बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष जीतनराम मांझी अपने विवादित बयानों की वजह से एक बार फिर चर्चा में है. ब्राह्मणों पर उनके बयान को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा विवाद उनके पटना स्थित सरकारी आवास पर 27 दिसंबर को ब्राह्मणों को भोज का न्योता के साथ रखी शर्त पर है. मांझी ने कहा कि वैसे ब्राह्मण जिन्होंने कभी मांस-मदिरा का सेवन नहीं किया हो या चोरी-डकैती में शामिल नहीं रहे हो, वो 27 दिसंबर को साढ़े 12 बजे मेरे सरकारी आवास पर भोज में शामिल हो सकते हैं. दलित-आदिवासियों के साथ इस भोज में शामिल होकर ब्राह्मण सामाजिक एकता का परिचय दें. इसके साथ ही मांझी ने माफी मांगते हुए साफ किया कि वे ब्राह्मणवाद के खिलाफ हैं, ब्राह्मण के खिलाफ नहीं हैं.
जीतन राम मांझी कोई पहली बार अपने विवादित बयानों को लेकर घिरे हैं ऐसा कतई नहीं है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी दल के मुखिया मांझी अपने विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. कभी भगवान राम को ही काल्पनिक बता देते हैं तो कभी रामायण को धर्मग्रंथ नहीं सिर्फ एक अच्छी पुस्तक बताकर सुर्खियां बटोरते हैं. उनके बयानों से गठबंधन के सहयोगी दलों खासकर बीजेपी असहज होती रहती है. रामायण के बाद ब्राह्मण वाले बयान पर बढ़े विवाद के बाद बीजेपी को अपने एक नेता को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा. कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद मिलने वाले सर्टिफिकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर भी मांझी सवाल उठा चुके हैं.
शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार पर निशाना
मांझी के निशाने पर जेडीयू और उनके प्रमुख नीतीश कुमार भी होते हैं. खासकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी पहल शराबबंदी को लेकर वो हमेशा हमलावर रहते हैं. शराबबंदी वाले बिहार की सरकार में शामिल हम के प्रमुख मांझी ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम में शराबबंदी के कार्यान्वयन पर सवाल उठाते हुए यहां तक कहा था कि शराबबंदी के नाम पर गरीबों को प्रताड़ित किया जा रहा है. उन्होंने गरीबों से रात के 10 बजे के बाद शराब पीने की बात की थी.
राहुल-तेजस्वी-चिराग पर आपत्तिजनक बयान
कभी-कभी मांझी गठबंधन के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी को निशाने पर ले लेते हैं. जीतनराम मांझी ने कांग्रेस के राहुल गांधी, राजद के तेजस्वी यादव और लोजपा सांसद चिराग पासवान को लेकर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और चिराग पासवान पर बयान देते हुए कहा था कि जब भी देश या बिहार में किसी प्रकार का संकट आता है देश के ये तीनों नेता हनीमून मनाने के लिए चले जाते हैं. मांझी राजद के नेतृत्व में बनी महागठबंधन में कांग्रेस के साथ सहयोगी रह चुके हैं. लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान पर राजनीतिक रूप से हमलावर रहने का मांझी का इतिहास रहा है.
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महिलाओं पर भी अशोभनीय टिप्पणी
कुछ वर्ष पहले बिहार से अन्य प्रदेशों में रोजी रोजगार के लिए जाने वाली महिलाओं को लेकर भी मांझी विवादित टिप्पणी कर चुके हैं. वहीं अपने बेटे के साथ गया स्थित होटल विवाद को लेकर भी उन्होंने अशोभनीय टिप्पणी कर दी थी. बहुत सारे लोग अब मांझी की बढ़ती उम्र को इसके पीछे की वजह बताते हैं. मुख्यमंत्री रहने के दौरान मांझी के बयानों पर बढ़े खासा विवाद के बाद ही नीतीश कुमार उन्हें हटाकर फिर से मुख्यमंत्री बन गए थे. इससे नाराज मांझी ने अलग पार्टी बना ली थी.
HIGHLIGHTS
- जीतनराम मांझी अपने विवादित बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं
- बिहार के शराबबंदी कानून की बराबर आलोचना करते रहते हैं मांझी
- विवादित बयान मामले में ही नीतीश कुमार ने उन्हें सीएम पद से हटाया था