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Corona Lockdown: मालिक किरायेदारों पर और पुलिस मकान मालिकों पर 'हावी'

एक अनुमान के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में अलग अलग स्थानों पर ऐसे मामलों में करीब 15 एफआईआर दर्ज की गयीं. यह सभी एफआईआर लॉकडाउन के दौरान की ही हैं.

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Nihar Saxena
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कोरोना लॉकडाउन में किरायेदारों और मकान-मालिकों में चला 'खेल'.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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हुकूमतों ने दो टूक कह-समझा दिया कि, 'लॉकडाउन' (Lockdown) में मकान मालिक (Land Lords) किरायेदारों से किराया न वसूलें. इसके बाद भी तमाम के ऊपर इस फरमान की जूं नहीं रेंगी. मकान मालिक दबी जुबान ही, किरायेदारों (Tenants) को किराया देने के लिए धमकाने-डराने लगे. कुछ लोग मकान मालिक के डर से सब कुछ सहते रहे. कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने, मकान मालिकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. एक अनुमान के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में अलग अलग स्थानों पर ऐसे मामलों में करीब 15 एफआईआर दर्ज की गयीं. यह सभी एफआईआर लॉकडाउन के दौरान की ही हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले उत्तर पश्चिम दिल्ली जिले के मुखर्जी नगर थाना क्षेत्र में दर्ज हुए, क्योंकि यहीं सबसे ज्यादा शिकायतकर्ता (किरायेदार) सामने आकर पुलिस के पास पहुंचे.

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में सबसे ज्यादा मामले
किराये के लिए किरायेदारों के उत्पीड़न के लिए सबसे ज्यादा मामले मिले हैं, उत्तर पश्चिचमी जिले में. यहां अब तक 9 मामले दर्ज हो चुके हैं. इसकी पुष्टि जिला पुलिस उपायुक्त विजयंता आर्या खुद भी करती हैं. बकौल विजयंता आर्या, 'हांलांकि इलाकाई थाना पुलिस दिन-रात चौकसी बरतती है कि लॉकडाउन में, कहीं कोई मकान मालिक किराये के लिए किसी किरायेदार पर दबाब न बना पाये. चूंकि हमारे क्षेत्र में बहुतायत में पेंईग गेस्ट हाउस (पीजी) हैं. तमाम मकानों में कमरे लेकर प्रवासी छात्र-छात्राएं रह रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए भी यहां आकर रहने वालों की बहुतायत है. जिन शिकायतों में मकान मालिक पर आरोप सही लगे उनमें तुरंत एफआईआर दर्ज कर दी. कुछ मामलों में मकान मालिकों को समझाया गया तो वे मान-समझ गये.'

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छह महीने का एडवांस तक मांगा
मूलत: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले और डीयू से इंग्लिश ऑनर्स करने वाले एक छात्र ने आईएएनएस पहचान उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'मैं एक साल पहले ही दिल्ली में रहने आया. एक रुम में हम चार लड़के रह रहे हैं. शुरू में ही हमने लैंडलॉर्ड को 3 महीने का एडवांस किराया दिया था. उसी क्रम में सब कुछ नार्मल चलता चला आ रहा था. लॉकडाउन के दूसरे दौर में मकान मालिक हमसे छह महीने का अचानक किराया मांगने लगा, जबकि हमारे पास अभी बहुत आर्थिक तंगी है. पिता किसान हैं. लॉकडाउन खुलने पर जब पिता या बड़े भाई गांव से शहर जायेंगे तब बैंक में पैसे पड़ेंगे. तब मैं किराया दूंगा.' इसी छात्र ने आगे कहा, 'मैंने मकान मालिक को बहुत समझाया. वो नहीं माना. कहने लगा जो पैसे हैं वे ही जमा करा दो. तब मैं परेशान होकर थाने पहुंचा. पुलिस ने अब मकान मालिक से लिखित में माफी लिखवा ली है कि वो, हमसे लॉकडाउन के एक दो महीने बाद तक भी किराया नहीं मांगेगा.'

छात्राओं तक से बदसलूकी
इसी तरह तिमारपुर मुखर्जी नगर इलाके में एक कमरा किराये पर लेकर साझीदारी में रह रही उत्तर-पूर्व भारत की दो छात्राओं ने खुद की पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया, 'एक महीने से बार-बार मकान मालिक किराया जमा कराने का जोर दे रहे थे. मैंने मीडिया में काम करने वाले अपने दोस्त के पिता से बात की. उन्होंने मकान मालिक से बात की, तब मकान मालिक माने. वरना एक महीने का कम से कम एडवांस किराया मांगने पर अड़े थे.' डीसीपी बाहरी उत्तर जिला गौरव शर्मा के मुताबिक, 'जिले में ऐसी एक भी शिकायत नहीं मिली जिसमें, किसी मकान मालिक ने किसी किरायेदार से किराया मांगने की जबरदस्ती की हो.'

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दक्षिण दिल्ली में काम आया नुस्खा
दक्षिणी जिला डीसीपी अतुल कुमार ठाकुर के मुताबिक, 'हमने गली-गली घूम कर पहले ही मकान मालिकों को आगाह कर दिया था कि अगर इस विपत्ति में कोई भी किरायेदार थाने-चौकी पहुंच गया तो मुकदमा मकान मालिक के खिलाफ शर्तिया दर्ज कर दिया जायेगा. हमारी शुरूआती सख्ती का नतीजा है कि जिले के किसी भी थाने में इससे संबंधित एक भी एफआईआर दर्ज होने की नौबत ही नहीं आई. कुछ शिकायतें थाने चौकी आईं भीं, थाने-चौकी पहुंचते ही मकान मालिक कहने लगा कि वो किराया नहीं. लिहाजा मुकदमे का कोई मतलब नहीं बनता था. कोटला मुबारकपुर थाना क्षेत्र में भी एक मकान मालिक की शिकायत मिली थी. पता चला कि किरायेदार को परेशान करने की नीयत से मकान मालिक ने उसकी बिजली काट दी थी. जब बात थाने तक पहुंची तो मकान मालिक खुद ही किरायेदार से किराया न मांगने या फिर किसी और तरह से उत्पीड़न न करने का वायदा करने लगा। बात वहीं खतम हो गयी.'

मकान मालिक कर रहे किरायेदारों की मदद
दक्षिणी पूर्वी जिला डीसीपी आर.पी.मीणा ने कहा, 'शुरू में मकान मालिकों को गली-गली जाकर पुलिस का समझाया हुआ अभी तक कायम है. किसी भी किरायेदार ने कोई ऐसी शिकायत नहीं दी है, जिसमें मकान मालिक ने किराया मांगा हो या फिर किरायेदार का किसी और तरीके से उत्पीड़न किया हो.' पश्चिमी परिक्षेत्र की संयुक्त आयुक्त शालिनी सिंह के मुताबिक, 'मेरी रेंज के किसी भी जिले में अभी तक 50-52 दिन के लॉकडाउन में ऐसी नौबत नहीं आयी, जिसमें किसी मकान मालिक के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज करनी पड़ी हो. विशेषकर किरायेदार से जबरन किराया मांगने संबंधी. हमारे कुछ जिलों में जो देहात के क्षेत्र लगते हैं उनमें तो मकान मालिक किरायेदारों की और मदद करने में ही दिन रात जुटे हैं.' उल्लेखनीय है दिल्ली के पश्चिमी परिक्षेत्र के तीन जिलों द्वारका, पश्चिमी जिला और बाहरी दिल्ली जिला आते हैं. इन तीनों ही जिलों की सीमाएं हरियाणा बार्डर को जोड़ती हैं.

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पुलिस की धमकी काम आई
एक भी शिकायत न मिलने के पीछे की प्रमुख वजह बताते हुए डीसीपी गौरव शर्मा ने आगे कहा, 'जिले मे मौजूद हर थाने और थाने के हर बीट अफसर ने मकान मालिकों को खुले तौर पर समझा दिया था कि लॉकडाउन के दौरान किरायेदार से किराये के लिए जबरदस्ती करने वाले मकान मालिक को सीधे जेल भेजा जायेगा. शायद यही वजह हो.' डीसीपी गौरव शर्मा आगे बताते हैं, 'मैं खुद अब तक लॉकडाउन के दौरान 22 वीडियो काँफ्रेंसिंग मीटिंग जिले के उद्योगपतियों और बाकी तमाम एसोसियेशन के साथ कर चुका हूं. ताकि किरायेदार-मकान मालिक के बीच किराये को लेकर किसी तरह के झगड़े की शिकायतें आने की नौबत ही न आये.' इसी तरह रोहिणी जिले के डीसीपी प्रमोद कुमार मिश्रा ने कहा, 'बीट अफसर, एसएचओ और मकान मालिक को पहले ही बता दिया गया था कि किसी भी कीमत पर किरायेदार से लॉकडाउन में किराया मांगने की कोई शिकायत नहीं मिलनी चाहिए. अगर इस चेतावनी के बाद भी कोई मकान मालिक किराया मांगता दिखाई दे या शिकायत मिले तो एसएचओ को तुरंत मुकदमा दर्ज करने का निर्देश था. लिहाजा जिले में कोई ऐसी शिकायत अभी तक तो नहीं मिली है.'

Source : IANS/News Nation Bureau

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