Advertisment

कोरोना संक्रमण दे रहा है 24 करोड़ रोज का नुकसान, संकट में आया बनारसी साड़ी उद्योग

Corona Crisis: यह कुटीर उद्योग है. इसमें करीब एक लाख परिवार जुड़े हैं. अभी सब कुछ बंद है और इस कारण लगभग 24 करोड़ रुपये का प्रतिदिन नुकसान हो रहा है.

author-image
Nihar Saxena
New Update
Banarsi Saree Corona Virus

इस उद्योग को रोजाना करीब 24 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

Advertisment

बनारसी साड़ी (Banarsi Sari) की चमक पूरी दुनिया में है, मगर कोरोना वायरस (Corona Virus) ने लाखों चेहरों की चमक देने वाले इस कुटीर उद्योग पर ग्रहण लगा दिया है. पर्यटकों की बंद आवाजाही ने व्यापार को प्रभावित तो किया ही है, ग्रामीण इलाकों से आने वालों ने भी मुंह मोड़ लिया है. इस वजह से व्यापार पर असर हुआ है. इससे जुड़े लाखों श्रमिकों (Labour) के सामने संकट की स्थिति पैदा हो गई है. कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए किए सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच इस उद्योग को रोजाना करीब 24 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.

जुड़े हैं एक लाख परिवार
बनारसी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन के संरक्षक अशोक धवन ने बताया, 'यह कुटीर उद्योग है. इसमें करीब एक लाख परिवार जुड़े हैं. अभी सब कुछ बंद है और इस कारण लगभग 24 करोड़ रुपये का प्रतिदिन नुकसान हो रहा है.' उन्होंने बताया, 'हमारी करीब 6 हजार करोड़ रुपये की सलाना आय है. 250 दिन हमारी बिक्री होती है. 100 दिन धंधा बंद होता है. इसलिए हम देंखे तो करीब 24 करोड़ रुपये का नुकसान रोजाना हो रहा है. कृषि के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा रोजगार परक उद्योग है, जो बिना किसी सरकारी सहायता के चलता है. यह स्ववित्तपोषित रोजगार है. कोरोना के कारण अभी यह उद्योग बंद और इस कारण कई परिवार मुश्किलों से जूझ रहे हैं.'

यह भी पढ़ेंः 'मैं जायरा वसीम नहीं हूं कि जमात की धमकियों से डर जाऊंगी', बबीता फोगाट कायम

घरेलू बिक्री ज्यादा
उन्होंने बताया कि बनारसी साड़ी की सबसे ज्यादा डोमेस्टिक सेल है. भारत के सारे जिलों में यह बिकती है. शादी-विवाह में भी यह खूब बिकती हैं. धवन ने बताया, 'यहां कोई आर्डर और बुकिंग का सिस्टम नहीं चलता है. यहां ग्राहक आकर खुद माल ले जाता है. इसलिए शादियों से इसका सीधे कोई प्रभाव नहीं है. हालांकि शादी के सीजन में लोग इसे खूब लेते हैं.'

कोरोना से पूरा बाजार है सहमा
सिल्क ट्रेड एसोसिएशन के उपाध्यक्ष वैभव कपूर ने बताया, 'कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरा बाजार सहम गया है. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए हैं लेकिन सच्चाई यह है कि मार्च, अप्रैल मई का व्यापार खराब हो गया. इसके आगे अभी 6 माह तक उबरने में लगेगा. अभी लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस उद्योग को ठीक होने में काफी समय लगेगा.' उन्होंने बताया, 'यह व्यापार ज्यादातर पर्यटकों पर निर्भर है. दक्षिण भारत के बहुत सारे पर्यटक आते वह इसे खरीदते है, लेकिन कोरोना के संक्रमण के डर से यह बंद है'.

यह भी पढ़ेंः Indian Navy पर कोरोना वायरस का घातक अटैक, एक साथ 19 जवान संक्रमित

दक्षिण में है बड़ा बाजार
गौरतलब है कि दक्षिण में बनारसी साड़ी की बहुत बड़ी बाजार है. शादियां आगे बढ़ने के कारण करोड़ों का नुकसान हो जाएगा. होली में भी धंधा मंद रहा. इसके बाद नवरात्रि का सीजन ऐसे ही चला गया. गांवों में खपत बहुत है, लेकिन अवागमन बाधित होंने कारण वहां भी हालत ठप है. लॉकडाउन के बाद बाजार के हालात संभालने में समय लगेगा. अगला सीजन हमें दिवाली के आस-पास मिलने की संभावना है.

मार्च में ही धंधा हो गया मंदा
बनारस के साड़ी दुकानदार रामस्वरूप ने बाताया, 'शादी, त्यौहारों के सीजन आने पर बनारसी साड़ी की खरीददारी झूमकर होती रही है, लेकिन इस बार मार्च से साड़ी का धंधा मंदा हो गया है. पहले विदेशों में फैले इस कोरोना वायरस के कारण व्यापार फीका हो गया था. लेकिन इस बार 22 मार्च से कोरोना का कहर बाजारों पर टूट पड़ा. व्यापारी फरवरी में होली के साथ ही अप्रैल में आने वाले त्योहार को देखते हुए इसकी खरीददारी करते हैं लेकिन इस बार आशा टूट गयी.'

HIGHLIGHTS

  • कोरोना वायरस ने लाखों चेहरों की चमक देने वाले उद्योग पर ग्रहण लगाया.
  • बनारसी साड़ी उद्योग को रोजाना करीब 24 करोड़ रुपये का हो रहा नुकसान.
  • लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस उद्योग को ठीक होने में काफी समय लगेगा.
PM Narendra Modi covid-19 South India Corona Virus Lockdown labour Banarsi Sari Marriage Season
Advertisment
Advertisment