अमेरिकी दबाव को धता बताते हुए भारत ने रूस के साथ S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का करार रद्द नहीं किया था. इसकी पहली खेप भारत को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दिसंबर दौरे पर भारत आने से पहले ही सुपुर्द कर दी गई. भारतीय वायुसेना की ओर से S-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणालियों की पंजाब में एक एयरबेस पर तैनाती फरवरी तक पूरी होने की संभावना है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक मिसाइल प्रणाली की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो गई है. तैनाती पूरी होने में और छह हफ्ते का वक्त लगेगा. मिसाइल प्रणाली की पहली रेजीमेंट की तैनाती इस तरीके से की जा रही है कि इसके दायरे में उत्तरी सेक्टर में चीन से लगी सीमा और पाकिस्तान से लगा सीमांत भी आ जाए. रूस से भारत S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की कुल पांच इकाई प्राप्त करेगा. भारत ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों के बावजूद अक्टूबर 2018 में रूस से पांच अरब डॉलर का एक सौदे किया था.
चीन को रूस नहीं देगा S-400 सिस्टम
अमेरिका के आगे रूस जैसे परंपरागत दोस्त की अनदेखी करने वाली मोदी नीति पर सवालिया निशान लगाने वालों को जानकर आश्चर्य होगा कि रूस ने चीन को मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की आपूर्ति नहीं करने का फैसला किया है. इसे चीन के खिलाफ एक हो रहे देशों के बीच भारत की जीत बतौर देखना होगा. जाहिर है बिलबिलाए चीन ने आरोप लगाया है कि एक अन्य देश के दबाव में रूस ने यह फैसला किया है. भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से जारी तनाव के बीच रूस ने फिलहाल चीन को S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति रोक दी है. बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के रूस दौरे के दौरान पुतिन सरकार ने भारत को वक़्त पर S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति देने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की थी. चीन के लिए ये बड़ा झटका इसलिए भी है क्योंकि एक तरफ रूस ने भारत से वक़्त पर आपूर्ति का वादा किया है वहीं चीन की न आपूर्ति रोकी है बल्कि यह भी नहीं बताया है कि यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम उसे फिर कब दिया जाएगा.
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रूस ने 2007 में तैनात किया था मिसाइल सिस्टम
सामरिक जानकारों के मुताबिक 1967 में रूस ने S-200 प्रणाली के रूप में मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित किया था. ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी. 1978 में S-300 को विकसित किया गया. बताते हैं कि S-400 1990 में ही विकसित की गई थी. फिर 1999 में इसका प्रशिक्षण शुरू किया गया. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहला S-400 मिसाइल सिस्टम तैनात किया, जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया. 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दिया गया. अब भारत S-400 की आपूर्ति प्राप्त होने के बाद रूस S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की बात कर रहा है.
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S-400 की ताकत
- बॉम्बर्स, जेट्स, स्पाई प्लेन्स, मिसाइलों और ड्रोन्स के अटैक को ट्रेस कर उन्हें नेस्तनाबूद करने में सक्षम
- 36 लक्ष्यों पर एक साथ निशाना साध सकता है मिसाइल डिफेंस सिस्टम
- 100 से 300 हवाई टारगेट को भांप सकता है सिस्टम
- 600 किलोमीटर दूर तक निगरानी करने की है क्षमता
- 400 किलोमीटर तक मिसाइल को मार गिराने की क्षमता
- 36 लक्ष्यों पर एक साथ निशाना लगा सकती है 30 किमी की ऊंचाई पर
- अमेरिका के सबसे आधुनिक एफ-35 को भी मार गिराने की क्षमता
- 5 मिनट के भीतर इसकी मिसाइल प्रणाली को तैनात किया जा सकता है
- S-400 एक ऐसी प्रणाली है जो बैलेस्टिक मिसाइलों से बचाव करती है
- S-400 की सुपरसोनिक और हाइपर सोनिक मिसाइलें लक्ष्य भेदने में माहिर
- माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तापमान में काम करने में सक्षम
- इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है
- वजह यह है कि इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती
HIGHLIGHTS
- एयरबेस पर तैनाती फरवरी तक पूरी होने की संभावना
- निशाने पर चीन से लगी सीमा और पाकिस्तान का सीमांत
- 2007 में रूस ने पहला मिसाइल सिस्टम तैनात किया था