संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) बुधवार को संपन्न हो गया. लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों की कार्यवाही तय समय से एक दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू हुआ और 23 दिसंबर को पूरा होने वाला था. विपक्ष के हंगामे और काम नहीं हो पाने की वजह से एक पहले ही दोनों सदनों अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया. विपक्षी सदस्यों द्वारा दोनों सदनों में व्यवधान के कारण सत्र में 18 घंटे और 48 मिनट का नुकसान हुआ. इससे पहले शीतकालीन सत्र में आकर्षण का केंद्र रहे विपक्ष के 12 निलम्बित सांसदों की बहाली हो गई. शीतकालीन सत्र में कुल 18 बैठकें हुईं.
संसदीय परंपरा के मुताबिक सत्र पूरा होने पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने देश को सदन के काम से जुड़ी जरूरी जानकारियां दी. सत्र के संपन्न होने से पहले राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सदन के कामकाज पर अपनी चिंता और नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने सदस्यों से सामूहिक रूप से चिंतन करने और व्यक्तिगत रूप से आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, ‘सदन का शीतकालीन सत्र समाप्त हो रहा है. मुझे आपको यह बताते हुए खुशी नहीं हो रही है कि सदन ने अपनी क्षमता से बहुत कम काम किया. मैंने आप सभी से सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से चिंतन करने और आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह करता हूं कि आप सोचें कि कैसे ये सत्र अलग और बेहतर हो सकता था.’
राज्यसभा में आधे से ज्यादा वक्त बर्बाद
सभापति वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में इस बार उच्च सदन में पिछले 4 वर्षों के मुकाबले काफी कम काम हुआ. आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सबसे कम कामकाज वाले सत्र में 5वें नंबर पर रहा. नायडू ने पिछले 4 वर्षों में राज्यसभा के 12 सत्रों की अध्यक्षता की है. इस शीतकालीन सत्र में व्यवधानों और जबरन स्थगन के कारण कुल 49 घंटे 32 मिनट का समय बर्बाद हो गया. यानी कुल 52.08 फीसदी समय बर्बाद हो गया. राज्यसभा द्वारा शीतकालीन सत्र के दौरान 10 विधेयकों को पारित किया गया, जबकि विनियोग विधेयक पर अंतिम दिन होने वाली चर्चा नहीं हुई.
राज्यसभा में प्रश्न और शून्य काल का लेखा जोखा
शीतकालीन सत्र की 18 बैठकों के दौरान राज्यसभा में सिर्फ 47.90 प्रतिशत समय में ही कार्यवाही हो पाई. बाकी समय बर्बाद हुआ. कुल निर्धारित बैठक के 95 घंटे 6 मिनट के समय में से, सदन केवल 45 घंटे 34 मिनट के लिए ही चल सका. प्रश्नकाल सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ, जिसमें उपलब्ध कुल प्रश्नकाल का 60.60 प्रतिशत व्यवधानों के कारण नष्ट हो गया. प्रश्नकाल की 18 में से सात बैठकें नहीं हो सकीं. सरकारी विधेयकों पर चर्चा करने में कुल 21 घंटे 7 मिनट का समय लगा, जिसमें विनियोग विधेयक भी शामिल है, जो सदन के कामकाज के समय का 46.5 प्रतिशत है. इन बहसों में सांसदों द्वारा 127 हस्तक्षेप किए गए. सदस्य सत्र के दौरान शून्यकाल के लिए उपलब्ध समय का केवल 30 प्रतिशत ही प्राप्त कर सके और 18 बैठकों के दौरान केवल 82 शून्यकाल प्रस्तुतियां दी जा सकीं.
राज्यसभा की स्थायी समितियों का काम-काज
शीतकालीन सत्र की अवधि के दौरान राज्य सभा की सात विभाग संबंधित स्थायी समितियों ने 28 घंटे 36 मिनट की कुल अवधि में कुल 19 बैठकें की हैं. इन समितियों ने इन बैठकों में औसतन 1 घंटे 32 मिनट की अवधि और लगभग 51 प्रतिशत की औसत उपस्थिति दर्ज की. परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी समिति ने प्रति बैठक 2 घंटे 5 मिनट की उच्चतम औसत अवधि के साथ सबसे अधिक सात बैठकें कीं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, वाणिज्य एवं गृह मामलों की समितियों ने लगभग 60 प्रतिशत या उससे अधिक की अच्छी उपस्थिति की सूचना दी.
लोकसभा में उम्मीदों से कम हुआ कामकाज
इसी तरह लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने भी लोकसभा में कामकाज के रिकॉर्ड बताए और उसको लेकर अपनी भावनाएं जाहिर की. उन्होंने कहा, ‘सभा का कार्य निष्पादन आशा के अनुरूप नहीं रह पाया. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सहमति और असहमति स्वाभाविक हैं, लेकिन नियोजित तरीके से सदन में व्यवधान डालना ठीक नहीं है. विपक्ष असहमति दर्ज कराएं, लेकिन सदन नहीं चले, यह ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि पीठासीन सभापतियों के सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी थी कि प्रश्नकाल स्थगित नहीं होना चाहिए. संसद में सहमति-असहमति हो, लेकिन यह चर्चा और संवाद के जरिये होना चाहिए. मेरे लिये सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही बराबर हैं. सदस्यों के विरोध दर्ज कराने के लिये अगर पहले आसन के समीप आने का कोई चलन रहा भी है, तब भी यह उचित नहीं है. ऐसी परंपरा नहीं होनी चाहिए.
आदर्श आचार संहिता बनाने की दिशा में कोशिश
बिरला ने कहा कि सदन में चर्चा नियमों एवं प्रक्रियाओं के तहत होती है. इस सत्र में 70 प्रतिशत विधेयकों को संसदीय समितियों के समक्ष भेजा गया. उन्होंने कहा कि हमने हमेशा इस बात का प्रयास किया है कि संसदीय समितियों में वर्तमान परिस्थितियों में कामकाज में व्यापक बदलाव आए और इस बारे में आदर्श आचार संहिता बने. 29 नवंबर से शुरू हुए 17वीं लोकसभा सत्र के दौरान कुल 18 बैठकें हुईं और 83 घंटे 12 मिनट तक चलीं. उन्होंने बताया कि सत्र के शुरू में सदन के तीन सदस्यों ने 29 और 30 नवंबर को शपथ ली. बिरला ने कहा कि इस सत्र में महत्वपूर्ण वित्तीय और विधायी कार्य निपटाये गए और इस दौरान 12 सरकारी विधेयक पेश किये गए और 9 विधेयक पारित हुए. बिरला ने कहा कि इस दौरान सदन का कार्य निष्पादन 82 प्रतिशत रहा और व्यवधान के कारण 18 घंटे 48 मिनट का समय बेकार गया.
लोकसभा में दो दिसंबर को रिकॉर्ड 204 फीसदी काम
सत्र के दौरान सूचीबद्ध कार्य को पूरा करने के लिए सदन 18 घंटे 11 मिनट अधिक देर तक बैठा. इस सत्र के दौरान सभा की कार्य- उत्पादकता 82 प्रतिशत रही. स्पीकर ने बताया कि सत्र की पहली सात बैठकों के दौरान उत्पादकता 102 प्रतिशत थी. 2 दिसम्बर, 2021 को सभा का कार्य रिकॉर्ड 204 प्रतिशत रहा. सत्र के दौरान 12 सरकारी विधेयक लाए गए और 9 विधेयक पारित किए गए. इस सत्र के दौरान पारित किए गए कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों में कृषि विधि निरसन विधेयक, 2021; केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक (संशोधन), 2021; दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन विधेयक (संशोधन), 2021; और निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 शामिल हैं.
सदस्यों ने भेजे 95 फीसदी ऑनलाइन नोटिस
सत्र के दौरान सदन में 360 में से 91 तारांकित प्रश्नों के उत्तर मौखिक रूप से दिए गए. 4140 अतारांकित प्रश्नों के उत्तर सभा पटल पर रखे गए. 20 दिसंबर 2021 को, दिन के लिए सूचीबद्ध सभी 20 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिए गए. इसके अलावा, नियम 377 के तहत लोक महत्व के 380 मामले उठाए गए. सदस्यों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग पर संतोष व्यक्त करते हुए ओम बिरला ने कहा कि पिछले सत्र के दौरान 93.5 फीसदी की तुलना में इस सत्र में 94.68 फीसदी ई-नोटिस प्राप्त हुए.
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लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि शून्य काल के दौरान सभा में अविलंबनीय लोक महत्व के 563 मामलों को भी उठाया गया. 9 दिसम्बर को सदन में देर तक बैठकर 62 माननीय सदस्यों ने शून्य काल के तहत अपने विषय सभा के समक्ष रखे. इनमें से 29 महिला सदस्य थीं. कुल 8 दिन शून्यकाल चला और प्रतिदिन इसका औसत 1 घंटा 51 मिनट रहा. सदन के बारे में बिरला ने कहा कि स्थायी समितियों ने सदन को 45 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए और सत्र के दौरान सदन के कामकाज पर संसदीय मामलों के 3 वक्तव्यों सहित 50 वक्तव्य सदन में प्रस्तुत किए गए. कुल 2658 पत्र सभा पटल पर रखे गए.
HIGHLIGHTS
- राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सदन के कामकाज पर चिंता और नाराजगी जताई
- स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि लोकसभा का कार्य निष्पादन आशा के अनुरूप नहीं रह पाया
- दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सत्र में 18 घंटे और 48 मिनट का नुकसान