जयपुर के पास टोंक के एक गांव में जन्मे इरफान खान (Irrfan Khan) की मां सईदा बेगम का ताल्लुक शाही घराने से था. हालांकि उनके पिता जागीरदार खान ने अपनी हैसियत खुद बनाई थी. इरफान की रगों में अपने पिता का यही गुण यानी खुदमुख्तारी हिलोरे लेता था. भाई-बहनों में सबसे बड़े इरफान ने पिता के इंतकाल के बाद एनएसडी (NSD) में दाखिला लिया. अभिनय में कोर्स करने के बाद वह अपने तेवरों के साथ मायानगरी में हाथ आजमाने चले आए. किसी अन्य संघर्षरत कलाकार की तरह इरफान ने भी छोटे पर्दे पर अभिनय पारी शुरू की.
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छोटे पर्दे का संघर्ष
दूरदर्शन पर 'चाणक्य', 'भारत एक खोज', 'सारा जहां हमारा', 'बनेगी अपनी बात', 'चंद्रकांता', 'श्रीकांत', 'अनुगूंज' के साथ निजी सैटेलाइट चैनलों के दौर में 'स्टार बेस्टसेलर', 'स्पर्श', 'डर' आदि में काम किया. फिल्मों में उन्हें पहला ब्रेक 1988 में मीरा नायर ने अपनी ऑस्कर नॉमिनेटेड फिल्म 'सलाम बॉम्बे' में दिया. यह अलग बात है कि उनके रोल पर कैंची चल गई. दूसरे शब्दों में इरफान का संघर्ष जारी रहा, जब तक आसिफ कपाड़िया ने उन्हें 'द वॉरियर' में मौका नहीं दिया. इस फिल्म को तमाम अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में मिली प्रशंसा के बाद आई 'रोड टू लद्दाख' को भी कई फिल्म समारोहों में क्रिटिकल च्वाइस अवार्ड मिले. इसके बाद तो इरफान के अभिनय की गाड़ी चल निकली. बॉलीवुड में दमदार आवाज और संवादों के बल पर मिली पहचान के बाद मीरा नायर के साथ आई ब्रिटिश प्रोडक्शन की 'द नेमसेक' और फिर हॉलीवुड के डैनी बॉअल की 'स्लमडॉग मिलेनियर' ने उन्हें पश्चिम में भारतीय चेहरे बतौर स्थापित कर दिया.
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पश्चिम में बने 'ए माइटी हार्ट'
इस बीच इरफान की बॉलीवुड में 'रोग' प्रदर्शित हो चुकी थी. इसके पहले विशाल भारद्वाज की प्रदर्शित हो चुकी 'मकबूल' ने उन्हें एक जाना-पहचाना चेहरा बना दिया था. अब इरफान के पास देसी-विदेशी प्रोडक्शन हाउसेज के प्रोजेक्ट खुद चलकर आने लगे थे. इस कड़ी में हॉलीवुड फिल्में 'ए माइटी हार्ट' और 'द दार्जिलिंग लिमिटेड' ने उन्हें हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी भाषी फिल्मों का चहेता बना दिया था. इसी लोकप्रियता का आलम था, जो डैनी बॉअल खुद उनके पास 'स्लमडॉग मिलेनियर' के पुलिस इंस्पेक्टर का ऑफर लेकर आए. इस फिल्म को ऑस्कर मिला और डैनी ने कहा था, 'उन्हें देखना बेहद खूबसूरत अहसास है.' फिर तो इरफान ने जो किया, वह मिट्टी के सोना बन जाने जैसा था. एचबीओ की सीरीज 'इन ट्रीटमेंट' में तो उन्होंने अपने अभिनय कौशल से दुनिया भर को अपना प्रशंसक बना लिया. इसके बाद 'द अमेजिंग स्पाइडरमैन' और 'लाइफ ऑफ पै' तो चंद पड़ाव भर हैं. लोकप्रिय लेखक डैन ब्राउन रचित फिक्शन उपन्यासों पर बनने वाली हॉलीवुड फिल्मों का भी वह हिस्सा बने और टॉम हैंक्स उर्फ प्रोफेसर लैंग्डन के साथ वह 'इन्फर्नो' और फिर 'जुरासिक वर्ल्ड' में नजर आए.
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स्पीलबर्ग को किया इंकार, साथ होती स्कारलेट जॉनसन
अपने इस पूरे सफर में इरफान के तेवरों में जरा भी बदलाव नहीं आया था. हॉलीवुड फिल्मों के बड़े नाम मसलन मैट डैमन, मैथ्यु मैक्कॉहगे, ऐनी हैथवे, लियोनार्डो डि कैप्रियो, क्रिस्टोफर नोलन और रिडले स्कॉट का इरफान के तेवरों से पाला पड़ा. यह सब वे हॉलीवुड के नाम हैं, जिन्हें एक समय इरफान की न सुनना पड़ी या उस इंकार के कारण यादगार भूमिकाएं मिलीं. हाल ही में उन्हें वैश्विक सिने-प्रेमियों को 'जुरासिक पार्क' श्रंखला देने वाले स्टीवन स्पीलबर्ग को इंकार करना पड़ा. स्पीलबर्ग की इस फिल्म में इरफान को स्कारलेट जॉनसन के साथ काम करना था, लेकिन इरफान ने यह कहते हुए मना कर दिया, 'स्कारलेट के साथ काम करना भला कौन नहीं चाहेगा, लेकिन फिल्म में मेरे लिए ज्यादा स्कोप नहीं था. ऐसे में मुझे ना कहना पड़ा.' इसके पहले इरफान को क्रिस्टोफर नोलन की फिल्म छोड़ने का निर्णय भारी मन से लेना पड़ा था. उन्हें नोलन ने 2016 में आई हॉलीवुड फिल्म 'इंटरस्टेलार' के लिए एप्रोच किया था. हॉलीवुड में यह चर्चा आम है कि उन्हें फिल्म में मैट डैमन या डेविड ग्यासी की भूमिका ऑफर हुई थी. नोलन चाहते थे कि इरफान एक साथ चार महीने की डेट्स उन्हें दें, लेकिन बॉलीवु़ड फिल्मों के कमिटमेंट के चलते यह संभव नहीं था, सो नोलन को इरफान के साथ काम करने के सुख से वंचित होना पड़ा.
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रिडले को इंकार बना लियोनार्डो के लिए मौका
इरफान की प्राथमिकताएं हमेशा से तय रहीं. यही वजह है कि रिडले स्कॉट को भी उनकी ओर से इंकार मिला. रिडले स्कॉट ने इरफान को 'बॉडी ऑफ लाइज़' के लिए अप्रोच किया था, जो इरफान डेट्स की कमी की खातिर नहीं कर सके थे. इसके बाद रिडले स्कॉट उनके पास 'द मार्टियन' का ऑफर लेकर आए. इन दोनों ही फिल्मों में बाद में मार्क स्ट्रांग और लियोनार्डो डी कैप्रियो को चुना गया. एक लिहाज से देखें तो इरफान खान ने उन लोगों को ना बोला, जिनकी एक नजर के लिए हॉलीवुड के दिग्गज कास्टिंग डायरेक्टरों के पास लाइन लगी रहती है. यही नहीं, अपने पैर जमाने के लिए बड़ी से बड़ी हॉलीवुड एजेंसीज की सेवाएं ली जाती हैं. कह सकते हैं कि इरफान खान के निधन से अभिनय जगत में जो खालीपन आया है, वह आसानी से नहीं भरा जा सकेगा. बकौल श्रद्धाजंलि करण जौहर का संदेश भी कम है. वह कहते हैं शानदार फिल्मों के लिए शुक्रिया... एक कलाकार के लिए पैमाना और बड़ा बनाने के लिए शुक्रिया... हम आपकी कमी शिद्दत से महसूस करेंगे, लेकिन अपने जीवन... अपने सिनेमा में आपकी गहराई से उपस्थिति के लिए हमेशा आपके आभारी रहेंगे... हम सब आपको नमन करते हैं. दूसरे शब्दों में 'हासिल' के संवाद के तर्ज पर... तुमको याद रखेंगे गुरु हम, आई लाइक आर्टिस्ट.
Source : Nihar Ranjan Saxena