UP Politics: दिल्ली में शनिवार को बीजेपी हेडक्वार्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक अहम बैठक हुई. इस मीटिंग में बीजेपी शासित मुख्यमंत्रियों और डिप्टी चीफ मिनिस्टर्स के साथ-साथ संगठन के दिग्गज नेता मौजूद रहे. खास बात ये है कि इस मीटिंग में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या और ब्रजेश पाठक भी शामिल हुए. इस वक्त इन तीनों नेताओं को लेकर ही तमाम सियासी चर्चाओं का बाजार गरम है. विपक्ष लगातार डिप्टी सीएम केशव को ढाल बनाकर BJP पर निशाना साध रहा है. इस फेहरिस्त में अखिलेश यादव सबसे मुखर हैं. आखिर समाजवादी के मुखिया की इस सियासत के क्या मायने हैं.
दिल्ली बीजेपी मुख्यालय में हुई बैठक में यूपी के राजनीतिक हालातों पर भी चर्चा हुई. हालांकि इस बैठक से यूपी को लेकर क्या संदेश उभरता है. इस सवाल पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. दरअसल विपक्ष घमासान वाले दावों को लगातार हवा दे रहा है. इन्हीं दावों के चलते अखिलेश यादव बनाम केशव प्रसाद मौर्या में भी ठनी हुई है. अखिलेश यादव केशव प्रसाद मौर्या को मोहरा बता रहे हैं, तो वहीं केशव प्रसाद मौर्या अखिलेश यादव को कांग्रेस का मोहरा बता रहे हैं.
'दिल्ली के WIFI के पासवर्ड हैं केशव मौर्या'
अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्या पर निशाना साधते हुए कहा, 'भ्रष्टाचार के मामले इसलिए खुल गए हैं, क्योंकि वो मोहरा बन गए हैं. दिल्ली WIFI के पासवर्ड हैं. अगर दिल्ली वाले किसी से मिलते हैं तो लखनऊ वाले भी किसी से मिल लेंगे. क्या सरकार चलेगी ऐसे, जिन्होंने बिगाड़ा है सबकुछ, क्या वो ठीक करेंगे. इन्होंने यूपी की जनता को धोखा दिया है. इन्होंने यूपी की जनता का सबकुछ बर्बाद कर दिया. बजट में यूपी को क्या मिला.'
वहीं केशव प्रसाद मौर्या ने भी अखिलेश पर जबरदस्त पटलवार किया. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव हमेशा से ही दलितों और पिछड़ों के विरोधी रहे हैं, वो कांग्रेस के मोहरा हैं.
कुर्सी की खींचतान पर अखिलेश का बड़ा बयान
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब एक पत्रकार ने अखिलेश यादव से पूछा कि सीएम योगी लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा को लेकर मंडल के विधायकों के साथ बैठकें कर रहे हैं. इन बैठकों में दोनों डिप्टी सीएम नहीं बुलाए गए. एक डिप्टी सीएम दिल्ली में बैठक कर रहे हैं, तो क्या कोई यूपी में फेरबदल होने वाला है? इस पर अखिलेश ने कहा कि कुर्सी की लड़ाई में जनता बहुत परेशान है.'
केशव बहाना अखिलेश का कहां निशाना?
अखिलेश के बयानों को देखें तो लगता है कि सपा अध्यक्ष ने बीजेपी पर शब्दों की गोली केशव के कंधे पर बंदूक रखकर ही चलाई. चाहे 100 विधायकों वाला मॉनसून ऑफर हो या फिर मंत्रालयों के अंदर की खबरों के दावों हों. अखिलेश बार-बार केशव मौर्या को निशाने पर ले रहे हैं और डबल इंजन सरकार पर हमले कर रहे हैं. इसका ही असर है कि इंडिया गठबंधन के बाकी नेता भी इसी लाइन पर खड़े नजर आने लगे हैं.
इस घमासान की आहट या यूं कहें दावे को बल बीजेपी कार्यसमिति की बैठक से मिला था, जिसमें सीएम योगी ने यूपी में बीजेपी की हार के पीछे ओवरकॉन्फिडेंस को बताया था, तो केशव प्रसाद मौर्या ने संगठन सरकार से बड़ा वाला बयान देकर चौंका दिया था. केशव प्रसाद मौर्या ने कहा था, संगठन सरकार से बड़ा है. संगठन से बड़ा कोई नहीं होता है.
इसी बयान के 48 घंटे बाद केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली तलब हुए थे. बीजेपी हाईकमान के साथ उनकी मीटिंग को लेकर काफी चर्चा हुई थी. विपक्ष ने इसे कुर्सी के घमासान से जोड़ दिया, लेकिन बीजेपी तमाम दावों पर अपना स्टैंड साफ कर चुकी है कि न तो परिवर्तन होने वाला है, न ही कोई कहीं जा रहा है.
'यूपी में सीएम बदलने की बात गलत'
पार्टी में आंतरिक कलह पर यूपी बीजेपी चीफ भूपेंद्र चौधरी ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि यूपी में सीएम बदलने की चर्चा गलत है. बीजेपी एक लोकतांत्रिक दल है. सब को अपनी बात लोकतांत्रिक तरीके से रखने का अधिकार है. हम अनुशासन से आगे बढ़ रहे है. नतीजे हमारे उम्मीद के हिसाब से नहीं आए. हम खामियों पर काम कर रहे हैं.
NDA के तमाम सहयोगी भी यही कह रहे हैं कि सरकार में कोई खींचतान नहीं हैं. ऑल इज वेल है, लेकिन कैडर को लेकर भी बातें खूब हो रही हैं. यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने कहा कि कार्यकर्ताओं की बात है, योगी जी खुद चाहते हैं कि कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलना चाहिए. वहीं SBSP के नेता अरविंद राज राजभर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी ही रहेंगे, कोई घमासान नहीं है.
लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार सीएम योगी समीक्षा बैठकें कर रहे हैं. कमबैक प्लान की रणनीति का एक-एक होमवर्क फाइनल कर रहे हैं. यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. इसके लिए उन्होंने 30 मंत्रियों की मेगा टीम फाइनल कर दी है, लेकिन विपक्ष लगातार दावा कर रहा है कि यूपी में कुछ बड़ा होने वाला है.
अखिलेश की सियासत के मायने?
अखिलेश यादव केशव प्रसाद मौर्य को निशाना बनाकर सीएम योगी और बीजेपी पर निशाना साधना चाहते हैं. अखिलेश जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से बीजेपी खेमे सियासी घमासान मचा हुआ है. उसके चलते पार्टी में आतंरिक कलह बढ़ा है. अखिलेश चाहते हैं कि ये घमासान और बढ़े ताकि बीजेपी की रणनीति प्रदेश में और कमजोर हो, जिसका फायदा आगामी उपचुनावों और विधानसभा चुनाव 2027 में उठाया जा सके.