बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमा चुके लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता चिराग पासवान अभी बिहार जमुई से सांसद है. राजनीति दुनिया में आने से पहले वो हिंदी फिल्मो में हीरो बनने की जुगत में आए थे लेकिन उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित रही. फिल्मों में नाकाम होने के बाद उन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान के कदमों पर चलने का फैसला किया और राजनीति की दुनिया में आ गए. तो आइए आज जानते है कि आखिर कैसी रही चिराग पासवान की फिल्मी दुनिया से लेकर राजनीति मैदान तक का सफर.
जीवन परिचय
31 अक्टूबर 1982 में बिहार के खगड़िया में जन्मे चिराग राम विलास पासवान की दूसरी पत्नी रीना पासवान के बेटे है. उन्होंने अपनी अपनी पढ़ाई नई दिल्ली के नेशनल इंस्टि्टयूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की है. वहीं बुदेलखंड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक की पढ़ाई करने पहुंचे थे लेकिन यहां से उन्होंने तीसरे सेमेस्टर तक की ही पढ़ाई की. पढाई छोड़ने के बाद वो मुंबई अपना फिल्मी करियर बनाना आ गए, जहां उन्हें तनवीर खान का साथ मिला.
साल 2011 में फिल्म 'मिले न मिले हम' बॉक्स ऑफिस पर आई, जिसमें उनके साथ कंगना रनौत समेत सागरिका घाटगे और नीरु बाजवा नजर आए. बेहतरी कलाकर का साथ मिलने के बाद भी चिराग की ये फिल्म औंधे मुंह गिर पड़ी. फिल्म के असफल होने के बाद उन्होंने बॉलीवुड के सपने को त्याग कर अपने पिता रामविलास पासवान के साथ राजनीति में आ गए.
राजनीतिक सफर
कहते हैं लोकसभा चुनाव 2014 में एलजेपी (LJP)की जीत का श्रेय चिराग पासवान को ही जाता है. बताया जाता है कि 2014 के चुनाव में राम विलास फैसला नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें एनडीए के साथ जाना चाहिए या यूपीए. उस समय चिराग ने ही रामविलास को एनडीए के साथ जाने की सलाह दी थी.
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एनडीए के साथ गठबंधन के बाद एलजीपी बिहार की 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से उन्हें 6 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस चुनाव में चिराग पासवान जमुई लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, जहां उन्हें जीत मिली. लोकसभा चुनाव 2014 में एनडीए की जीत के बाद रामविलास पासवान को केंद्रीय मंत्री बनाया गया. वहीं चिराग भी कई संसदीय समितियों के सदस्य बने.