भले ही यूक्रेन (Ukraine) से युद्ध के बीच रूस से संबंध और व्यापारिक सौदों को लेकर अमेरिका (America) अपने अंदाज में भारत को प्रतिबंधों की बार-बार घुड़की दे रहा हो, लेकिन मोदी सरकार (Modi Government) इससे बेअसर अपने परंपरागत मित्र के साथ आगे बढ़ रही है. सच तो यह है कि रूस-यूक्रेन युद्ध भारत को एक नहीं बल्कि दो मोर्चों पर लाभ देता दिख रहा है. पहले पहल तो वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतें आसमान छू रही हैं, लेकिन प्रतिबंधों के चलते कोई रूस से तेल नहीं ले पा रहा है. इसके उलट भारत को रूस रियायती दरों पर कच्चे तेल की आपूर्ति कर रहा है. गेहूं (Wheat) रूपी दूसरे मोर्चे पर भी भारत को फायदा हो रहा है. रूस-यूक्रेन भी गेंहू के बड़े निर्यातक हैं. ऐसे में कई देश प्रतिबंधों के फेर में उलझकर अंततः भारत से गेहूं आयात करने का मन बना चुके हैं.
भारत गेहूं का इस साल कर सकता है रिकॉर्ड निर्यात
गौरतलब है कि विगत एक महीने से अधिक से युद्ध में उलझे रूस-यूक्रेन गेहूं के बड़े निर्यातक देश हैं. ऐसे में गेहूं आयात करने वाले देश प्रतिबंधों की मार के बीच फंस कर रहे गए हैं. उन्हें नए विकल्प की तलाश है, जो भारत के रूप में पूरी हो रही है. बाजार विशेषज्ञों की मानें तो रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत गेहूं निर्यात में नए रिकॉर्ड बना सकता है. भारत अप्रैल-जनवरी के बीच 60 लाख टन मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात कर चुका है. गेहूं की वैश्विक मांग को देखते हुए भारत इस वित्तीय वर्ष के अंत तक 75 से 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात कर सकता है, जो कि एक रिकॉर्ड ही होगा. भारत में मार्च के आखिरी और अप्रैल की शुरुआत में गेहूं की आवक होती है. ऐसे में गेहूं की कीमतें गिरती हैं, लेकिन इस बार कीमतें चढ़ी हुई हैं. आलम यह है कि बाजार में गेहूं की कीमतें एमएसपी से ज्यादा हो गई हैं. गेहूं का एमएसपी 2,050 रुपये है, लेकिन बाजार में इसके दाम बढ़कर 2,250 से लेकर 2,300 रुपये तक हो गए हैं. यानी भारत गेहूं का निर्यात कर अपना विदेशी मुद्रा भंडार तो भरेगा ही, साथ ही किसानों को भी जमकर फायदा होगा.
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रूस प्रति बैरल कच्चे तेल पर दे रहा 35 फीसद की छूट
लाभ का दूसरा सौदा है कच्चा तेल. अमेरिकी और मित्र देशों के प्रतिबंध की वजह से कच्चे तेल के दाम आसमान छू रहे हैं. तमाम देश इसका दंश झेल रहे हैं, लेकिन भारत का परंपरागत दोस्त रूस यहां भी भारत की मदद के लिए खड़ा है. अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच उसने रियायती दरों पर भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति का वादा किया है. रूस ने भारत को इस साल 15 मिलियन बैरल कच्चा तेल देने का फैसला लिया है. यही नहीं, प्रति बैरल 35 डॉलर का डिस्काउंट भी भारत को मिलेगा. रूस से कच्चे तेल की और मात्रा दिए जाने के भी संकेत हैं. जानकारों के मुताबिक पश्चिमी देशों की पाबंदियों के चलते रूस ज्यादा से ज्यादा तेल भारत को बेचने चाहता है, क्योंकि वह मुश्किल के दौर में है. अच्छी बात यह है कि भारत कच्चे तेल के एवज में रूस को रूबल में भुगतान करेगा. यह स्थिति भारत के लिए इस लिहाज से भी मुफीद है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार बचा रहेगा.
HIGHLIGHTS
- रूस-यूक्रेन गेहूं के बड़े निर्यातक देश, अब भारत के पास है अवसर
- कच्चे तेल के मामले में भी भारत को रूस दे रहा 35 फीसद छूट
- विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ेगा और वैश्विक मंच पर कद भी बढ़ेगा