हरियाणा (Haryana) की शान साक्षी मलिक (Sakshi Malik)के पिता सुखबीर मलिक ( Sukhbir Malik) ने बेटियों के पिताओं को एक खत भेजा है. वह भी डॉटर्स डे (Daughter's Day 2019) के मौके पर. रविवार यानी 22 सितंबर को पूरे विश्व में डॉटर्स डे (Daughter's Day 2019) मना रहा. इस मौके पर रेसलर साक्षी (Sakshi Malik) मलिक के पिता ने जो खत भेजा है वह न केवल हरियाणा (Haryana) बल्कि देश के सभी फादर्स के लिए है. अगर आपके भी घर में किसी बच्ची की किलकारी गूंज रही हो तो निश्चित तौर पर यह खत आप तक पहुंच गया होगा. अगर नहीं पहुंचा तो सबसे पहले इस विडियो को देखें..
2:30 मिनट की यह एक शॉर्ट फिल्म उन सभी पिताओं के लिए है, जो बेटियों को पराया धन समझते हैं. बेटी को पराया धन समझने वाले ऐसे बाप उनके सपनों को कुचल देते हैं. वह भी तब जब देश में एक नारा गूंज रहा है ' बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' का. इस विडियो के जरिए यही बताने की कोशिश की गई है कि बेटी पढ़ेगी तो क्या-क्या करेगी?
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था ब्रेकथ्रू (breakthrough) द्वारा बनाया गया यह वीडियो सबसे पहले आप न्यूज स्टेट (Newsstate.com) पर देख रहे हैं. इस वीडियो को बनाने और इसे डॉटर्स डे (Daughter's Day 2019) पर ही रिलीज करने के पीछे क्या उद्देश्य है, इसके बारे में ब्रेकथ्रू की प्रेसीडेंट व सीईओ सोहिनी भट्टाचार्या कहती हैं कि आज भी देश में बेटियों को पराया धन माना जाता है. उनके सपनों को तोड़ दिया जाता है. हरियाणा (Haryana) की शान साक्षी मलिक के पिता के इस खत के जरिए हम बताना चाहते हैं कि बेटियों के सपनों को उड़ान दें, ये बेटों से भी ज्यादा काम करेंगी.
कौन है साक्षी मलिक
साक्षी के पिता सुखबीर मलिक डीटीसी में बस कंडक्टर हैं तथा उनकी माता सुदेश मलिक एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं. रोहतक के पास मोखरा गांव के एक परिवार में जन्मीं साक्षी ने बचपन में कबड्डी और क्रिकेट खेला, लेकिन कुश्ती उनका पसंदीदा खेल बन गया. उनके माता-पिता या उनको भी उस समय इल्म नहीं रहा होगा कि एक दिन वह ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला पहलवान बनेगी.
सुखबीर के इस भरोसे और सहयोग का ही नतीजा था कि साक्षी ने ओलंपिक में मेडल अपने नाम किया. 2016 के रियो ओलंपिक में कुश्ती का ब्रॉन्ज मेडल जीतकर साक्षी ने इतिहास अपने नाम कर दिया था. कुश्ती मे मेडल जीतने वाली वो भारत की पहली महिला पहलवान बनी थीं.