2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को दक्षिण में एक मजबूत हाथ मिल गया है. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हारने के बाद अब 2024 के लिए बीजेपी ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ गठबंधन कर लिया है. शुक्रवार को जेडीएस आधिकारिक रूप से एनडीए में शामिल हो गई. पार्टी नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी ने दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. जिसके बाद गठबंधन का ऐलान किया. ऐसा बताया जा रहा है कि 28 लोकसभा सीट वाले राज्य में दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी चर्चा हुई है. बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में जेडीएस का कांग्रेस के साथ गठबंधन था. कांग्रेस और जेडीएस ने राज्य की 14-14 सीटों पर चुनाव लड़ा था और दोनों को एक-एक सीट से ही संतोष करना पड़ा था. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने राज्य की 27 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 25 सीटों पर उसे जीत मिली थी. बीजेपी ने एक सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा था और निर्दलीय प्रत्याशी सुमनलता को समर्थन दिया था. सुमनलता के खिलाफ कुमारस्वामी के बेटे मैदान में थे और वो हार गए थे. तो ये सीट भी एक तरह से बीजेपी के खाते में आई.
वैसे तो जेडीएस ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के साथ पहले भी गठबंधन किया है और राज्य में सरकार बनाई है, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद साल 2023 का विधानसभा चुनाव बीजेपी, जेडीएस और कांग्रेस ने अलग-अलग लड़ा. इन चुनावों में कांग्रेस के प्रचंड जीत मिली और जेडीएस को बड़ा झटका लगा. 209 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जेडीएस के खाते में मात्र 19 सीटें जीत पाई. अब एक बार फिर बीजेपी और जेडीएस कर्नाटक में मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. माना जा रहा है कि इस गठबंधन के बाद कर्नाटक में बीजेपी को बड़ी बढ़त मिल सकती है.
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जेडीए का एनडीए गठबंधन का हिस्सा बनने से भाजपा नेता खुश
गृहमंत्री अमित शाह से कुमारस्वामी की मुलाकात के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत भी मौजूद थे. नड्डा ने कुमारस्वामी से मीटिंग के बाद ट्विटर पर लिखा- "कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जद(एस) नेता एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की. कुमारस्वामी की पार्टी ने हमारे वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने का फैसला किया है. हम एनडीए में उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं. यह एनडीए और प्रधानमंत्री मोदी के "न्यू इंडिया, स्ट्रॉन्ग इंडिया" के दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा."
बता दें कि बीते दिनों जेडीएस-बीजेपी गठबंधन की खबरें बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ब्रेक की थी. उन्होंने चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि जेडीएस मांड्या और तीन अन्य सीटों से चुनाव लड़ेगी. येदियुरप्पा ने दावा किया था कि इस डील से बीजेपी को "25 या 26 सीटें" जीतने में मदद मिलेगी. हालांकि, बाद में कुमारस्वामी और उनके पिता एचडी देवगौड़ा ने येदियुरप्पा के दावों को खारिज किया था. उन्होंने कहा था कि सीट शेयरिंग पर अभी कोई बात नहीं हुई है.
लोकसभा में जेडीएस का कोई भी सांसद नहीं
अगर हम साल 2019 के चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो JDS सिर्फ हासन सीट पर जीत पाई थी. जबकि मांड्या, बेंगलुरु (ग्रामीण) और चिकबल्लापुर सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. हासन से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना ने चुनाव जीता था, लेकिन 1 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनकी सांसदी रद्द कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में इलेक्शन कमीशन को हलफनामे में गलत जानकारी दी थी. उन्होंने अपनी 24 करोड़ से अधिक की इनकम छुपाई थी. प्रज्वल साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जीतने वाले पार्टी के एकमात्र सांसद थे. हासन की सांसदी रद्द होने के बाद अब लोकसभा में JDS के पास कोई सदस्य नहीं है.
यहां और बात गौर करने वाली है कि पिछले लोकसभा चुनाव में जेडीएस को 9.67% वोट मिले थे. उस वक्त पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन कर मैदान में गई थी. लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में जेडीएस के अकेले चुनाव लड़ने पर पार्टी को 13.29% वोट मिले थे.
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दक्षिण भारत में मजबूत होगी बीजेपी
अब आपको बताते हैं कि बीजेपी को जेडीएस के साथ आने से क्या फायदा मिलेगा? जानकारों की मानें तो BJP और JDS के साथ आने से दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में सामाजिक और राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल सकते हैं. कर्नाटक की आबादी में करीब 17 फीसदी भागीदारी वाला लिंगायत समुदाय बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं. लिंगायत के बाद करीब 15 फीसदी आबादी वाला वोक्कालिगा समुदाय दूसरा सबसे प्रभावशाली समाज है. वोक्कालिगा परंपरागत रूप से JDS का वोटर माना जाता है. JDS चीफ एचडी देवगौड़ा खुद भी वोक्कालिगा समुदाय से ही आते हैं. दो पार्टियों के साथ आने से राज्य में NDA का वोट बेस करीब 32 फीसदी हो जाएगा. ऐसे में सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज से कर्नाटक में NDA की जमीन को मजबूती मिल सकती है.
वरिष्ठ पत्रकार नवीन कुमार का विश्लेषण