अमेरिका में तुफान डोरियन का कहर बरपा हुआ है. इससे प्रभावित लोगों की मदद में अब संयुक्त राष्ट्र भी आगे आया है. संयुक्त राष्ट्र ने पीड़ित लोगों के लिए एक मिलियन अमेरिकी डालर की सहायता राशि का ऐलान किया है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा डोरियन जिस तरह से आगे बढ़ रहा है, यह चिंता का विषय है. डोरियन की वजह से बहामास में अब तक 20 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
गुटरेस ने व्यक्त की संवेदना
गुटेरेस ने आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सरकार के नेतृत्व वाले बचाव और राहत प्रयासों का समर्थन करता है. उधर, संयुक्त राष्ट्र के राहत प्रमुख मार्क लोवॉक ने सरकारी नेताओं से मिलने और जीवन रक्षक सहायता अभियान को तेज करने के लिए बुधवार को द्वीप राष्ट्र की यात्रा की.
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बहामास में भयंकर तबाही
पिछले कई दिनों में बहामास में डोरियन तूफान ने भयंकर तबाही मचाई है. वहां इस तूफान से मरने वालो की संख्या अब 20 तक पहुंच गई है. बहामास में भीषण तबाही के बाद अब ये तूफान अमेरिकी की ओर रुख करने वाला है. यूएस नेशनल हरिकेन सेंटर ने इसको लेकर अलर्ट जारी किया है. यूएस नेशनल हरिकेन सेंटर (एनएचसी) के अनुसार डोरियन तूफान अभी जॉर्जिया से लगभग 100 किमी दक्षिण-पूर्व में सवाना के पास 11 किमी / घंटा की रफ्तार से उत्तर की ओर बढ़ रहा है. यूएस नेशनल हरिकेन सेंटर ने चेतावनी दी कि अगले कुछ दिनों में अमेरिका के दक्षिण-पूर्व और मध्य-अटलांटिक तटों के एक बड़े हिस्से के साथ महत्वपूर्ण तटीय इलाको में पहुंच जाएगा.
अमेरिका में बार-बार क्यों आ रहा हरिकेन
- जलवायु परिवर्तन लगतार आ रही तूफ़ान की बड़ी वजह बताया जा रहा है. जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय महासागरों का तापमान बढ़ने से सदी के अंत में बारिश के साथ भयंकर बारिश और तूफान आने की दर और बढ़ सकती है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासाके एक अध्ययन में यह बात सामने आई है.
- नासा ने समुद्री सतह के तापमान और गंभीर तूफानों की शुरुआत के बीच रिश्ते पर अध्ययन किया. समुद्र की सतह का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर गंभीर तूफान का खतरा होता है.
- जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स' में प्रकाशित अध्ययन में यह भी पाया गया कि समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण हर एक डिग्री सेल्सियस पर 21 प्रतिशत अधिक तूफान आते हैं.
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तूफानों का नामकरण
भारत और दुनिया भर के तटीय इलाके हमेशा चक्रवाती तूफानों से जूझते रहते हैं. चक्रवाती तूफानों को अलग-अलग जगह के हिसाब से अलग-अलग नाम दिया जाता है. साइक्लोन, हरिकेन और टाइफून, ये तीनों ही चक्रवाती तूफान होते हैं. उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी-पूर्वी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफान हरिकेन कहलाते हैं. उत्तरी-पश्चिमी प्रशांत महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों को टायफून और दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर में आने वाले तूफानों को साइक्लोन कहा जाता है. भारत में आने वाले चक्रवाती तूफान दक्षिणी प्रशांत और हिन्द महासागर से ही आते हैं इसलिए इन्हें साइक्लोन कहा जाता है.
तूफानों की उत्पत्ति
तूफान की उत्पत्ति तब होती है, जब समुद्री जल का तापमान 79 डिग्री फारेनहाइट (26.1 डिग्री सेल्सियस) से बढ़ जाता है. जैसे-जैसे गर्म जल वाष्प में बदलता और ऊपर वातावरण में पहुंचता है, यह ठंडी हवा से मिलकर प्रतिक्रिया करता है और तूफान के रूप में सामने आता है. उच्च तापमान से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है, जो आखिर में हवाओं की रफ्तार, बारिश और अन्य कारकों को प्रभावित करता है.
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अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तूफ़ान का असर
अमेरिका में 2017 में जबर्दस्त भयावहता वाले तीन तूफान आए थे. अमेरिका में समुद्र तूफान के 1900 से अब तक के पांच तबाही लाने वाले तूफानों में इन तीन को नुकसान के लिहाज से सबसे महंगा माना जाता है. मोटे-मोटे अनुमान के मुताबिक बीमित या गैर बीमित संपत्ति के लिहाज से अमेरिका को इन तीन तूफानों में ही सवा खरब डॉलर का नुकसान हुआ है.
किस तूफान में कितना नुकसान
- रीटा (2005) 23.5 बिलियन डॉलर
- विल्मा (2005) 24.3 बिलियन डॉलर
- इवान (2004) 27.1 बिलियन डॉलर
- आइक (2008) 34.8 बिलियन डॉलर
- एंड्रयु (1992) 47.8 बिलियन डॉलर
- ईरमा (2017) 50 बिलियन डॉलर
- सैंडी (2012) 70.2 बिलियन डॉलर
- मारिया (2017) 90 बिलियन डॉलर
- हार्वे (2017) 125 बिलियन डॉलर
- कैटरीना (2005) 160 बिलियन डॉलर
HIGHLIGHTS
- अगले कुछ दिनों में डोरियन अमेरिका में मचा सकता है भीषण तबाही.
- बहामास में डोकियन अब तक ले चुका है 20 लोगों की जान.
- अमेरिका में 2017 में आए तीन तूफानों ने लीली सवा खरब डॉलर.