समझिए मुल्क के बंटवारे की कहानी

जिन्ना मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए अलग संविधान सभा चाहते थे. रियासतों को लेकर भी उनकी अलग राय थी. इस सबके चलते ही कैबिनेट मिशन में तीन तस्वीर सामने आईं — हिंदुस्तान, पाकिस्तान और प्रिंसीस्तान!

author-image
Nihar Saxena
New Update
Partition

विभाजन की टीस आज भी झेल रहा है हिंदुस्तान.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

देश आज़ादी की एक और सालगिरह मना रहा है. दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बढ़ते वक्त के साथ परिपक्व हो रहा है. इस मौक़े पर आज़ादी मिलने से पहले की कहानी को समझना भी ज़रूरी है. जैसे यह जानकर आपको अजीब लगेगा कि आजादी से लगभग तीन दशक पहले ही देश को बांटने की राजनीति और प्रयास शुरू हो चुके थे. यही नहीं, कालांतर में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के अलावा प्रिंसीस्तान का खाका भी कैबिनेट मिशन में खींचा गया था. ऐसे में बहुत ज़रूरी है बंटवारे के हालात और सियासत को समझना भी. 

हिंदुस्तान, पाकिस्तान और प्रिंसीस्तान चाहते थे जिन्ना और अंग्रेज
साल 1935 के भारत सरकार अधिनियम के वजूद में आने से ही मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हो चुकी थीं. इसके करीब दस साल बाद 1945 में डॉ. तेज बहादुर सप्रू ने सभी राजनीतिक दलों को साथ मिलाकर संविधान का खाका बनाने की पहल की. उधर दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन की नई सरकार ने कैबिनेट मिशन को भारत भेजा, लेकिन जिन्ना की नाराजगी बरकरार रही. दरअसल जिन्ना मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए अलग संविधान सभा चाहते थे. रियासतों को लेकर भी उनकी अलग राय थी. इस सबके चलते ही कैबिनेट मिशन में तीन तस्वीर सामने आईं — हिंदुस्तान, पाकिस्तान और प्रिंसीस्तान! दो संविधान सभा को लेकर बात आगे भी बढ़ी. बलूचिस्तान, सिंध, पंजाब, NWFR, बंगाल और असम के लिए मुस्लिम संविधान सभा जबकि बाकी बचे हिस्से के लिए हिंदू संविधान सभा बनाने का मसौदा भी तैयार हुआ, लेकिन इसे लेकर बाकी राजनीतिक धड़ों का विरोध जारी रहा, जिसके चलते कैबिनेट मिशन और जिन्ना के इरादे सफल नहीं हो सके.

आजादी से 31 साल पहले ही शुरू हो चुकी थीं मुल्क को बांटने की कोशिशें
वैसे इससे काफी पहले साल 1916 से ही अंग्रेजों ने अल्पसंख्यकों के राजनीतिक हकों की बात शुरू की. 'सेपरेट इलैक्टोरेट' का अधिकार दिया गया. करीब 30 साल बाद साल 1946 में एक संविधान सभा बनाने को लेकर जिन्ना ने नाराजगी जताई. डायरेक्ट एक्शन की धमकी दी. बात सिर्फ धमकी तक ही नहीं रुकी. 16 अगस्त 1946 से मुल्क में हिंसा शुरू हुई. बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र में अपेक्षाकृत काफी ज्यादा. इस बीच मुस्लिम लीग अंतरिम सरकार का तो हिस्सा बनी, लेकिन संविधान सभा को लेकर जिन्ना का विरोध जारी रहा. विरोध और उससे पैदा हुई हिंसा के चलते ही ना सिर्फ अंग्रेजों ने अपने तय समय से पहले आजादी का एलान किया, बल्कि दो हिस्सों में बंटवारा कर हमेशा के लिए दंश भी दे दिया. इसी के साथ पाकिस्तान के नापाक इरादों के चलते कश्मीर को लेकर विवाद की शुरूआत भी हुई. वैसे इसी के साथ इस दलील को भी जगह मिलती है कि तभी समय रहते पाकिस्तान के बंटवारे और कश्मीर विवाद को बेहतर ढंग से नहीं सुलझाया गया. हालांकिं ये मुद्दा अंतहीन है और राजनीतिक आरोप—प्रत्यारोप का विषय उससे भी कहीं ज्यादा. 

HIGHLIGHTS

  • भारत सरकार अधिनियम से ही मुस्लिम लीग और कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़ीं
  • साल 1916 से ही अंग्रेजों ने अल्पसंख्यकों के राजनीतिक हकों की बात शुरू की
  • पाकिस्तान के नापाक इरादों के चलते कश्मीर को लेकर विवाद की शुरूआत
INDIA pakistan पाकिस्तान भारत muslim hindu Mahatma Gandhi Pt Jawaharlal Nehru partition महात्मा गांधी विभाजन मोहम्मद अली जिन्ना Jinnah पंडित जवाहरलाल नेहरू
Advertisment
Advertisment
Advertisment