प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान बुधवार को सुरक्षा में चूक के चलते फिरोजपुर रैली रद्द करनी पड़ी. हुसैनीवाला की अपनी तय यात्रा को छोड़कर पीएम मोदी को बठिंडा एयरपोर्ट लौटना पड़ा. इसके बाद उनका सुरक्षा में चूक को लेकर बड़ी बहस छिड़ गई. केंद्रीय गृह मंत्रालय पंजाब सरकार से रिपोर्ट तलब की है. प्रशासनिक और राजनीतिक बहसों-चर्चाओं के बीच पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी याद की गई. सुरक्षा में सेंध की वजह से ही उनकी जान गई थी और आज के दिन यानी 6 जनवरी 1989 को ही उनके हत्यारे सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी दी गई थी. आइए, इस पूरे मामले के बारे में जानते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दो बॉडीगार्ड्स बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को गोलियों से छलनी कर उनकी हत्या कर दी थी. ये दोनों खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रभाव में आकर इंदिरा गांधी की ओर से चलाए गए 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' से गुस्से में बताए जा रहे थे. हत्याकांड में शामिल तीसरा शख्स केहर सिंह ने गोली नहीं चलाई थी, बल्कि उसे हत्याकांड की पूरी प्लानिंग की थी. इंदिरा गांधी पर गोलियां चलाने वाले बेअंत सिंह को सुरक्षा बलों ने मौके पर ही ढेर कर दिया था.
एक हत्यारा मौके पर ही ढेर
प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर निकलकर इंदिरा गांधी अधिकारियों से चर्चा कर रही थीं. इसी दौरान अचानक उनकी सुरक्षा में तैनात सिक्योरिटी गार्ड बेअंत सिंह ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से उन पर तीन गोलियां चलाईं. घटना 31 अक्टूबर 1984 को सुबह करीब 9 बजे घटी थी. सतवंत सिंह ने भी ऑटोमैटिक कार्बाइन की सभी 25 गोलियां इंदिरा गांधी के ऊपर झोंक दी. गोलियों से छलनी इंदिरा गांधी को तुरंत एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया गया. डॉक्टरों ने लगभग 4 घंटे बाद यानी दोपहर 2 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया. बेअंत सिंह और सतवंत सिंह को बाकी सुरक्षाकर्मियों ने मौके पर ही पकड़ लिया. भागने की कोशिश में बेअंत सिंह मारा गया. हत्या की साजिश रचने वाले केहर सिंह को बाद में गिरफ्तार किया गया. एक अन्य आरोपी बलवंत सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था.
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क्या था ऑपरेशन ब्लू स्टार
पंजाब में अमृतसर स्थित सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ सेना की मदद से इंदिरा गांधी के चलाए गए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ में सैकड़ों लोगों की जान गई थी. सिख अतिवादियों ने इसे मंदिर के अपमान के तौर पर भी प्रचारित किया था. हत्यारे इंदिरा गांधी से इसी का बदला लेना और देश में दहशत फैलाना चाहते थे. मुकदमे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सतवंत सिह और केहर सिंह को फांसी की सजा सुनाई. 6 जनवरी 1989 को तिहाड़ जेल में इसको अमली जामा पहनाया गया. जेल प्रशासन ने फांसी के बाद दोनों के शव उनके परिजनों को नहीं दिए.
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याद और फिक्र क्यों जरूरी
लगभग 32 साल बाद इस घटना की याद और इसकी चर्चा इसलिए भी जरूरी हो गया कि बीते दिन पंजाब में ही पीएम मोदी के काफिले को एक फ्लाइओवर पर लगभग 20 मिनट तक रुकना पड़ा. इसे सुरक्षा से समझौता करार देते हुए बहस तेज हो गई. जिस जगह ये घटना हुआ वह पाकिस्तान से लगती सीमा से करीब 30 किलोमीटर बताया गया है. साथ ही पंजाब में एक बार फिर से खालिस्तानी सुगबहुगाहट की खुफिया रिपोर्ट्स सामने आई है. किसान आंदोलन के हिंसक होने और बेअदबी मामले में हिंसा के बाद सीमा वाले राज्य पंजाब में सुरक्षा को लेकर हलचल तेज है. इसके साथ ही करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भी सावधानी बरतने की बात बार-बार कही जा रही है. इन सबसे बढ़कर इस संवेदनशील राज्य में अगले कुछ महीने में ही विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. वहीं, देश की सिख कम्यूनिटी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल की खबर लगातार सामने आ रही है.
HIGHLIGHTS
- 6 जनवरी 1989 को इंदिरा गांधी के हत्यारे सतवंत सिंह और केहर सिंह को फांसी
- पंजाब में एक बार फिर से खालिस्तानी सुगबहुगाहट की खुफिया रिपोर्ट्स सामने आई
- संवेदनशील राज्य पंजाब में अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं