गांधी से मोदी युग तक न्यू इंडिया को समझाती प्रो नागेंद्र पी सिंह की किताब का विमोचन

व्हाइट फाल्कन पब्लिशिंग ने ''नेतृत्व मायने रखता है'' पुस्तक को छापा है. यह किताब 338 पेज के पेपरबैक संस्करण में है.

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Prashant Jha
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नेतृत्व मायने रखता है. पुस्तक( Photo Credit : सोशल मीडिया)

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Leadership Matters Journey of Indian Entrenenruship from gandhi to modi era: प्रोफेसर नागेंद्र पी सिंह का ''नेतृत्व मायने रखता है'' पुस्तक का विमोचन हो गया. नागेंद्र पी सिंह ने महात्मा गांधी युग से मोदी युग तक भारतीय उद्यमिता विकास के क्षेत्र में हमारे गौरवशाली व्यापार इतिहास का एक अनूठा मिश्रण पेश किया है. किताब को दस चैप्टर में बांटा गया है.  किताब का पहला तीन-चार अध्याय विकासवादी प्रक्रिया, व्युत्पत्ति विज्ञान और कैसे विश्व व्यवसाय को 'इंटरप्रेन्योरशिप' शब्द से बदल दिया गया के बारे में प्रकाश डाला है. किताब में दर्शाया गया है कि कैसे राजनीतिक दबाव वाली समाजवादी अर्थव्यवस्था उदारीकरण और अर्थव्यवस्था को खोलने में देरी की है. 90 के दशक में उदारीकरण ने उद्यमिता के द्वार खोल दिए गए, लेकिन राजनीतिक दबाव की वजह से लगभग एक दशक तक कई विकास कार्य भी प्रभावित हुए. नागेंद्र सिंह ने इस पुस्तक में उल्लेख किया है कि कैसे एक अराजक लोकतंत्र एक अर्थव्यवस्था का निर्माण नहीं करने देता है और न ही देश को वैश्विक दौड़ में हिस्सा लेने के लिए आगे बढ़ने देता है. किताब में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत में पिछले 9 सालों में औद्योगिक क्रांति का आगाज हुआ है.  

व्हाइट फाल्कन पब्लिशिंग ने ''नेतृत्व मायने रखता है '' पुस्तक को छापा है. यह किताब 338 पेज के पेपरबैक संस्करण में है. किताब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध है. इस किताब को अमेजन, फ्लिपकार्ट समेत अन्य प्लेटफॉर्म से भी खरीदी जा सकती है. पुस्तक में भारत की आजादी के बाद के वर्षों में देश का व्यापार तंत्र कई शीर्ष नेताओं की नीतियों की वजह से प्रभावित भी हुआ है का उल्लेख किया गया है. लेखक अपनी भूमिका को देश के उद्यमिता उत्थान के प्रमुख प्रेरकों में से एक के रूप में एक अलग समय पर अपने स्वयं के करियर की खोज में "उदय और पतन" के साथ दुविधा में डालता है. उनकी दुविधा और भय को समाज के उद्यमशील और देश की राजनीतिक अस्थिरता और नीतिगत अस्पष्टता से जोड़ने वाली चीजों के बारे भी वर्णन है. यह पाठकों को भारतीय नेतृत्व और हमारी अर्थव्यवस्था पर उनके सामाजिक प्रभाव के बारे में भी उजागर करता है. 

पुस्तक में बताया गया है कि मौजूदा प्रधानमंत्री ने भारत को दुनिया के सामने एक ब्रांड के तौर पर पेश करने के लिए कई नीतिगत फैसले लिए हैं. साथ ही अपने दुश्मनों को किस तरह से चकमा देकर समय से पहले ही अपनी कार्य योजना की रणनीति बनाने में सफल हुए हैं.  पुस्तक एक सरल लेकिन आकर्षक लेआउट और डिजाइन की है, जो स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ अपनी बात कह रही है.  किताब में इसका भी जिक्र है कि न्यू इंडिया उद्योगक्रांति की दहलीज पार कर तेजी से आगे बढ़ रहा है. किताब में इस बात का विस्तार से उल्लेख है कि देश में बदलाव का श्रेय पिछले नौ वर्षों में नरेंद्र मोदी की सरकार को जाता है. वैश्विक मानचित्र पर भारत के गौरव और ब्रांड-निर्माण के प्रयास के प्रति उनकी दृष्टि और समर्पण अहम है.

मोदी की नीतियों का 7वें अध्याय में वर्णन 

हालांकि, राष्ट्रीय शीर्ष नेतृत्व शैलियों पर सिंह का विश्लेषण और मोदी के उद्देश्य, सिद्धांत की भावना और देश की छवि और लक्ष्य के प्रति समर्पण के उनके सामाजिक-केंद्रित मूल्य की पुस्तक के अध्याय 7 में खूबसूरती से वर्णन किया गया है. डॉ सिंह इस किताब के जरिए उद्यमिता यात्रा का एक समृद्ध खजाना लेकर आए हैं, जिस पर कई हितधारकों द्वारा उपयुक्त संस्थागत हस्तक्षेप और नवीन सुविधा प्रक्रियाओं के माध्यम से वर्तमान ध्यान देने की जरूरत है. 

तीन पीएस मॉडल के साथ दुश्मनों को सहयोगी में परिवर्तित करना
किताब में लेखक यह थ्री पी यानी उद्देश्य, सिद्धांतों और प्रथाओं (3Ps) को भी पेश किया है. डॉ सिंह इस बात की भी वकालत करते हैं कि एक उद्यमी समाज अपने वैश्विक संबंधों और प्रकट मानवता के साथ हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के मजबूत नेतृत्व की स्पष्ट दृष्टि और दृढ़ता के साथ राजनीतिक स्थिरता लाए हुए हैं. उनकी शीर्ष नेतृत्व शैली देश की डिजिटल क्रांति और जवाबदेह शासन के कारण अधिक सटीकता और पारदर्शिता के साथ पूंजीवादी और वितरणात्मक सामाजिक न्याय का एक दिलचस्प उदाहरण है. 

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