UP Election 2022 : वर्ष 2017 के उन्नाव रेप पीड़िता (Unnao rape) की मां आशा सिंह (Asha Singh) उन उम्मीदवारों में शामिल हैं जो कांग्रेस (Congress) के टिकट पर उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी. कांग्रेस ने चुनाव के लिए 125 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की है, जिसमें 50 महिला उम्मीदवार शामिल हैं. वहीं 55 वर्षीय आशा सिंह साल 2017 के उन्नाव सामूहिक बलात्कार की पीड़िता की मां हैं. यूपी के उन्नाव में 17 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार उस समय सुर्खियों में आया था जब बलात्कार पीड़िता ने कथित रूप से पुलिस निष्क्रियता के विरोध में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (cm yogi adiyanath) के आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया था. एक बार फिर से आशा सिंह को टिकट मिलने के बाद उन्नाव की चर्चा की जा रही है.
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वर्ष 2017 उन्नाव सामूहिक बलात्कार कांड
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के बाहर पीड़िता ने आत्महत्या का प्रयास करने के बाद उन्नाव बलात्कार का मामला सुर्खियों में आया था. वर्ष 2019 में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में 17 वर्षीय लड़की के बलात्कार के लिए दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. कुलदीप सेंगर (Kuldeep senger) के खिलाफ आरोप सामने आने के तुरंत बाद रेप पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. कथित प्रताड़ना के कारण पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई. मार्च 2020 में रेप पीड़िता के पिता की मौत के मामले में कुलदीप सेंगर को 10 साल जेल की सजा सुनाई गई थी.
आशा सिंह की उम्मीदवारी के बाद उठा उन्नाव चर्चा
आशा सिंह के चुनावी उम्मीदवार के रूप में घोषित होने के बाद उनकी सबसे छोटी बेटी ने दावा किया कि वह न्याय के लिए लड़ेंगी और उन्नाव के गरीबों के लिए काम करेंगी. हालांकि, स्थानीय लोग अभी भी दावा करते हैं कि सेंगर निर्दोष थे. स्थानीय निवासी इरफान ने कहा, 'सेंगर की कोई गलती नहीं थी. वह सिर्फ एक सॉफ्ट टार्गेट थे और उन्हें एक बलि का बकरा बनाया गया. एक अन्य स्थानीय राजेंद्र सिंह ने कहा कि हर कोई जानता है कि आशा नहीं जीतेगी. कांग्रेस केवल महिलाओं के लिए 40% सीटों का अपना कोटा पूरा कर रही है.
कौन हैं आशा सिंह?
आशा सिंह 2017 उन्नाव रेप की घटना की पीड़िता की 55 वर्षीय मां हैं. वह ठाकुर समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. उसका एक बेटा और चार बेटियां हैं. आशा साक्षर नहीं है. उनकी एक बेटी मास्टर डिग्री कर रही है. पति की मौत के बाद से आशा मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर रही हैं. उनके पति का परिवार ठाकुर समुदाय से है. सामूहिक दुष्कर्म कांड के बाद उन्हें करीब ढाई करोड़ रुपये की आर्थिक मदद और दिल्ली में एक फ्लैट दिया गया. अदालती मुकदमों के चलते अब परिवार ज्यादातर दिल्ली में रहता है. हालांकि, वे उन्नाव के संपर्क में हैं और समय-समय पर अपने मूल स्थान का दौरा करते हैं. परिवार का कहना है कि आने वाले चुनावों में अगर आशा सिंह चुनी जाती हैं तो वह उन्नाव में गरीबों के लिए काम करेंगी. वह उन्नाव से बीजेपी विधायक पंकज गुप्ता को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश करेंगी.
आशा की संभावनाएं
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि महिला सहानुभूति कार्ड उन्नाव में कांग्रेस के लिए काम नहीं करेगा, खासकर प्रियंका गांधी के इस कदम (आशा सिंह की उम्मीदवारी) को लेकर. स्थानीय लोगों का कहना है कि आशा सिंह के परिवार की वास्तविकता के बारे में सभी जानते हैं और कोई भी उनके पक्ष में नहीं रहने वाला है. उनका दावा है कि परिवार के अधिकतर सदस्य हिस्ट्रीशीटर हैं. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस कदम से कांग्रेस को ही नुकसान होगा क्योंकि स्थानीय लोगों को सामूहिक बलात्कार पीड़िता के परिवार के प्रति ज्यादा सहानुभूति नहीं है क्योंकि उनका दावा है कि कुलदीप सेंगर निर्दोष थे. स्थानीय लोगों का दावा है कि सेंगर के खिलाफ आरोप दोनों परिवारों के बीच पुरानी रंजिश के चलते लगाया गया था. उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पहले कहा था कि कांग्रेस के 40% उम्मीदवार महिलाएं हैं और अन्य 40% युवा हैं. उन्होंने दावा किया कि पार्टी इस कदम से नई और ऐतिहासिक शुरुआत कर रही है.
HIGHLIGHTS
- वर्ष 2017 के उन्नाव रेप पीड़िता की मां है आशा सिंह
- कांग्रेस के टिकट पर उन्नाव सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगी
- उन्नाव में 17 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार सुर्खियों में रहा था