साल का पहला ग्रहण लगने वाला है. 10 जनवरी की रात चांद पर ग्रहण लगने वाला है. शुक्रवार रात 10.37 बजे से चंद्रग्रहण लगेगी और खत्म रात 2.42 बजे होगी. लेकिन आपको बता है कि चांद पर लगने वाले ग्रहण से प्राकृतिक आपदाओं का संबंध है. माना जाता है कि चंद्र ग्रहण के बाद धरती पर प्राकृतिक आपदा आती है, खासकर भूकंप. जानकारों की मानें तो चंद्र ग्रहण के बाद भूकंप जैसी आपदा के और खतरनाक और जानलेवा होने की आशंका है. क्योंकि ये वैज्ञानिक सत्य है कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल समुद्री ज्वार को प्रभावित करता है. जिससे भूकंप के आने का खतरा बढ़ जाता है.
हालांकि चंद्र ग्रहण का सीधे तौर पर भूकंप से कोई रिश्ता नहीं है. पर बीते कुछ सालों में लगे चंद्र ग्रहण और उसके बाद आए भूकंप के आंकड़ों को देखें तो इस खतरे से इनकार भी नहीं किया जा सकता. साल 2018 के जनवरी महीने में चंद्रग्रहण के बाद दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के तेज झटके आए थे. इससे पहले भी चंद्र ग्रहण से कुछ दिन पहले या बाद में भूकंप के झटके लगते रहे हैं. इन तारीखों पर गौर करें.
चंद्रग्रहण | भूकंप |
9 जनवरी 2001 | 26 जनवरी, भारत |
16 मई 2003 | 1 मई, पूर्वी तुर्की |
9 नवंबर 2003 | 17 नवंबर, अलास्का |
28 अक्टूबर 2004 | 23 अक्टूबर, जापान |
3 मार्च 2007 | 6 मार्च, सुमात्रा |
28 अगस्त 2007 | 15 अगस्त, पेरू |
21 फरवरी 2008 | 21 फरवरी, इंडोनेशिया |
21 दिसंबर 2010 | 21 दिसंबर, जापान |
31 जनवरी 2018 | 31 जनवरी, भारत-पाकिस्तान |
खगोलशास्त्रियों की मानें तो चंद्र ग्रहण के 41 दिन बाद तक गुरुत्वाकर्षण घटने या बढ़ने से धरती पर भूकंप की आशंका बनी रहती है. और ये जरूरी नहीं कि भूकंप चंद्र ग्रहण के दिन ही आए बल्कि इसके कुछ दिनों आगे या पीछे भी भूकंप आ सकते हैं.
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पिछले साल 20 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. करीब 6.8 की तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश पर्वत था जिसके चलते करीब 10 सेकंड तक धरती हिलती रही और अफगानिस्तान, पाकिस्तान समेत भारत में भी कश्मीर से उत्तर प्रदेश तक जलजला आ गया था.
दरअसल चंद्रग्रहण के वक्त चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है. जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है और समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं जिससे भूकंप का खतरा बढ़ जाता है.
ऐसी मान्यता है कि सिर्फ भूकंप ही नहीं, चंद्र ग्रहण से पहले या बाद में धरती पर दूसरी प्राकृतिक आपदाएं भी खतरनाक हो जाती हैं. करीब महीने भर पहले अमेरिका के कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा में आए बर्फीले तूफान ने जनजीवन को बुरी तरह झकझोर दिया था. तब सड़कों पर करीब 30 इंच मोटी बर्फ की परतें जम गई थीं और सैकड़ों गाड़ियां कई घंटों तक जाम में फंसी रहीं. अमेरिका में 27 साल बाद इतना भयंकर बर्फीला तूफान आया था.
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उससे पहले जापान में भी हगिबीस नाम के तूफान ने ऐसी तबाही मचाई कि कई इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे. जापान ने 60 सालों में ऐसा तूफान नहीं देखा था. फुकुशिमा, कनागावा, गुनमा और चिबा जैसे इलाकों में 24 घंटों के अंदर ही करीब 90 सेंटीमीटर से भी ज्यादा बारिश हो गई जिससे हजारों लोग बेघर हो गए थे.
Source : Nitu Kumari