देश में लोकसभा चुनाव 2024 के छह चरण संपन्न हो चुके हैं, जबकि सातवें व अंतिम चरण के लिए एक जून को मतदान होना है. मतदान के अंतिम चरण के तारीख नजदीक आते देख भारतीय जनता पार्टी समेत सभी दलों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. इस दौरान 400 पार का नारा लेकर चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी ने चुनावी रण जीतने के लिए न केवल कोई कोर कसर बाकि छोड़ी है, बल्कि जीत के विश्वास के साथ अपने तीसरे टर्म में होने वाले बड़े फैसलों पर मंथन पर करना शुरू कर दिया है. इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूज नेशन को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सभी मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. पेश हैं पीएम मोदी का पूरा इंटरव्यू-
सवाल- अब तक भारतीय जनता पार्टी कह रही थी अब की बार 400 पार. तीसरी टर्म में लोगों की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं... उन उम्मीदों के जवाब में आपको किस तरीके की उम्मीद है?
जवाब- जहाँ तक. इलेक्शन कैंपेन का सवाल है. जन समर्थन का सवाल है. मतदाताओं के उत्साह का सवाल है. एक अभूतपूर्व नजरिया दिखाई दे रहा है. और ये 400 पार का नारा. प्रारंभ हुआ जनता से. आवाज हमारे कान पर पहले बड़ी जनता से. और धीरे धीरे वो गूंज बढ़ती गई. उसी प्रकार हमारे कश्मीर के एक साथी ने मुझे कहा कि धारा 370 हट गई है. आपको 370 का नारा देना चाहिए. तो उसमें से फिर ये बीजेपी 370 एंड एनडीए 400 पार की ये बात? जन जन में पहुँच गई.
सवाल- इस चुनाव में मजेदार बात ये रही कि हार और जीत की बात कोई नहीं कर रहा. 400 से ज्यादा है या 400 से कम?
जवाब- वैसे भी विपक्ष? इंडी अलायन्स अगर आप देखें. वो बन ही नहीं पाया. तीन चार बार उनके फोटो आए. उसमें भी जो पहले में थे वो दूसरे में नहीं थे, दूसरे में थे, वो तीसरे में नहीं थे. पहले कभी एक नंबर आते थे तो फिर तीसरे चौथे नंबर के लोग आने लगे. फिर उसमें कोई स्पिरिट भी नहीं था. उन्होंने केरल में जाकर के सबसे पहले फेज के चुनाव में लेफ्ट के पीठ में छुरा फौंक दिया.
सवाल- आपके पिछले 10 साल के कार्यकाल में हमारा. देश संसार की एक बहुत बड़ी आर्थिक ताकत बन चुका है और हमारा आज पूरे संसार में पांचवा नंबर है. अब जब हम 400 के साथ आएँगे तो उस समय आपको क्या लगता है कि क्या बड़े फैसले लेंगे, इकोनॉमिक रिफॉर्म होंगे जो आप लेंगे और वो भी ये देखते हुए कि आपने एक टारगेट रखा है कि जल्द से जल्द.भारत को एक विकसित देश बनाना है.
जवाब- एक तो आप जानते हैं कि मैं रिफॉर्म. परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म. इस मूल मंत्र को लेकर के गवर्नेंस में अपना बल देता हूं और उसमें मेरी कोशिश ज्यादा होती है. देखिए विकास को हमें जन आंदोलन बनाना चाहिए. एक स्पिरिट पैदा होना चाहिए देश में. आप इंक्रीमेंटल कुछ भी करते जाएंगे तो परिणाम नहीं बढ़ता है. देश 1000 साल तक गुलाम रहा. हिंदुस्तान का कोई न कोई भू भाग 1000 साल तक आजादी के लिए लड़ता रहा है. महात्मा गांधी जी ने क्या किया? गांधी जी ने आजादी को जन आंदोलन बना दिया. हमने स्वच्छता को बड़ा आंदोलन बनाया. अब कुंभ का मेला हमारा दुनिया में स्वच्छता के लिए जाना गया. आज टूरिज्म को ही ले लीजिए. देश विविधताओं से भरा हुआ है हमें. विविधताओं को सेलिब्रेट करना चाहिए, लेकिन विविधता में एकता इस मंत्र को कभी भी ओझल नहीं देना चाहिए. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मेरे मन में था. सरदार पटेल साहब का बहुत बड़ा स्टैच्यू बनाना है और मैं जब बड़ा सोचता हूँ तो अब मान के चलिए दुनिया में वो मिसला बन जाता है. हर गांव से मैंने छोटा सा लोहे का टुकड़ा मांगा यानी देश की एकता फिर हर गांव से मिट्टी ली. ये चुनाव जो है उस बात पर केंद्रित हुआ है कि हमें विकसित भारत बनाना चाहिए. 10 साल के ट्रैक रिकॉर्ड ने उसकी विश्वसनियता बढ़ा दी है. आज भारत पांचवें नंबर की इकनॉमी बनने के लिए काम कर रहा है. विकसित भारत होना भी मुश्किल नहीं है.
सवाल- आप भारतीय राजनीति के संभवत इकलौते ऐसे राजनेता है जिनको केंद्र में इतने लम्बे वक्त के अनुभव के साथ-साथ राज्य में भी लीड करने का सबसे ज्यादा लंबा अनुभव है? तो आप समझते हैं बेहतर तरीके से? केंद्र और राज्य को फेडरल स्ट्रक्चर को.
जवाब- आपकी बात बिलकुल सही है. हमारे देश में जितने प्रधानमंत्री हुए. एक तो 90% प्रधानमंत्री. कांग्रेस गोत्र के हुए. इस देश में दो ही प्रधानमंत्री हैं जो कांग्रेस गोत्र के नहीं थे. एक अटल जी, दूसरे नरेन्द्र मोदी. लेकिन अटल जी को भी पूर्ण बहुमत से सेवा करने का मौका नहीं मिला. इसके साथ ही आजादी से अब तक जितने प्रधानमंत्री बने ज्यादातर दिल्ली की या सेंटर की राजनीति से निकले. बहुत कम लोग थे जो स्टेट में काम करके आए थे, लेकिन जो काम करके आए वो स्टेट में भी बहुत कम समय मिला था. मुझे ज्यादा से ज्यादा समय मिला और एक अच्छे प्रगतिशील राज्य में मिला. तो मैं एक राज्य की कठिनाइयां क्या होती है वो मुझे किसी मुख्यमंत्री से सुनना नहीं पड़ता है. मैं समझ सकता हूँ कि मैं भले यहाँ बैठा हूँ कि आंध्र में क्या तकलीफ होती होगी, बंगाल में क्या तकलीफ होती होगी, पंजाब की क्या जरूरत होती होगी ये मैं भली भांति समझ सकता हूँ.
सवाल- हमने पिछले 10 सालों में एक बिल्कुल अलग तरह का प्रधानमंत्री देखा जो हमने तो इससे पहले देखा नहीं. हमारा प्रधानमंत्री डिस्कवरी चैनल के मैन वर्सस वाइल्ड में चला जाता है. बेयर गिल्स के साथ वो वो टास्क कर रहा है जो जो हम सोच नहीं सकते. हमारा प्रधानमंत्री द्वारिका में समुद्र तल के नीचे बैठ जाता है. हमें लगता है ट्रीटेड शार्ट होंगे. तो क्या आपका जो विपरीत परिस्थितियों में चुनौतियों में अस्तित्व बनाए रखने स्वभाव है...वो कैसे है
जवाब- मैंने हिन्दुस्तान में बहुत भ्रमण किया है. यहाँ की मिट्टी के प्रति मेरा अटूट प्यार है. मैं इसको जीना चाहता हूं. चाहे वो केदारनाथ की गुफाएं हों या कन्याकुमारी का समुद्री तट हो... मैं कभी कच्छ के रेगिस्तान में रात बिताने चला गया... मैं जाता हूँ खुद की जिंदगी को समझने के लिए, जीने के लिए... लेकिन जब मैं उसमें से कोई स्पार्क मुझमें होता है तो उसमें से नई व्यवस्था भी खड़ी होती है. अब भारत में टूरिज़म के लिए इससे बड़ा अवसर क्या हो सकता है? तो मेरे मन की इच्छा थी कि मैं कभी न कभी उस डूबी हुई द्वारिका के जो अवशेष हैं, हाथ छू करके आऊंगा.
सवाल- हमेशा कहते हैं प्रकृति से आपको बहुत ताकत मिलती है... प्रकृति से ताकत कैसे मिलती हैं आपको.
जवाब- आप अगर प्रकृति का अध्ययन करें तो उसकी स्वयं संचालित व्यवस्था रहती है. प्रकृति के प्रति आपका जब समर्पण होता है तब आपका अपना विस्तार होता है. आप अपने दायरे से एकदम से बाहर निकल जाते हैं. मुझे प्रकृति विस्तार देती है. आजकल मैं लिखता नहीं हूं. जब लिखता था तो कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ा कोई न कोई विषय तो आ ही जाता था.
सवाल- हम सबको भारतवासी के तौर पर गर्व है खुद पर, लेकिन आजादी के बाद से भारत की एक छवि ऐसी भी रही जो विदेशों से मानवीय मदद मांगता था, अनाज मांगता था, कर्जा मांगता था. हथियार भी मांगता था. बीते कुछ सालों में वो तस्वीर अब बदली है. अब हम बाकी देशों को मानवीय मदद कर रहे हैं. डिफेन्स एक्सपोर्ट में हमने रिकॉर्ड बना रहे हैं कोरोना संकट पर हमने देखा कि कैसे हमने दुनिया के बहुत देशों की मदद की. ये छवि बदलना भी कितना जरूरी था.
जवाब- ये सब कुछ मैं तो आज कोई मोदी आने के बाद थोड़ा आया है. इस देश के पास सब कुछ था लेकिन हमने उसको तवज्जो नहीं दी. हम गुलामी की मानसिकता में इतने दबे रहे. मैं इसके लिए एक माइंड सेट बदलना चाहता था. लोगों का एक माइंड सेट होता है. जब चंद्रयान को सफलता मिली तो दुनिया कहती कि स्पेस शक्ति में अब भारत को स्वीकार करना ही होगा. कोविड वैक्सीन को लेकर दुनिया को चिंता थी कि इतना बड़ा देश? दुनिया के लिए संकट बन जाएगा, लेकिन यही देश संकट तो न बना, अपने देश को भी संभालना और दुनिया को संभाला. आज भी मेरे देश की दो तीन चीजें हैं जिस पर मैं आने वाले 5 साल में मैं ज्यादा मेहनत करना चाहता हूँ जैसे कि भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन कृषि प्रधान देश होने के बाद भी हम करीब करीब 1,00,000 करोड़ रुपये खाने का तेल हम बाहर से मंगाते हैं. मैं उस पर मिशन मोड में काम करना चाहता हूँ कि भारत आत्मनिर्भर कैसे बने.
Source : News Nation Bureau