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चुनावी कोविड प्रोटोकॉल को लेकर इस बार कितना सख्त है चुनाव आयोग ? 

चुनाव आयोग ने कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के मामले में समाजवादी पार्टी को नोटिस जारी किया है. वहीं सपा से 24 घंटे में जवाब देने को कहा गया है. इससे आयोग ने साफ संदेश दे दिया है कि वह इस बार किसी तरह की नरमी के मूड में नहीं है.

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Vijay Shankar
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Covid Protocol

Covid Protocol ( Photo Credit : File)

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Election Covid Protocal : देश में कोरोना लहर (Corona Peak) एक बार फिर से पीक पर है. देश के अलग-अलग राज्यों से कोविड केसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. चुनाव आयोग (Election Commission) ने एक बार फिर से पांच चुनावी राज्यों में फिजिकल रैलियों पर प्रतिबंध 22 जनवरी तक बढ़ा दिया है. चुनाव आयोग ने रोड शो (Road Show), रैली, पद यात्रा, साइकिल और स्कूटर रैली की इजाजत नहीं देने का फैसला किया है और सिर्फ वर्चुअल रैली (Virtual Rally) के जरिए ही चुनाव प्रचार की इजाजत दी है. फिलहाल चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले कुछ प्रतिबंधों में ढील जरूर दी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इन सभी राज्यों में कोविड प्रोटोकॉल का शत-प्रतिशत पालन किया जाएगा. फिलहाल सपा की रैली में ही कोविड उल्लंघन का मामला सामने आ चुका है. वर्चुअल रैली के नाम पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गईं और किसी भी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं हुआ. हालांकि संज्ञान में आते ही चुनाव आयोग ने पार्टी को नोटिस भेजकर जवाब देने को कहा है. फिलहाल आयोग के इस कदम से यह साफ है कि वह इस बार नरमी के मूड में नहीं है. 

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इस बार शुरू से ही चुनाव आयोग सख्ती के मूड में

चुनाव आयोग ने कोविड-19 नियमों के उल्लंघन के मामले में समाजवादी पार्टी को नोटिस जारी किया है. वहीं सपा से 24 घंटे में जवाब देने को कहा गया है. इससे आयोग ने साफ संदेश दे दिया है कि वह इस बार किसी तरह की नरमी के मूड में नहीं है जो पिछले साल चुनाव के दौरान देखे गए थे. चुनाव आयोग फिजिकल रैली को लेकर पूरी तरह नजर रख रही है. यूपी चुनाव के दौरान नेता भी मतदाताओं के घर-घर पहुंचकर प्रचार कर रहे हैं. फिलहाल चुनाव आयोग ने चुनावी कोविड प्रोटोकॉल को लेकर साफ संदेश दे दिया है.  

बंगाल चुनाव के दौरान दिखी थीं लापरवाही

बंगाल में राजनीतिक दलों की रैलियों और चुनाव अभियान के दौरान न तो कहीं किसी के चेहरे पर मास्क नज़र आया था और न ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन दिखाई दिया था. उस दौरान कोरोना के बढ़ते मामले के बावजूद कोविड के नियमों का पालन नहीं किया गया था. बड़ी संख्या में लोग रैलियों में इकट्ठे नजर आए थे. इसके अलावा भी अन्य राज्यों में हुए चुनाव के दौरान कोविड के नियमों का उल्लंघन साफ देखा गया था. कोविड के दौरान चुनाव होने पर किसी नेता पर कोविड प्रोटोकॉल तोड़ने पर कोई कार्रवाई तक नहीं की गई थी.  

कोविड प्रोटोकॉल अगस्त 2020 में बनाया था

चुनाव आयोग ने सबसे पहला कोविड प्रोटोकॉल अगस्त 2020 में बनाया था. इसकी शुरुआत बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान हुई थी. बिहार, भारत का पहला राज्य था, जहां कोरोना महामारी के दौरान चुनाव कराया गया था. अलग-अलग उपचुनावों में भी इसी प्रोटोकॉल को लागू किया गया. पिछले साल पांच राज्यों में चुनाव चुनाव हुए, लेकिन सभी राज्यों कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ती देखी गई.

सख्ती के साथ-साथ आयोग ने दी ढील

चुनाव आयोग ने फिजिकल रैलियों पर प्रतिबंध 22 जनवरी तक बढ़ा दिया है. इस दौरान  चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को अधिकतम 300 व्यक्तियों या हॉल की क्षमता के 50 प्रतिशत के साथ इनडोर बैठकें करने की अनुमति दी है. इसके अलावा चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के प्रावधानों और COVID के व्यापक दिशानिर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है. चुनाव आयोग फिजिकल रैलियों पर पूरी तरह नजर रख रही है. फिलहाल चुनाव आयोग ने कोविड-19 स्थिति को देखते हुए पांच चुनावी राज्यों में फिजिकल रैलियों पर प्रतिबंध 22 जनवरी तक बढ़ा दिया है. इससे पहले पिछले हफ्ते चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में 15 जनवरी तक फिजिकल रैलियों, रोड शो और कॉर्नर मीटिंग पर प्रतिबंध लगा दिया था. 

HIGHLIGHTS

  • चुनाव आयोग ने चुनावी राज्यों में फिजिकल रैलियों पर प्रतिबंध 22 जनवरी तक बढ़ाया
  • सपा को नोटिस भेजकर इस बार शुरू से सख्ती के मूड में दिख रहा चुनाव आयोग 
  • बंगाल में राजनीतिक दलों की रैलियों के दौरान नहीं हुआ था नियमों का पालन
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