पूरा देश आज कारगिल युद्ध ( Kargil War) के दो हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन अनुज नैय्यर ( Captain Vikram Batra and Captain Anuj Nayyar) की देशभक्ति को कृतज्ञ होकर नमन कर रहा है. कारगिल युद्ध में देश की जीत के इन दो प्रमुख नायकों ने सात जुलाई, 1999 को अपना सर्वोच्च बलिदान ( Martyrdom Day) किया था. शौर्य और पराक्रम में तो भारतीय सेना का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है. 24-25 साल की उम्र में युद्ध भूमि में संघर्ष करते हुए देश के लिए वीरगति पाने वाले दोनों ही नायकों की प्रेम कहानी भी कम रोचक नहीं है. आइए, आज इन दोनों ही नायकों के जीवन से जुड़े इस पक्ष के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.
कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रेमिका का बलिदान
परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा की प्रेम कहानी को लोग कभी भूल नहीं सकते. इसके साथ ही उनकी प्रेमिका का बलिदान भी हमेशा याद रखने लायक है. कैप्टन विक्रम बत्रा और उनकी प्रेमिक डिंपल चीमा की कहानी पर बॉलीवुड में एक फिल्म शेरशाह भी बनी है. कैप्टन विक्रम बत्रा के बलिदान होने के बाद उनकी प्रेमिका डिंपल चीमा ने आज तक शादी नहीं की है. वह अब भी कुंवारी हैं और पंजाब में एक शिक्षिका के रूप में देश का भविष्य गढ़ रही हैं.
कॉलेज में पहली मुलाकात का प्यार
पंजाब यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज में साल 1995 में विक्रम बत्रा और डिंपल चीमा की पहली मुलाकात हुई थी. पहली ही मुलाकात से दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे. डिंपल बत्रा ने कई बार अपने रिश्ते के बार में मीडिया से बात करते हुए इसकी चर्चा की है. उन्होंने कहा है कि मैं विक्रम से पहली बार 1995 में चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी में मिली थी. हम दोनों अंग्रेजी विषय में एमए करने आए थे. हम दोनों ही किसी कारण से अपना कोर्स पूरा नहीं कर पाए थे. लगता है कि नियति को कुछ और ही मंजूर था, वो हमें साथ लाने की कोशिश कर रहे था. डिंपल ने कहा था कि हम दोनों अपने रिश्ते को लेकर बहुत ज्यादा सीरियस थे.
विक्रम-डिंपल की प्रेम कहानी के अनछुए पहलू
डिंपल चीमा ने बताया कि हम दोनों हमेशा मंसा देवी मंदिर और गुरुद्वारा श्री नाडा साहिब जाते रहते थे. एक दिन हम गुरुद्वारा में परिक्रमा कर रहे थे और वह मेरे पीछे-पीछे मेरा दुपट्टा पकड़ कर चल रहा था. जब हमारी परिक्रमा पूरी हुई तो, उसने मुझे कहा, 'बधाई हो मिसेज बत्रा. हमने साथ में फेरे ले लिए... ये चौथी परिक्रमा है.'
कैप्टन विक्रम बत्रा अपनी पोस्टिंग पर थे. उस दौरान डिंपल पर परिवार वाले शादी के लिए दबाव बना रहे थे. पोस्टिंग से विक्रम लौटे तो डिंपल ने उनको ये बात बताई. विक्रम ने फौरन फिल्मी स्टाइल में अपने पर्स ने ब्लेड निकाला और अंगूठा काट कर डिंपल की मांग भर दी. डिंपल ने उस पल को याद करते हुए जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल बताती हैं.
कारगिल युद्ध से आने के बाद कैप्टन विक्रम और डिंपल की शादी होनेवाली थी. विक्रम ने अपने घर पर भी सबको ये बात बता दी थी कि वो डिंपल से शादी करना चाहते हैं. डिंपल ने बताया था कि कारगिल के जंग पर जाने से पहले विक्रम ने कहा था कि वहां से आने के बाद हम शादी करेंगे. डिंपल इस उम्मीद में थी कि वह दुल्हन बनेंगी, लेकिन विक्रम तिरंगे में लिपटकर आए. इसके बाद डिंपल ने आज तक शादी नहीं की है. उन्होंने विक्रम की याद में सारी जिंदगी बिताने का फैसला किया है.
कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन अनुज नैय्यर का बलिदान
टाइगर हिल के पश्चिम में प्वाइंट 4875 के एक हिस्से पिंपल कॉम्प्लेक्स को खाली कराने की जिम्मेदारी 17 जाट रेजिमेंट के कैप्टन अनुज नैय्यर को दी गई. प्वाइंट 4875 की यह पोस्ट 6000 फुट की ऊंचाई पर थी, जिसे जीतना बेहद जरूरी था. कदम-कदम पर मौत से सामना करते हुए बढ़ते कैप्टन अनुज ने अकेले ही पाकिस्तान के नौ घुसपैठियों को मार गिराया और बाकी को पीछे खदेड़ दिया. घायल कैप्टन अनुज नैय्यर ने मशीनगन से बंकर को भी तबाह कर दिया था. विजय का तिरंगा फहराने के लिए वह आगे बढ़ रहे थे कि दुश्मन का एक ग्रेनेड सीधा उनपर पड़ा और वह वीरगति को प्राप्त हो गए.
इस बीच पाकिस्तानी घुसपैठियों ने वापस आकर प्वाइंट 4875 पर कब्जा करना चाहा, लेकिन पीछे से दूसरी टीम के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा पहुंच चुके थे. उन्होंने घुसपैठियों का काम तमाम कर दिया, लेकिन तिरंगा फहराने से पहले वह भी दुश्मन की गोलियों की बौछार से बलिदान हो गए. हालांकि प्वाइंट 4875 पर 7 जुलाई को ही भारत का तिरंगा झंडा फहरा दिया गया.
कैप्टन अनुज ने युद्ध से पहले भेजनी चाही अंगूठी
करगिल युद्ध में अद्भुत शौर्य और पराक्रम के लिए दूसरा सबसे बड़ा सैन्य पुरस्कार महावीर चक्र विजेता कैप्टन अनुज नैयर की सगाई हो चुकी थी. बलिदान होने तक तय था कि युद्ध से लौटकर यानी दो महीने बाद शादी होने वाली है. कारगिल युद्ध के दौरान ही अनुज नैयर को प्रमोट करके लेफ्टिनेंट से कैप्टन बनाया गया था. अनुज अपनी बचपन की दोस्त सिमरन से सगाई के लिए घर जाने वाले थे. उसी बीच कारगिल युद्ध छिड़ गया. उन्हें मोर्चे पर कारगिल जाना पड़ा. कैप्टन अनुज नैय्यर ने युद्ध के लिए जाते वक्त अपने सीनियर को एक अंगूठी दी और कहा था कि उनकी मंगेतर को दे दें.
तिरंगे में लिपटे अनुज के साथ घर लौटी अंगूठी
सीनियर ने कैप्टन अनुज से कहा कि तुम खुद लौटकर देना. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैं जंग पर जा रहा हूं वापस लौटूंगा या नहीं. लौट आया तो खुद दे दूंगा. वरना आप इसे मेरे घर भेज देना और मेरा संदेश दे देना. वे नहीं चाहते थे कि उनके प्यार की निशानी दुश्मन के हाथ लगे. इस जंग से कैप्टन अनुज नैय्यर का पार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपटा हुआ दिल्ली पहुंचा तो परिवार के साथ ही सिमरन फूट-फूटकर रो रही थी. अनुज की शहादत के बाद उनके शव के साथ वह अंगूठी भी उनके घर पहुंची थी.
साथ पढ़े थे अनुज - सिमरन, दस साल से प्यार
कैप्टन अनुज की मां मीना नैयर के मुताबिक अनुज अपने साथ पढ़ी एक लड़की को पसंद करता था. दोनों दस साल से एक-दूसरे को जानते थे. दोनों की सगाई हो गई थी और शादी की तारीख भी तय कर दी गई थी. 10 सितंबर 1999 को अनुज की शादी होनी थी, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. अनुज अपनी मां से जंग की बातें शेयर नहीं करते थे. उन्हें बाद में पता चला था कि वह भी कारगिल युद्ध में शामिल है.
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पिता को लिखे आखिरी खत में युद्ध से जुड़ी बात
कैप्टन अनुज अपने पिता एसके नैयर से युद्ध की बात शेयर करते थे. उन्होंने कहा था कि बेटा जंग में हो, कुछ भी हो जाए कभी दुश्मन को अपनी पीठ नहीं दिखाना. कैप्टन अनुज नय्यर ने जंग पर जाने से ठीक पहले लिखी आखिरी चिट्ठी में अपने पिता को लिखा था कि डियर डैड, डर नाम का कोई वर्ड उस डिक्शनरी में है ही नहीं जो आपने मुझे दी है. आप 200 प्रतिशत सही थे, जमीनी हवा कुछ नहीं छुपाती. आप चिंता मत कीजिए. आपके बेटे को कभी कोई हालात हरा नहीं सकते. मुझे सिर्फ आपकी चिंता लगी रहती है. आप लोग अपना ध्यान रखें. आपकी अगली एनिवर्सरी हम साथ मनाएंगे.
HIGHLIGHTS
- कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन अनुज नैय्यर की देशभक्ति को नमन
- कारगिल युद्ध के दोनों ही नायकों की प्रेम कहानी भी काफी रोचक है
- टाइगर हिल के पश्चिम में प्वाइंट 4875 को दोनों ने खाली करवाया था