वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को अपने अब तक के सबसे छोटे बजटीय भाषण के साथ 2022-23 का बजट पेश किया. उन्होंने एक घंटे और 30 मिनट भाषण दिया, जिससे यह उनका सबसे छोटा बजटीय भाषण बन गया, जो आम तौर पर कम से कम 2 घंटे तक चलता है. सीतारमण ने एक टैब से भाषण पढ़ते हुए दूसरी पेपरलेस बजट प्रस्तुति भी दी. उन्होंने महाभारत के शांति पर्व के एक श्लोक का भी हवाला दिया. 2019 में उन्होंने दो घंटे और 15 मिनट (135 मिनट) में सबसे लंबा भाषण दिया था, वहीं अगले साल 2020 में उन्होंने 160 मिनट से अधिक देर भाषण दिया. उनसे पहले जसवंत सिंह ने 2003 में 2 घंटे 15 मिनट तक भाषण दिया था. जब शब्द सीमा की बात आती है, तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 के अपने ऐतिहासिक भाषण में 18,650 शब्द बोलकर एक रिकॉर्ड बनाया था. उस वक्त वे पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री थे. भारत के लिए बजट पेश करने की परंपरा ब्रिटिश काल में 1860 में शुरू हुई थी. 1947 में देश के आजाद होने के बाद बजट को पेश करने के तौर तरीके से लेकर इसके समय, तारीख और भाषा में भी कई रोचक और ऐतिहासिक बदलाव हुए हैं. आइए आपको आजाद भारत में बजट की यात्रा से रूबरू करवाते हैं.
आजाद भारत का पहला बजट
भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था और आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी ने पेश किया था. वकील और अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ एक राजनेता के तौर पर भी सक्रिय वित्त मंत्री आरके षणमुखाम शेट्टी द्वारा पेश किए गए आजाद भारत के पहले बजट में टैक्स प्रस्ताव नहीं था और इसमें स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 तक के साढ़े 7 महीने की अवधि को ही कवर किया गया था
पहली बार बजट को हिंदी में भी छपवाने वाले वित्त मंत्री
भारत के तीसरे वित्त मंत्री सी डी देशमुख को बजट में कई ऐतिहासिक बदलाव करने का श्रेय दिया जाता है. 1951 से 1957 तक वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालने वाले देशमुख के कार्यकाल में ही पहली बार बजट की कॉपी को अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हिंदी में भी छापा गया. इससे पहले बजट की कॉपी को सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही छापा जाता था. इसके साथ ही देशमुख को बजट के तौर-तरीकों, स्वरूप और लक्ष्यों में बड़े बदलाव लाने वाले वित्त मंत्री के तौर पर भी याद किया जाता है. उनके कार्यकाल में ही देश में पंचवर्षीय योजनाओं की शुरूआत हुई और काला धन को उजागर करने की योजना भी लाई गई. हालांकि उनसे पहले देश के दूसरे वित्त मंत्री जॉन मथाई 1949 के अपने बजट में योजना आयोग और पंचवर्षीय योजना का जिक्र कर चुके थे.
बजट पेश करने वाली पहली महिला
वर्तमान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक महिला है, लेकिन उनसे भी पहले एक और महिला नेत्री संसद में भारत का बजट पेश कर चुकी हैं. भारत का बजट संसद में प्रस्तुत करने वाली पहली महिला इंदिरा गांधी थी. 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी ही सरकार के उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री मोरारजी देसाई से वित्त मंत्रालय का प्रभार वापस ले लिया. इससे नाराज होकर मोरारजी देसाई ने इंदिरा मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस राजनीतिक हालात में प्रधानमंत्री होने के साथ ही वित्त मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहीं इंदिरा गांधी ने 1970 में बजट पेश किया और इसी के साथ बजट पेश करने वाली वो पहली महिला बन गई. हालांकि प्रधानमंत्री रहते हुए संसद में बजट पेश करने का रिकॉर्ड उनसे पहले जवाहर लाल नेहरू 1958 में अपने नाम कर चुके थे.
सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री
देश में सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम दर्ज है. जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्रालय का दायित्व संभालने वाले देश के पूर्व प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम सबसे अधिक 10 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड दर्ज है. इनमें से 8 बार उन्होंने वार्षिक आम बजट पेश किया और 2 बार अंतरिम बजट पेश किया था.
आर्थिक सुधारों के जरिए भारत को उदारीकरण के पटरी पर दौड़ाने वाले वित्त मंत्री
1991 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी और आजाद भारत में यह कांग्रेस की पहली ऐसी सरकार थी जिसका प्रधानमंत्री नेहरू-गांधी परिवार से नहीं था. नरसिम्हा राव ने मनमोहन सिंह को अपना वित्त मंत्री बनाया और आर्थिक संकट के उस दौर में 1991 में मनमोहन सिंह ने जो बजट पेश किया वो आगे चलकर भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधारों की शुरूआत की. लाइसेंसी राज को खत्म करने की शुरूआत की और उन्ही के कार्यकाल में भारत तेजी से उदारीकरण की पटरी पर दौड़ता हुआ नजर आने लगा.
बजट पेश करने का समय बदलने वाले वित्त मंत्री
भारत में बजट पेश करने की शुरूआत ब्रिटिश काल में हुई थी, इसलिए उन्होंने भारतीय संसद में बजट पेश करने का समय भी अपने देश की संसद के अनुसार ही तय किया हुआ था. जब लंदन में दिन के 11 बजते हैं उस समय भारत में शाम के 5 बज रहे होते हैं. इसलिए ब्रिटिश सरकार अपनी संसद में अपने सांसदों को 11 बजे भारत का बजट सुनाने के लिए भारत की संसद में शाम 5 बजे बजट पेश किया करती थे. देश के आजाद होने के बाद भी कई दशकों तक शाम के 5 बजे ही लोकसभा में बजट पेश किया जाता रहा, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने के समय में बदलाव किया और देश के इतिहास में पहली बार 1999 में शाम के 5 बजे की बजाय दिन में बजट पेश किया और तब से लेकर इसी परंपरा का पालन किया जा रहा है.
बजट पेश करने की तारीख बदलने वाले वित्त मंत्री
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बजट पेश करने की तारीख में बड़ा बदलाव किया गया. 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी महीने की आखिरी तारीख की बजाय पहली तारीख को संसद में बजट पेश किया और उसके बाद से ही हर साल 1 फरवरी को ही बजट पेश किया जाता है. जेटली के ही कार्यकाल में 9 दशकों से चली आ रही परंपरा को खत्म करते हुए रेल बजट को भी आम बजट में ही समाहित कर दिया गया.
देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बनाए कई रिकॉर्ड
हालांकि वित्त मंत्रालय के प्रभारी मंत्री के तौर पर इंदिरा गांधी पहली महिला थी जिन्होंने 1970 में बजट पेश किया था, लेकिन देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनने का रिकॉर्ड निर्मला सीतारमण के नाम पर ही दर्ज है. 1 फरवरी को निर्मला सीतारमण अपना ने चौथा बजट पेश. पहली महिला वित्त मंत्री होने के साथ-साथ उनके नाम कई ऐसे रिकॉर्ड भी दर्ज हो गए हैं जिनकी वजह से बजट में ऐतिहासिक बदलाव लाने वाले वित्त मंत्रियों की सूची में वह भी शामिल हो गई हैं.
ब्रीफकेस के बजाय पोटली
निर्मला सीतारमण ने ब्रिटिश काल से चली आ रही एक और परंपरा, ब्रीफकेस या सूटकेस में बजट पेश करने को बदल दिया. निर्मला सीतारमण 2019 में ब्रीफकेस की बजाय लाल कपड़े की एक पोटली में बजट के कागजात लेकर संसद भवन गई. कोरोना महामारी को देखते हुए 2021 में पहली बार पूरी तरह से पेपरलेस डिजिटल बजट संसद में पेश किया गया. इस वर्ष बजट की कॉपी को छापने की परंपरा बंद हो गई. इसी के साथ निर्मला सीतारमण देश की पहली वित्त मंत्री बन गई जिन्होंने बही खातों और कागजों की बजाय टैब से बजट पेश किया.
इस बार हलवा समारोह नहीं
2022-2023 का यह बजट सत्र 'हलवा समारोह' नहीं करने को लेकर भी याद किया जाएगा. दरअसल बजट से पहले अब तक हर साल वित्त मंत्रालय में परंपरागत तरीके से एक 'हलवा समारोह' का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना और उसके नए स्वरूप ओमीक्रॉन के खतरे की वजह से हलवा समारोह का आयोजन नहीं किया गया. इस बार हलवे की बजाय कर्मचारियों को मिठाई खिलाई गई.
सबसे लंबा बजटीय भाषा का रिकॉर्ड
अब तक के बजट पेश करने के इतिहास में सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड भी वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम ही दर्ज है. उन्होंने 2020 में लोक सभा में बजट पेश करते समय 2 घंटे 41 मिनट का भाषण देकर नया रिकॉर्ड बना दिया था. इससे पहले यह रिकॉर्ड एनडीए सरकार के ही एक अन्य वित्त मंत्री जसवंत सिंह के नाम दर्ज था. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के वित्त मंत्री के तौर पर बजट पेश करते समय 2003 में जसवंत सिंह ने 2 घंटे 13 मिनट तक भाषण दिया था.
HIGHLIGHTS
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश कर कई रिकार्ड बनाए
- आजाद भारत में बजटीय भाषण में कई चीजें पहली बार भी हुईं
- बतौर महिला इंदिरा गांधी ने पेश किया था पहला आम बजट