इटली के इतिहास में बेहद निर्णायक माने जा रहे आम चुनाव के लिए रविवार को मतदान हो रहा है. माना जा रहा है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इटली पर धुर-दक्षिणपंथी सरकार का शासन होगा. यूरोजोन में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश इटली में आम चुनाव ऐसे समय हो रहे हैं, जब कोविड महामारी के बाद उसकी अर्थव्यवस्था कराह रही है. फिलवक्त इटली पर उसके सकल घरेलू उत्पाद का 150 फीसदी कर्ज हो गया है. 1946 से इटली में अब तक 67 सरकारें बन चुकी हैं. चुनाव पूर्व तमाम ओपिनियन पोल बता रहे हैं कि जिऑर्गिया मेलोनी (Giorgia Meloni) के नेतृत्व वाली ब्रदर्स ऑफ इटली (Italy) पार्टी आसानी से बहुमत हासिल कर लेगी. जिऑर्गिया अपने चुनाव प्रचार अभियान में राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने का वादा करती आई हैं. इसके साथ ही उन्होंने यूरोपीय संघ (European Union) के रूस पर लगाए गए ऊर्जा प्रतिबंधों का विरोध करने वाले हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन का भी समर्थन किया है.
- ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी को ओपिनियन पोल में जबर्दस्त बढ़त बताई गई है. इसे धुर-दक्षिणपंथी पार्टी माना जाता है, जिसका नेतृत्व 45 साल की जिऑर्गिया मेलोनी कर रही हैं. अगर ओपिनियन पोल की मानें तो इटली को जिऑर्गिया के रूप में पहली महिला प्रधानमंत्री मिलने जा रही है. जिऑर्गिया मेलोनी के राजनीतिक एजेंडे का आधार यूरोपीय संघ से अलगाव, अप्रवास विरोधी नीतियों और समलैंगिक-गर्भपात अधिकारों को दूसरे पायदान पर रखना है.
- स्वीडन में भी धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों के बढ़त बनाने के लगभग दो हफ्तों बाद इटली में मतदान हो रहा है. ऐसे में यूरोप के सभी देशों की निगाहें इटली चुनाव के परिणामों पर टिकी हुई हैं.
- इटली फिलवक्त ऊर्जा संकट के चलते आसमान छूती महंगाई से जूझ रहा है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोपीय संघ ने मॉस्को पर तमाम प्रतिबंधों समेत ऊर्जा प्रतिबंध भी लगाए हुए हैं. इस कारण ऊर्जा की किल्लत से महंगाई पर काबू पाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है.
- इस साल की शुरुआत में भूतपूर्व प्रधानमंत्री मारियो द्रागी की सरकार के गिर जाने के बाद इटली में आकस्मिक चुनाव कराए जा रहे हैं.
- जिऑर्गिया मेलोनी ने चुनाव के पहले ही धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों से गठबंधन किया है. इनमें भी साल्विनी और फ्रोजा इटैलिया पार्टी के प्रमुख और इटली के चार बार प्रधानमंत्री रहे सिल्वियो बर्लुस्कोनी प्रमुख हैं. गौरतलब है कि सिल्वियो बर्लुस्कोनी ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रशंसा की थी.
- जिऑर्गिया मेलोनी का सीधा मुकाबला वामपंथियों पार्टियों से है, जिनकी अगुवाई वामपथी डेमोक्रेटिक पार्टी कर रही है. इस गठबंधन में मध्यमार्गी पार्टियों का भी जमावड़ा है और ओपिनियन पोल में यह गठबंधन जिऑर्गिया मेलोनी से बहुत पीछे बताया जा रहा है.
- डेमोक्रेटिक पार्टी का नेतृत्व भूतपूर्व प्रधानमंत्री एनरिको लेट्टा कर रहे हैं, जिन्होंने यूक्रेन पर रूसी हमले का विरोध किया था. एनरिको को समलैंगिक अधिकारों के पैरोकार के तौर पर जाना जाता है.
- जिऑर्गिया मेलोनी 2006 से इटली के चैंबर ऑफ डिप्टीज की सदस्य हैं और चुनाव में उनकी जीत पक्की बताई जा रही है. जिऑर्गिया 2020 से यूरोपियन कंजर्वेटिव्स एंड रिफॉमिस्ट पार्टी की भी अध्यक्ष हैं.
- 1977 में रोम के के गारबेटेला में जन्मीं जिऑर्गिया मेलोनी ने किशोरावस्था से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में राजनीति शुरू कर दी थी.
- जिऑर्गिया 1998 से 2002 रोम की सभासद रही है. इसके बाद वह यूथ एक्शन की अध्यक्ष चुनी गईं.
- 2008 में जिऑर्गिया को बर्लुस्कोनी के मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया, जिसे उन्होंने 2011 तक निभाया.
- 2012 में मेलोनी ने एफडीआई की स्थापना की और 2014 में इसकी अध्यक्ष बन गईं.
- 2018 के आम चुनाव में जिऑर्गिया की पार्टी को महज चार फीसदी वोट ही मिले था. इस आमचुनाव में उनकी पार्टी को 24 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने की संभावना जताई गई है.
- मेलोनी की पार्टी पिछले 18 माह से एकमात्र विपक्षी पार्टी है. मेलोनी यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो को छोड़ने की कतई पक्षधर नहीं हैं. वह राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता पर रखने की बात अपने चुनाव प्रचार अभियान में करती आई हैं.
HIGHLIGHTS
- पिछले चुनाव में जिऑर्गिया मेलोनी की पार्टी को मिले थे महज 4 फीसदी वोट
- इस बार ओपिनियन पोल मेलोनी को 24 फीसदी वोट मिलने की बात कह रहे
- इटली को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मिलेगी धुर-दक्षिणपंथी पहली महिला पीएम