विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गईं गायिका नूरजहां को हिंदुस्तान से गहरा लगाव बना रहा है. इसकी बड़ी वजहों में स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी शामिल थीं. सुर और संगीत की कोई सीमा नहीं होती. इसलिए दोनों ही देशों में उन दोनों की गायिकी के लोग मुरीद रहे और हैं. भारत और पाकिस्तान के संगीत के जानकारों में अक्सर बहस होती है कि लता मंगेशकर और नूरजहां में कौन सबसे शानदार हैं? दूसरी ओर, भारत रत्न लता मंगेशकर और ‘मलिका-ए-तरन्नुम’ नूरजहां हमेशा एक-दूसरे की तारीफ करती रही हैं.
सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने वसंत पंचमी के अगले दिन आखिरी सांसें लीं, मगर देश और दुनिया के लिए वह हमेशा अमर रहेंगी. सीमा पार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान समेत वहां के फिल्म, संगीत, क्रिकेट, समाज, राजनीति तमाम क्षेत्रों के बड़े-छोटे सभी लोगों ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक जताया. उनके गाने को याद किया. इस बीच लोगों को पाकिस्तान में बस गईं मलिका-ए-तरन्नुम को भी बरबस लोगों ने याद किया. लता मंगेशकर और नूरजहां दोनों एक-दूसरे की प्रशंसक रहीं. आइए, उन दोनों महान हस्ती के रिश्ते के बारे में और अधिक जानने की कोशिश करते हैं.
लता मंगेशकर ने नूरजहां को बताया था अपना मॉडल
इतिहासकार राजू भारतन की लिखी ‘नौशादनामा’ के मुताबिक लता मंगेशकर ने एक बार कहा था कि नूरजहां उनकी मॉडल रही हैं. वह उनके गानों को सुनती आई हैं. वहीं, नूरजहां भी अक्सर कहा करती थीं कि जब भी फुरसत में होती हूं तो लता के गाने जरूर सुनती हूं. नूरजहां को हिंदुस्तान की आबोहवा अक्सर पुकारती रहती थी.
यह लड़की दुनिया की मशहूर गायिका बनेगी
नूरजहां ने 1940 के दशक में ही लता मंगेशकर की काबिलियत को पहचान लिया था. उन्होंने लता मंगेशकर का एक गाना सुनकर कहा था कि यह लड़की एक दिन दुनिया की मशहूर गायिका बनेगी. साल 1944 में नूरजहां किसी शूटिंग के लिए कोल्हापुर पहुंची थीं. तब लता पिता के दोस्त मास्टर विनायक की एक फिल्म कंपनी प्रफुल्ल पिक्चर के लिए काम करती थीं. पिता के निधन के बाद मास्टर विनायक ने लता को फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं दी थीं. साथ ही गाने का भी मौका दिया था. लता मंगेशकर ने एक इंटरव्यू में उस दौर को याद करते हुए नूरजहां से मुलाकात के बारे में बताया था.
क्लासिकल गाने के रियाज की सलाह
लता मंगेशकर ने कहा था, ' कोल्हापुर में दो गानों की शूटिंग के लिए नूरजहां आई थीं. उस वक्त मैं 14 साल की थी. तभी प्रफुल्ल पिक्चर के मालिक ने कहा कि लता आप नूरजहां जी को गाना सुनाओ. मैंने पहले क्लासिकल गाना गाया. उसके बाद नूरजहां जी ने कहा- फिल्म का कोई गाना सुनाओ. मैंने फिल्म का गाना गाया. उसके बाद नूरजहां जी ने कहा कि तुम अच्छा गाना गाती हो, लेकिन क्लासिकल गाने का रियाज करो.'
25 रुपए के मेहनताना से आसमां पर शोहरत तक
लता मंगेशकर को पहली बार मेहनताना फिल्म किटी हसाल के लिए 25 रुपए का मिला था. फिल्म महल के जरिए दुनिया ने उन्हें पहचाना. इस फिल्म के गीत 'आएगा आने वाला' ने उनकी शोहरत को आसमां पर पहुंचा दिया. अशोक कुमार की इस फिल्म ने उस दौर में कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. इसके गीतों ने लता को बुलंदी पर पहुंचा दिया. इसके बाद 1949 में फिल्म अंदाज आई थी. इसमें लता ने गाना गाकर तहलका मचा दिया था. इस फिल्म के गाने 'तोड़ दिया दिल मेरा' ने अरसे तक लोगों के दिलों पर राज किया. इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
जब एक ही धुन पर गुंजे दोनों महान स्वर
पाकिस्तान में 1970 में आई कामयाब फिल्म अंजुमन के गाने से लता मंगेशकर की तुलना की जाती है. इस फिल्म में नूरजहां ने दिलकश अंदाज में गाया था-नयनवा चलाए बाण. खास बात यह है कि ठीक इसी धुन पर 1956 में हिंदुस्तान में रिलीज हुई फिल्म कर भला में लता मंगेशकर ने गाना गया था-बालमजी बड़े नादान. दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों ही फिल्मों का म्यूजिक कंपोज निसार बज्मी ने ही किया था. नूरजहां और लता मंगेशकर पर बहस करने वाले इन दोनों गानों पर सबसे ज्यादा चर्चा करते हैं.
ये भी पढ़ें - Temple Of Melody: अजर-अमर हो गईं स्वर कोकिला लताजी
एक साथ लता मंगेशकर, नूरजहां और दिलीप कुमार
साल 1982 में हिंदुस्तान आने पर नूरजहां के सम्मान में एक आयोजन किया गया था. इसमें लता मंगेशकर भी शामिल हुई थीं. ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार ने इस मौके पर नूरजहां से कहा था, ‘नूरजहां जी, जितने बरस के बाद आप हमसे मिलने आई हैं, उतने ही बरस हम सबने आपका इंतजार किया है.’ यह बात सुनकर नूरजहां दिलीप कुमार से गले मिलकर भावुक हो उठी थीं. नूरजहां ने भी कहा कि मैं खुदा से यह दुआ मांगती रहती थी कि एक बार मरने से पहले उन्हें हिंदुस्तान के दोस्तों से मिलवा दे.
HIGHLIGHTS
- सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने वसंत पंचमी के अगले दिन आखिरी सांसें लीं
- लता मंगेशकर और नूरजहां हमेशा एक-दूसरे की तारीफ करती रही हैं
- पाकिस्तान में 1970 में आई फिल्म अंजुमन के गाने से लता मंगेशकर की तुलना