भारत ही नहीं विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या बहुत ज्यादा है. भारत जैसे देश में खराब सड़क, यातायात के नियमों का पालन न करना और शराब पीकर वाहन चलाना सड़क दुर्घटना का प्रमुख कारण है. सड़क दुर्घटनाओं पर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं. लेकिन सड़कों की अच्छी व्यवस्था और और सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुकता अभियान ने कुछ असर दिखाया है. फिर भी पिछले साल सड़क हादसों में हर घंटे 16 लोग मारे गए. देश के बड़े शहरों में सड़क दुर्घटनाओं और उनमें मरने वालों की संख्या ज्यादा है. सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले शहरों की बात की जाए तो दिल्ली में उसमें सर्वोपरि है. दिल्ली के अलावा चेन्नई,जयपुर, बेंगलुरू, मुंबई, कानपुर, लखनऊ, आगरा, हैदराबाद और पुणे का नाम शामिल है. दिल्ली सड़क पर होने वाली मौतों के मामले में सबसे आगे रही जबकि उत्तर प्रदेश सबसे घातक प्रांत रहा.
सड़क सुरक्षा का ब्राजील घोषणापत्र
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ब्राजील घोषणापत्र में भारत में 2020 तक 50 प्रतिशत तक सड़क दुर्घटनाओं और उससे होने वाले मृत्यु को कम करने का लक्ष्य रखा गया था. वर्ष 2016 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मिशन मोड में काम करते हुए नीतियों को बदलने और इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए नई प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मजबूत और पारदर्शी नेटवर्क बनाते हुए सम्पूर्ण परिवहन प्रबंधन प्रणाली को स्वचालित किया जा रहा है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़कों को सुरक्षित बनाने के निर्धारित काम को शुरू कर दिया है.
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने दुर्घटना वाले स्थलों की पहचान
राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटना कम करने के लिए देश भर में ऐसी जगहों की पहचान की गई है, जहां सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं. वर्ष 2011, 2012, 2013 और 2014 के दौरान दुर्घटनाओं में हुई मौतों के आधार पर 786 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है. इनमें से 150 पीडब्ल्यूडी के दायरे में हैं. 501 एनएच स्ट्रेच एनएचएआई के साथ है और 138 राज्य सड़कों और अन्य एजेंसियों के दायरे में है.
चौंकाने वाले हैं एक्सीडेंट्स में मारे गए लोगों के आंकड़े
देश में पिछले चार सालों में सड़क दुर्घटनाओं में मामूली कमी आई है. बावजूद इसके इन 4 सालों के दौरान 17,47,094 सड़क दुर्घटनाएं सामने आई हैं. इन हादसों में 5,82,157 लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं. दरअअसल, बांदा में सड़क दुर्घटना में 6 लोगों की मौत हो गई और 7 घायल हो गए. अक्सर इस तरह की खबरें हमें सुनने और देखने को मिलती हैं. इन्हीं रोड एक्सीडेंट के बारे में यूपी के कबीरनगर से बीजेपी सांसद प्रवीन कुमार निषाद ने लोकसभा में सवाल किया था. जिसके जवाब केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद के सामने साल 2017 से साल 2020 तक का आंकड़ा पेश किया.
सड़क दुर्घटनाओं में 18.46% की आई कमी
नितिन गडकरी द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 में 4,64,910 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. साल 2020 में सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई इस साल 3,66,138 रोड एक्सीडेंट हुए. वहीं, साल 2019 से तुलना की जाए तो साल 2020 में 18.46% कम एक्सीडेंट हुए. गडकरी ने बताया कि साल 2020 में हुई सड़क दुर्घटनाओं में 1,31,714 लोगों ने अपनी जान गंवाई. ये आंकड़ा साल साल 2019 के आंकड़े से 22.84% कम है.
सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट तमिलनाडु में हुए
साल 2017 से लेकर साल 2020 तक चारों साल रोड एक्सीडेंट होने के मामले में तमिलनाडु नंबर-1 राज्य रहा है. इन चार सालों में 2 लाख से ऊपर लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. वहीं, तमिलनाडु के बाद सबसे ज्यादा हादसे मध्य प्रदेश में हुए. हालांकि दोनों राज्यों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. साल 2017 में 42,542 रोड एक्सीडेंट के साथ कर्नाटक नंबर-3 पर था. लेकिन साल 2017 में चौथे नंबर पर रहने वाले उत्तर प्रदेश ने साल 2018, 2019 और 2020 में कर्नाटक को पछाड़ते हुए तीसरे नंबर पर रहा. दोनों राज्यों में तीसरे और चौथे नंबर के लिए कांटे की टक्कर रही. आखिरकार कर्नाटक बहुत ही मामूली अंतर से तीसरे पायदान पर आकर खड़ा हो गया. केरल में कुल एक्सीडेंट के मामले में पांचवे नंबर पर रहा. वहीं देश में हुए कुल 17,47,094 एक्सीडेंट में से 8,97,815 एक्सीडेंट इन्हीं 5 राज्यों में हुए.
यूपी में हुई सड़क हादसों से सबसे ज्यादा मौतें
देश के जिन 5 राज्यों में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट हुए उनमें से सिर्फ केरल ही मौत के मामले में टॉप-5 की लिस्ट से बाहर हुआ है. बाकी राज्यों ने सिर्फ अपनी जगह बदली है. महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जो रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौत के मामले में टॉप-5 में शामिल होता है. सड़क हादसों के मामले में चौथे नंबर पर रहने वाला उत्तर प्रदेश एक्सीडेंट में हुई मौत के मामले में अव्वल नंबर पर है. यूपी में 84,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. दुर्घटनाओं के मामले में महाराष्ट्र की स्थिति तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और केरल से बेहतर थी लेकिन सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के मामले में महाराष्ट्र की हालत भी खराब रही. इन 4 सालों के दौरान कुल मिलाकर लगभग 50 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं मारे गए. देश की सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं तमिलनाडु में हुईं, सबसे ज्यादा मौत के मामले में भी तमिलनाडु टॉप-5 राज्यों में तीसरे पायदान पर खड़ा है. मध्य प्रदेश रोड एक्सीडेंट में दूसरे नंबर पर था तो मौत के मामले में चौथे नंबर पर.
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सड़क दुर्घटनाओं की इस स्थिति को देखते हुए ही केंद्र सरकार काफी कदम उठा रही है. सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के जरिए सरकार जागरूकता फैला ही रही है. इसके अलावा सड़क बनाने में सड़क सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है. सीट बेल्ट रिमांइडर, चालक के साथ बैठे व्यक्ति के लिए एक एयर बैग की अनिवार्यता जैसे कई बदलाव सरकार ने किए हैं. इसके अलावा हम लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए ही सड़क पर चलना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- दुर्घटनाओं में हुई मौतों के आधार पर 786 ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है
- देश में पिछले चार सालों में सड़क दुर्घटनाओं में मामूली कमी आई है
- चार साल में हुए विभिन्न सड़क हादसों में 5,82,157 लोगों ने अपनी जान गंवाई