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कभी नीतीश कुमार के स्टाफ में थे RCP सिंह, केंद्रीय मंत्री बन आंख दिखाई तो JDU ने कर दी छुट्टी

नीतीश कुमार पर आरसीपी सिंह के माध्यम से नालंदा क्षेत्रवाद और कुर्मी जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते थे. इसकी वजह से उन्हें अक्सर आरसीपी सिंह के लिए ढाल बनना पड़ता था. लेकिन जब आरसीपी का बीजेपी...

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Shravan Shukla
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RCP Singh NitishKumar LalanSingh

RCP Singh-Nitish Kumar-Lalan Singh( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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...तो आरसीपी सिंह फाइनल राउंड में उस ललन सिंह से पिछड़ गए, जो नीतीश कुमार के साथ जुगलबंदी में हमेशा उनके आस-पास ही रहे. हालांकि आरसीपी सिंह जेडीयू अध्यक्ष भी रहे. लेकिन ललन सिंह के साथ तनाव तब बढ़ा, जब बीजेपी ने जेडीयू के लिए सिर्फ एक ही मंत्री पद छोड़ा और उस पर भी आरसीपी सिंह ने कब्जा कर लिया. इसी के बाद उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद भी छोड़ना पड़ा. और जैसे ही उन्होंने पद छोड़ा, वैसे ही ललन सिंह जेडीयू के अध्यक्ष बन गए. इसी के बाद शुरू हुई राज्यसभा की ऐसी कहानी, जिसमें ललन सिंह ने आरसीपी सिंह को 'चेक'मेट कर दिया. 

ये सारी कहानी क्यों बताई गई? ताकि पता चले कि आखिर माजरा क्या है. मामला जुड़ा है राज्यसभा चुनाव से. जेडीयू के पास इस बार संख्या बल कम होने के चलते सिर्फ एक सीट की ताकत बची थी. जेडीयू ने इस सीट पर झारखंड जेडीयू अध्यक्ष खिरू महतो को राज्यसभा भेजने का फैसला कर लिया. जबकि मौजूदा मोदी सरकार में जेडीयू के इकलौते कोटे के मंत्री आरसीपी सिंह की राज्यसभा सदस्यता अगले महीने खत्म हो रही है और बिना संसद की सदस्यता के उनका मंत्री बने रहना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार और जेडीयू के मौजूदा अध्यक्ष ललन सिंह ने ये फैसला किया है कि आरसीपी सिंह ने काफी कुछ 'पा' लिया है. अब दूसरों को 'पाने' का मौका दिया जाए. खुद ललन सिंह ने भी खिरू महतो की उम्मीदवारी घोषित करते समय यही बात कही. उन्होंने कहा, 'आरसीपी सिंह दो-दो बार राज्यसभा सांसद रहे. क्या हमेशा एक ही व्यक्ति राज्यसभा जाएगा? बाकियों को भी तो मौका मिलना चाहिए'. चूंकि एक दिन पहले ही नीतीश-ललन-आरसीपी सिंह की मुलाकात हुई थी. ऐसे में किसी को उम्मीद नहीं थी कि आरसीपी सिंह का पत्ता कट जाएगा. तो ऐसे में क्या हम ये मान सकते हैं कि आरसीपी के दिन पूरे हुए?

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ललन-नीतीश की जोड़ी ने किया 'चेक' मेट?

राजनीतिक हलकों में इस बात की खासी चर्चा है कि आरसीपी सिंह की विदाई तय करने में उनकी बीजेपी से नजदीकी भी एक वजह रही. दरअसल, मोदी सरकार में जेडीयू का कोटा बढ़वाने के लिए नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को ही जिम्मेदारी सौंपी थी. वो पार्टी अध्यक्ष भी थे. राज्यसभा सांसद भी थे. लेकिन मोदी सरकार को वो मना नहीं पाए. चूंकि दो मंत्री पद मिलने की सूरत में आरसीपी सिंह और ललन सिंह दोनों ही केंद्रीय मंत्री बनते, लेकिन आरसीपी सिंह बीजेपी को झुका नहीं पाए और खुद केंद्रीय मंत्री बन कर बीजेपी से नदजीकी दिखाने लगे. इसके अलावा जेडीयू का अध्यक्ष पद भी उन्हें छोड़ना पड़ा. और फिर एक साल के भीतर ही कुछ ऐसा हुआ कि उनकी हर तरफ से विदाई हो गई. दरअसल, इन सबमें अगर किसी एक व्यक्ति का फायदा है, तो वो हैं ललन सिंह. आरसीपी सिंह की विदाई से ललन सिंह को जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्री का पद मिल सकता है. इसके साथ ही नीतीश कुमार के 'इगो' को भी कुछ हद तक सुकून पहुंचा होगा. 

नीतीश कुमार के खास सहयोगी रहे थे आरसीपी सिंह

आरसीपी सिंह उत्तर प्रदेश काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें यूपी के ही कुर्मी नेता रहे बेनी प्रसाद वर्मा ने नीतीश कुमार से 'मिलवाया' था. बिहार में नीतीश कुमार के सत्ता संभालने के बाद आरसीपी लंबे वक्त तक उनके प्रधान सचिव रहे थे. नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के निवासी आरसीपी सिंह भी कुर्मी जाति से आते हैं. राजनीति में आने के लिए उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी और साल 2010 में जेडीयू में शामिल हुए थे. तब उन्हें नीतीश कुमार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर बैठाया गया था. हालांकि नीतीश कुमार पर आरसीपी सिंह के माध्यम से नालंदा क्षेत्रवाद और कुर्मी जातिवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते थे. इसकी वजह से उन्हें अक्सर आरसीपी सिंह के लिए ढाल बनना पड़ता था. लेकिन जब आरसीपी का बीजेपी के प्रति झुकाव बढ़ने लगा और वो जेडीयू के लिए बीजेपी से सही मोलतोल नहीं कर पाए और खुद के लिए मंत्रालय लेकर चुप हो गए, तो फिर नीतीश कुमार शांत कैसे बैठ सकते थे? वैसे भी, नीतीश कुमार के बारे में कभी लालू यादव कहा करते थे, 'उसके तो पेट में भी दांत है'.

HIGHLIGHTS

  • नीतीश कुमार के पेट के दांतों ने दिखाया कमाल?
  • बीजेपी ने नजदीकी पड़ी आरसीपी सिंह पर भारी?
  • ललन सिंह को वो सबकुछ मिलेगा, जो वो चाहते थे!
JDU नीतीश कुमार राज्यसभा चुनाव आरसीपी सिंह
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