रोजन बम आत्मरक्षा के लिए हैं और उनका देश परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने के सिद्धांत पर कायम है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, 'आज ही के दिन वर्ष 1967 में चीन ने अपने पहले हाइड्रोजन बम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. चीन निष्ठापूर्वक आत्मरक्षा की परमाणु रणनीति पर काम करता है और परमाण हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति पर कायम है.' चीन के सरकारी अखबार ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण का वीडियो ऐसे समय पर पोस्ट किया है जब भारत और अमेरिका के साथ उसका तनाव चरम पर है.
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परमाणु हथियारों का सार्वजनिक प्रदर्शन कर रहा चीन
परमाणु हथियारों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था सिप्री की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अब अपने परमाणु हथियारों का सार्वजनिक तौर पर और ज्यादा प्रदर्शन कर रहा है. हालांकि चीन अपने परमाणु हथियारों के विकास के बारे में बहुत कम जानकारी साझा करता है. चीन पहले अपनी न्यूक्लियर ट्रायड की क्षमता को बढ़ा रहा है ताकि जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियारों को दागा जा सके. चीन ने नई जमीन और समुद्र से दागी जाने वाली मिसाइलें बनाई हैं और परमाणु हथियार ले जाने वाला एयरक्राफ्ट बनाया है. दुनिया में सुपर पावर बनने की महत्वाकांक्षा रखने वाला चीनी ड्रैगन अब बहुत तेजी से अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है.
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चीन के पास हैं 320 परमाणु हथियार
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और चीन दोनों ने ही पिछले साल अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में इजाफा किया है. हालांकि भारत के परमाणु हथियार चीन के आधे से भी कम हैं. सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास 150 और चीन के पास 320 परमाणु हथियार हैं. चीन ने पिछले एक साल में 30 परमाणु हथियार बढ़ाए हैं, वहीं भारत ने 10 एटम बम. उधर, पाकिस्तान अभी भी परमाणु हथियारों के मामले में भारत से थोड़ा आगे है. पाकिस्तान के पास कुल 160 परमाणु हथियार हैं. भारत के मुकाबले भले ही पाकिस्तान के परमाणु हथियार ज्यादा हों लेकिन भारतीय अधिकारी अभी भी अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को लेकर आश्वस्त हैं.
HIGHLIGHTS
- चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दी तीन मोर्चों पर युद्ध की धमकी.
- चेतावनी देते हुए कहा चीन से विवाद में पाकिस्तान-नेपाल भी कूद सकते हैं.
- साथ ही अपने परमाणु जखीरे खासकर हाइड्रोजन बम का भी दिखाया डर.