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बौद्धों के गोंपा के खिलाफ शिया मुसलमान, लेह-कारगिल मार्च रद्द, क्या है मामला

स्थानीय शिया मुस्लिम बहुल संगठन कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी थी कि अगर इस मार्च को कारगिल आने से रोका नहीं गया तो हालात बिगड़ना तय है. इसके लिए कारगिल प्रशासन की जिम्मेदारी होगी.

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Keshav Kumar
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शिया मुस्लिम बहुल कारगिल में गोंपा बनाना बौद्ध समुदाय की पुरानी मांग( Photo Credit : News Nation)

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केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ( Laddakh ) के कारगिल ( Kargil) में बौद्धों के धर्म स्थल गोंपा ( Buddhist Monestry Gompa ) बनाए जाने के विरोध का मामला सरगर्म होने लगा है. शिया मुस्लिम बहुल कारगिल में एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु के नेतृत्व में गोंपा के शिलान्यास के लिए शहर की ओर निकाली गई पदयात्रा ( मार्च ) मंगलवार को कथित तौर पर भाजपा नेतृत्व के हस्तक्षेप के कारण रद्द कर दिया गया है. सांप्रदायिक तनाव के बीच चोस्कयोंग पाल्गा रिनपोछे के नेतृत्व में भिक्षुओं की पदयात्रा 31 मार्च को बौद्ध बहुल लेह से रवाना हुआ था. इस मार्च का 14 जून को कारगिल पहुंचना निर्धारित किया गया था.

शिया मुस्लिम बहुल कारगिल ( Shia Muslim-dominated Kargil) जिले में गोंपा बनाना बौद्ध समुदाय की एक बहुत पुरानी मांग है. बौद्ध धर्म स्थल गोंपा के निर्माण के लिए छह दशक से अधिक समय पहले पहचाने गए इस पवित्र जगह पर शिलान्यास (पत्थर रखने के लिए) समारोह के लिए मार्च निकाला गया था. लद्दाख के बौद्धों की सरकार से शिकायत रही है कि कारगिल में मौजूदा गोंपा काफी छोटा था और उन्हें इस पवित्र मकसद के लिए आवंटित भूमि पर एक बड़ा निर्माण करने की अनुमति नहीं दी जा रही थी. इसके बाद ही लेह से कारगिल तक लगभग डेढ़ महीने का एक मार्च निकाला गया था.

प्रशासन को दी हालत बिगड़ने की चेतावनी

इससे पहले बौद्धों के धर्मस्थल बनाने की मांग करते हुए लेह से कारगिल के लिए निकली पदयात्रा के विरोध में कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस मैदान में उतर गया था. स्थानीय शिया मुस्लिम बहुल इस संगठन ने जिला प्रशासन को चेतावनी दी थी कि अगर इस मार्च को कारगिल आने से रोका नहीं गया तो हालात बिगड़ना तय है. इसके लिए कारगिल प्रशासन की जिम्मेदारी होगी. संगठन के लोगों ने कारगिल के उपायुक्त संतोष सुखदेवे से मुलाकात के दौरान सौंपे ज्ञापन में आरोप लगाया कि बौद्धों का यह मार्च कारगिल में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश है. अलांयस ने मार्च को राजनीति से प्रेरित करार दिया है.

लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन की बातचीत

कारगिल जिले में गोंपा बनाने से जुड़ी बौद्ध समुदाय की मांग को लेकर लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन ने विरोध कर रहे कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के पदाधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. बैठक में तय किया गया था कि गोंपा बनाने के मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए जल्द दूसरी बैठक की जाएगी. गोंपा का विरोध करने वालों का कहना है कि दूसरी बैठक भी की जा रही है. इस बीच, गोंपा की मांग को लेकर बौद्ध भिक्षु पाल्गा रिनपोछे के नेतृत्व में लेह से कारगिल के लिए मार्च निकाला जा रहा है.

शिया मुसलमानों ने रुकवाया मार्च 

इस मार्च में हिस्सा लेने वाले बौद्ध समुदाय के लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही थी. कुछ दिन पहले इन लोगों ने पैदल ही फोटूला इलाके को पार कर लिया था. इसके बाद मार्च का विरोध तेज हो गया. विरोध करनेवाले शिया मुस्लिमों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. वहीं इस मामले में लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन से बातचीत के अलावा किसी तीसरे दल का हस्तक्षेप भी कबूल नहीं किए जाने का दावा किया जा रहा है. कारगिल में सांप्रदायिक हालात खराब होने से बचाने के लिए बीजेपी के दखल के बाद लेह-कारगिल मार्च अपने अंतिम दिनों में रद्द कर दिया गया है.

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क्या होता है गोंपा, पूरी जानकारी

गोम्पा, गोम्बा, गोन्पा या गोंपा बोला जाने वाला तिब्बती शैली में बने एक प्रकार के बौद्ध-मठ के भवन या भवनों के समूह को कहते हैं. तिब्बती में इसका उच्चारण दगोन पा और इसका अर्थ एकांत स्थान होता है.  तिब्बत, भूटान, नेपाल और उत्तर भारत के लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर के सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में यह कई जगहों पर बनाए गए हैं. बौद्ध भिक्षुओं की सुरक्षा के लिए मजबूत दिवारों और द्वारों से घिरे यह भवन साधना, पूजा, धार्मिक शिक्षा और भिक्षुओं के निवास के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इनका निर्माण आमतौर पर एक ज्यामितीय धार्मिक मंडल के आधार पर होता है. इसके केंद्र में महात्मा बुद्ध की मूर्ति या उन्हें दर्शाने वाली थांका चित्रकला होती है. गोंपा किसी शहर या बस्ती के पास किसी बुलंद पहाड़ या चट्टान पर बनाए जाते हैं.

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गणतंत्र दिवस की झांकी में गोंपा

साल 2018 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर हिमाचल की संस्कृति की झांकी में राजपथ पर लाहौल स्पीति के की-गोंपा को परेड में शामिल किया गया था. हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी में काजा से 12 किलोमीटर दूर और समुद्र तल से करीब 13504 फीट की ऊंचाई पर बौद्ध धर्म के प्रतीक की-गोंपा की स्थापना लामा रिंगछेन संगपो ने 13वीं शताब्दी में की थी. घाटी का यह सबसे बड़ा मठ महायान बौद्ध के जेलूपा संप्रदाय से जुड़ा है. 

HIGHLIGHTS

  • बौद्धों की शिकायत है कि कारगिल में आवंटित भूमि पर निर्माण की अनुमति नहीं
  • पाल्गा रिनपोछे के नेतृत्व में भिक्षुओं की पदयात्रा 31 मार्च को लेह से निकला था
  • गोंपा बनाने के मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए कई बैठक की जाएगी
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