रूस और यूक्रेन के बीच जारी सीमा पर तनाव की वजह से तीसरे विश्वयुद्ध तक के कयास लगाए जाने तेज हो गए हैं. जंग के मुहाने पर खड़े देशों को समझाने और खतरे को टालने के लिए दुनिया भर से डिप्लोमैटिक कोशिशें की जा रही हैं. क्या रूस यूक्रेन पर हमला करेगा? युद्ध हुआ तो यह दोनों देशों के भीतर नागरिकों तक भी पहुंच सकता है और इस संभावित युद्ध से आसपास के कितने देशों पर असर पड़ेगा. इस मामले में नाटो के आ जाने से दुनिया भर की निगाहें भी लगी हुई हैं.
दूसरी ओर यूक्रेन मसले को लेकर रूस के साथ यूरोपीय देशों का तनाव भी लगातार बढ़ता जा रहा है. ब्रिटेन के प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को चेतावनी दी कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे ज्यादा तबाही होगी. पश्चिमी देश इस तबाही को रोकने के लिए पूरी तरह एकजुट हैं. ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने मंगलवार को संसद में कहा कि सरकार इस बात को मानती है कि यूक्रेनी सेना को हथियार और ट्रेनिंग की जरूरत है. एकजुटता दिखाने के लिए अगले हफ्ते लिज यूक्रेन का दौरा भी करेंगी. इससे पहले भी जॉनसन ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन पर हमले की स्थिति में गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी थी. ब्रिटेन ने हाल के हफ्तों में यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर कई बयान दिए हैं.
क्यों और कैसे बने जंग के हालात
एक्सपर्ट्स इस मामले के पीछे सबसे बड़ी वजह 1992 के सोवियत यूनियन के विघटन को मानते हैं. सोवियत संघ के पतन के बाद यूक्रेन का अलग देश बनना रूस के लिए सबसे तकलीफदेह घटना रही. व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन को फिर से रूस में मिलाकर इतिहास बदलना और रूसी राष्ट्रवाद का नायक बनना चाहते हैं. 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद अब यूक्रेन पर रूसी हमले का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ गया है. हालांकि कुछ जानकारों के मुताबिक पुतिन का इरादा जंग नहीं, बल्कि घुसपैठ करके यूक्रेन में रूस समर्थित सरकार बनाना है. रूस के पास 29 लाख तो यूक्रेन के पास सिर्फ 11 लाख सैनिक हैं. रूस के आक्रमक रुख के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फौरन नाटो के यूरोपीय सहयोगी देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की. यूरोप में तैनात अमेरिका और नाटो सेनाओं के लिए हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है.
नाटो और ईयू की एकता का इम्तिहान
यूक्रेन पर रूसी हमले के खतरे के बीच यूरोपीयन यूनियन और नाटो की एकता की परीक्षा भी हो रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी कुछ वक्त पहले नाटो की एकता पर संदेह जता चुके हैं. बीते दिनों अमेरिका के कहने के बाद भी जर्मनी ने यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने से इनकार कर था. जर्मनी के नेवी चीफ के-एचिम शॉनबाख ने भी यूक्रेन मामले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तारीफ कर नया हंगामा खड़ा कर दिया था. बाद में उन्होंने विवाद बढ़ता देख इस्तीफा दे दिया. यूक्रेन ने इस मामले को लेकर जर्मनी से स्पष्टीकरण मांगा हुआ है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि नाटो के प्रमुख देशों में शामिल अमेरिका, ब्रिटेन और इटली, यूक्रेन के मुद्दे पर रूस के खिलाफ आक्रामक बने रहेंगे, लेकिन जर्मनी, डेनमार्क और नॉर्वे जैसे देश अलग आवाज उठा सकते हैं.
अब भी टाली जा सकती है जंग
यूक्रेन के हालात का जायजा लेकर लौटे जर्नलिस्ट पॉल एडम्स ने उम्मीद जताई है कि जंग अब भी टाली जा सकती है. उन्होंने कहा कि पुतिन जानते हैं कि जंग का दायरा बढ़ा, तो चीन उनका खुलकर साथ नहीं देगा. अमेरिका और नाटो का रूस सैन्य ताकत से मुकाबला तो कर लेगा, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर उसकी तबाही हो सकती है. रूस में संविधान बदलकर ताउम्र राष्ट्रपति बनने का जो कदम पुतिन ने उठाया है, वह मुद्दा फिर गरम हो उठेगा और अपने देश के भीतर उन्हें सियासी कीमत चुकानी पड़ सकती है. उनके सीक्रेट पैलेस की तस्वीरों के लीक्स के साथ एक सॉफ्ट वार की झलक भी पेश हुई है. द वोग की रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध शुरू होने के बाद उसकी लपटें शहरों और घरों तक पहुंच सकती है. एंटी टैंक मिसाइलें और एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही बड़ी संख्या में सैन्य तैनाती वगैरह से मानव अधिकार की चिंता बढ़ गई है. 2014 में रूस के यूक्रेन पर हमला और क्रीमिया अलग करने से अब तक 14 हजार यूक्रेनी (सैनिक और आम लोग) मारे जा चुके हैं.
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ऐसे बन रहे अंतरराष्ट्रीय समीकरण
जंग शुरू हुई तो रूस और यूक्रेन की सरहदों से बढ़कर इसकी आंच बाल्टिक देशों जैसे लातविया, लिथुआनिया और एस्टोनिया तक पहुंच सकती है. शांतिप्रिय इन देशों की सैन्य ताकत भी कुछ खास नहीं है. ये भी नाटो और अमेरिका के पास सुरक्षा के लिए जा सकते हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी डिफेंस एक्सपर्ट रोसेनबर्ग के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पिछले हफ्ते रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से सवाल किया था कि रूस की सीमाओं का सिर्फ 6 फीसदी हिस्सा नाटो देशों से लगता है. क्या इससे भी आपकी नेशनल सिक्योरिटी को खतरा है? वहीं रूस के दोस्त देश चीन में 4 से 20 फरवरी तक विंटर ओलिंपिक्स गेम होने वाले हैं. अगर यूक्रेन के साथ जंग छिड़ती है तो कई यूरोपीय देश इन खेलों का बायकॉट कर सकते हैं. इससे चीन की इमेज खराब होगी और शी जिनपिंग का अंतरराष्ट्रीय दबदबा कम हो सकता है. वहीं ट्रंप के वक्त अमेरिका से नाराज नाटो देश फिर से उसके करीब आ रहे हैं.
HIGHLIGHTS
- जंग की आंच बाल्टिक देशों लताविया, लिथुआनिया और एस्टोनिया तक पहुंच सकती है
- व्लादिमीर पुतिन जानते हैं कि जंग का दायरा बढ़ा, तो चीन उनका खुलकर साथ नहीं देगा
- यूक्रेन-रूस जंग के खतरे के बीच यूरोपीयन यूनियन और नाटो की एकता की भी परीक्षा