दिल्ली-उत्तर प्रदेश- बिहार तीन राज्यों में एफआईआर और कनाडा में भारतीय उच्चायोग की शिकायत के बाद भी विवादित डॉक्यूमेंट्री 'काली' के पोस्टर (Kaali Poster Row) का मामला थमता नहीं दिख रहा. मध्य प्रदेश में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने फिल्म पर प्रतिबंध की चेतावनी दी है. वहीं तृणमूल कांग्रेस की ओर से अपने सांसद के बयान को व्यक्तिगत बता देने के बाद भी मामला तूल ही पकड़ता जा रहा है. शिवसेना और भाजपा के अलावा कांग्रेस ने भी विवादित पोस्टर पर कड़ा एतराज जताया है.
विवादित फिल्मेमेकर लीना मणिमेकलई के निर्देशन में बन रही डॉक्युमेंट्री 'काली' के पोस्टर पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि 'हर धर्म का सम्मान किया जाना चाहिए और जिस तरह से देवी काली को पोस्टर में चित्रित किया गया है वह अस्वीकार्य है.' उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कभी भी ठेस पहुंचाने का साधन नहीं बनना चाहिए. मैं मां काली पर बन रही डॉक्युमेंट्री के पोस्टर से आहत हूं. काली फिल्म के पोस्टर की निंदा करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, 'हम सभी धर्मों के सभी देवताओं का सम्मान करते हैं और किसी ऐसी चीज का समर्थन नहीं करते जिससे किसी को ठेस पहुंचे.'
एमपी में कानूनी कार्रवाई-प्रतिबंध की चेतावनी
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री और भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए साफ कहा, 'राज्य सरकार मणिमेकलाई की फिल्म पर प्रतिबंध लगा सकती है.' उन्होंने कहा कि काली माता को सिगरेट पीते हुए दिखाना अस्वीकार्य है. उन्होंने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने और फिल्म निर्माता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की वकालत भी की. उन्होंने ट्वीट किया, "डॉक्युमेंट्री फिल्म 'काली' में काली माता को सिगरेट पीते हुए दिखाना काफी आपत्तिजनक है. मैं यह देखने के लिए पुलिस से बात करूंगा कि क्या एफआईआर दर्ज की जा सकती है और यह भी देखें कि क्या फिल्म को मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित किया जा सकता है. अगर फिल्म के पोस्टर को तुरंत नहीं हटाया गया, तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी."
कनाडा में भारतीय उच्चायोग ने लिया संज्ञान
इस दौरान दिल्ली, बिहार और यूपी पुलिस ने फिल्ममेकर लीना मणिमेकलाई के खिलाफ उनकी नई डॉक्यूमेंट्री 'काली' के विवादास्पद पोस्टर को लेकर शिकायत दर्ज कर दी है. इस विवादित पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते और एक हाथ में LGBTQ का झंडा लिए देखा जा सकता है. पोस्टर रिलीज होने के बाद सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आई. बात बढ़ने पर कनाडा में भारतीय उच्चायोग ने भी इस मामले पर बयान जारी किया है. विवादित पोस्टर को लेकर देश भर से साधु-संतों ने भी फिल्ममेकर पर कार्रवाई की मांग की है.
विवादों के साथ ही फिल्म बनाने का आगाज
इससे पहले भी अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के कारण लीना मणिमेकलई विवादों में घिरी रही हैं. तमिलानाडु में मीनाक्षी मंदिर के लिए प्रसिद्ध जिले मदुरै के दक्षिण में स्थित सुदूर गांव महाराजापुरम की रहने वाली मणिमेकलई को लेकर फिल्म जगत में चर्चा है कि वह मशहूर होने के लिए विवाद शुरू कर उसका फायदा उठाती हैं. साल 2002 में लीना ने देवदासी प्रथा को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'महात्मा' बनाई थी. अपने इस पहले प्रोजेक्ट के लिए फिल्ममेकर को अरुंधतियार समुदाय समेत खुद अपने परिवार का गुस्सा भी झेलना पड़ा था. तब से उन्होंने इसे मशहूर होने का आसान रास्ता बना लिया.
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इन फिल्मों से भी दी विवादों को दावत
इसी तरह लीना ने साल 2004 में दलित महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर डॉक्युमेंट्री फिल्म 'पराई' बनाई. इसके लिए भी उन्हें काफी आक्रोश झेलना पड़ा. साल 2011 में उन्होंने एक और विवाद को दावत दी. उन्होंने धनुषकोड़ी के मछुआरों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'सेंगडल' बनाई. सेंसर बोर्ड से महीनों की लड़ाई और कई कट के बाद आखिरकार फिल्म रिलीज हो पाई. अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में विवाद की वजह से उनके काम को अटेंशन हासिल हुआ. इतने विवादों के बाद एक बार फिर वह अपनी डॉक्युमेंट्री फिल्म के पोस्टर की वजह से विवादों में हैं.
HIGHLIGHTS
- साल 2002 में लीना ने एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'महात्मा' बनाई थी
- कनाडा में भारतीय उच्चायोग ने भी पोस्टर पर बयान जारी किया
- दिल्ली-उत्तर प्रदेश- बिहार तीन राज्यों में फिल्ममेकर पर FIR दर्ज