निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने गुरुवार को गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Asssembly Elections 2022) की तारीखों की घोषणा करते हुए बीते दो विधानसभा चुनाव की परंपराओं का भी पालन किया है. 2017 और 2012 में भी दो चरणों में ही गुजरात विधानसभा चुनाव हुए थे. साथ ही हिमाचल प्रदेश चुनाव की तारीख पहले घोषित की गई थी. यही इस बार भी हुआ है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने मीडिया ब्रीफिंग में इस बात का जिक्र भी किया. 2024 लोकसभा चुनाव के लिहाज से गुजरात विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए बेहद अहम हैं. इसका एक बड़ा फैक्टर तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) हैं. समय रहते हुए गुजरात विधान सभा चुनाव की अहमियत को समझते हुए बीजेपी ने न सिर्फ मुख्यमंत्री बदल दिया, बल्कि मंत्रिमंडल में भी फेरबदल कर सियासी समीकरण साधने की कोशिशें शुरू कर दी थीं. कहने को तो राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला है, लेकिन राजनीतिक पंडित बीजेपी और कांग्रेस (Congress) में सीधा मुकाबला देख रहे हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) को फिलवक्त 'वोटकटवा' बतौर ही देखा जा रहा है.
बीजेपी का वोट बैंक बढ़ा, मगर सीटें घटी 2017 में
अगर पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो दो दशकों में पहली बार भारतीय जनता पार्टी की जीती सीटों की संख्या दहाई के अंकों तक सिमट आई थी. गौरतलब है कि बीजेपी को 182 में से 99 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं. हालांकि बीजेपी के वोट बैंक में इजाफा हुआ था और उसे लगभग आधे वोट मिले थे. आंकड़ों की भाषा में बात करें तो 27 सालों से गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी को 49.05 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 41.44 प्रतिशट वोट मिले थे. 2017 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने पहली बार नरेंद्र मोदी के चेहरे के बगैर लड़ा था, जो अक्टूबर 2001 में पहली बार गुजरात के सीएम बने थे.
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इस बार आप बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ दिखाएगी दम-खम
2017 विधानसभा चुनाव से 2022 के चुनाव में एक अहम बदलाव आम आदमी पार्टी की उपस्थिति है, जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही को कड़ी टक्कर देने का दावा कर रही है. हालांकि माना जा रहा है कि आप कांग्रेस के वोट बैंक में ही सेंध लगाएगी. 2017 में तीसरी मजबूत पार्टी के न होने से मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही था. 3 निर्दलीय प्रत्याशियों ने एनसीपी और बीटीपी से ज्यादा वोट पाकर जीत दर्ज की थी. एनसीपी और बीटीपी को क्रमशः एक और 2 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि 2012 की तुलना में बीजेपी को 2017 में कम सीटों पर जीत मिली थी. 2012 में जब नरेंद्र मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री थे, बीजेपी ने 47.85 फीसद वोट हासिल कर 115 सीटों पर कब्जा किया था. 2012 में कांग्रेस 38.93 फीसदी वोट हासिल कर 61 सीट जीतने में सफल रही थी. 2017 चुनाव में भी कांग्रेस ने पाटीदार आंदोलन के बल पर अपने मत प्रतिशत में इजाफा किया था और बीजेपी की सीटों को दहाई के अंकों तक सीमित रख दिया था.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का दबदबा है बरकरार
2012 के बाद हुए दो लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने गुजरात में अपना दबदबा कायम रखा. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 60.1 फीसदी वोट हासिल कर 26 की 26 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. 2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपने वोट वैंक का दायरा बढ़ाया और 63.1 प्रतिशत मतदाताओं के वोट हासिल कर सभी सीटें अपने पास बरकरार रखी. 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 33.5 फीसदी वोट मिले थे, जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में उसका वोट बैंक खिसक कर 32.6 फीसदी पर आ गया. 2019 लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई थी.
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27 फीसदी गुजराती वोटर 'डबल इंजन सरकार' के पक्षधर
बीजेपी आलाकमान का 'डबल इंजन सरकार' का नारा कई राज्यों में रंग ला चुका है. गुजरात के संदर्भ में देखें तो 'डबल इंजन सरकार' का समर्थन आम मतदाताओं में बढ़ा है. पिछले दिनों हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 2022 में गुजरात के 27 फीसदी मतदाता 'डबल इंजन सरकार' के पक्षधर हैं. 2017 में 'डबल इंजन सरकार' के समर्थन में गुजरात के 16 फीसद मतदाता थे. केंद्र सरकार के मुखर विरोधी 17 फीसद मतदाता भी डबल इंजन सरकार के हिमायती हैं. बीते सर्वेक्षणों में भी एक रोचक तथ्य देखने में आया. जिन-जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार थी, वहां 'डबल इंजन सरकार' को भारी समर्थन मिला. असम (41 फीसदी), गोवा (34 फीसदी), उत्तर प्रदेश (31 फीसदी) और उत्तराखंड में 33 फीसदी 'डबल इंजन सरकार' के पैरोकार थे. इसके विपरीत जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में नहीं थी, वहां उसके इस नारे का असर कम दिखा. मसलन केरल में 54 फीसदी, तमिलनाडु में 40 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 33 फीसदी मतदाताओं ने इससे असहमति दिखाई.
HIGHLIGHTS
- 2012 और 2017 की तर्ज पर ही गुजरात में दो चरणों में पड़ेंगे वोट
- 2017 में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दे बीजेपी को दहाई अंकों पर रोका
- इस बार आम आदमी पार्टी के होने से कांग्रेस के लिए दिक्कतें बढ़ीं
Source : Nihar Ranjan Saxena