Video: इमरान खान के नए पाकिस्‍तान में हिंदुओ पर अत्‍याचार, ईशनिंदा की आग में धधक रहा सिंध

पाकिस्‍तान (Pakistan) के सिंध (Sindh) प्रांत के एक स्कूल में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के प्रधानाचार्य के खिलाफ ईशनिंदा (Ishninda) का मामला दर्ज होने के बाद कई इलाकों में दंगे भड़क गये.

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Drigraj Madheshia
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Video: इमरान खान के नए पाकिस्‍तान में हिंदुओ पर अत्‍याचार, ईशनिंदा की आग में धधक रहा सिंध

ईशनिंदा के आरोप में स्‍कूल में तोड़फोड़ (Twitter)

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खास्‍ताहाल पाकिस्‍तान (Pakistan) की अर्थव्‍यवस्‍था को आक्‍सीजन देने वाला सिंध (Sindh) आज दंगों की आग में झुलस रहा है. पाकिस्‍तान (Pakistan) के सिंध (Sindh) प्रांत के एक स्कूल में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के प्रधानाचार्य के खिलाफ ईशनिंदा (Ishninda) का मामला दर्ज होने के बाद कई इलाकों में दंगे भड़क गये. एक छात्र के पिता अब्दुल अजीज राजपूत की शिकायत पर सिंध (Sindh) पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.पाकिस्‍तान की जर्नालिस्‍ट नायला Naila Inayat ने हिंदुओं पर अत्‍याचार की कुछ विडियो क्‍लिप ट्वीटर पर शेयर की है.

वहीं राजपूत का दावा है कि शिक्षक ने इस्लाम के पैगंबर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी कर कथित तौर पर ईशनिंदा (Ishninda) की है. बता दें यहां रह रही आबादी में ज्यादातर लोग हिंदू हैं. पाकिस्‍तान (Pakistan) के सबसे समृद्ध इलाकों में होने के बावजूद भी यह सबसे पिछड़ा है.सिंध (Sindh) पाकिस्‍तान (Pakistan) का वो इलाका है जहां सिंधी (Sindh) बोलने वाले लोग हैं, जो संस्कृति, रीति-रिवाज, इतिहास में पाकिस्‍तान (Pakistan) से बिल्कुल अलग पहचान रखते हैं.

पाकिस्तान ईशनिंदा के मामले

  • पाकिस्तान में इस्लाम और पैगंबर के ख़िलाफ़ ईशनिंदा करने वालों को आजीवन कैद या फिर मौत की सजा दी जाती है. लेकिन कई बार ईशनिंदा के आरोप निजी खुन्नस निकालने के लिए लगाए जाते हैं. एक बार जिस किसी पर ईशनिंदा के आरोप लग जाते हैं तो सुनवाई शुरू होने से पहले ही उस पर और उसके परिवार वालों पर हमले शुरू हो जाते हैं.
  • पाकिस्तान में बीते 30 साल से पैगंबर मोहम्मद की निंदा करने पर मौत की सज़ा का प्रावधान है लेकिन ईशनिंदा के चलते अभी तक किसी को मौत की सज़ा नहीं दी गई है.
  • पाकिस्तान के सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के मुताबिक़ अब तक पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ निंदा वाले या फिर कुरान की बेअदबी जैसे गंभीर आरोपों वाले ईशनिंदा के 1549 मामले दर्ज किए गए हैं.
  • इनमें से 75 अभियुक्तों की हत्या सुनवाई शुरू होने से पहले कर दी गई. कई अभियुक्तों की मौत पुलिस हिरासत में हुई, कुछ को भीड़ ने मार डाला.

ईशनिंदा के अभियुक्तों की संख्या

  • मुस्लिम - 720
  • अहमदिया मुस्लमान - 516
  • ईसाई - 238
  • हिन्दू - 31
  • अज्ञात - 44

दरअसल पाकिस्‍तान (Pakistan) का 70 फीसदी टैक्स सिंध (Sindh) से आता है. सिंध (Sindh) में पाकिस्‍तान (Pakistan) के प्राकृतिक गैस का 69 फीसदी उत्पादन होता है.पाकिस्‍तान (Pakistan) के 75 फीसदी कच्चे तेल का उत्पादन सिंध (Sindh) करता है फिर भी सिंध (Sindh) पाकिस्‍तान (Pakistan) के सबसे पिछड़े सूबों में से एक है. बंटवारे से पहले जब पाकिस्‍तान (Pakistan) का विचार आया था तब सिंध (Sindh) के लोगों ने 1940 में खुद ही पाकिस्‍तान (Pakistan) में शामिल होने की हामी भरी थी लेकिन 7 दशक में जिस तरह से पाकिस्‍तान (Pakistan) ने उन पर दमन किया है, उसके बाद अब वो पाकिस्‍तान (Pakistan) से अलग हो जाना चाहते हैं.

पाकिस्तान में हिंदू आबादी

  • 1951 पाकिस्तान की कुल आबादी 33,740000 / हिंदू आबादी 4352460 ( कुल हिंदू आबादी में पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश भी शामिल)
  • 1981 पाकिस्तान की कुल आबादी 84,253,644 / हिंदू आबादी 1,276,116 ( कुल हिंदू आबादी में पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश शामिल नहीं )
  • 1998 पाकिस्तान की कुल आबादी 132,352,279 / हिंदू आबादी 2,007,743
  • 2017 पाकिस्तान की कुल आबादी 207,774,520 / हिंदू आबादी का डाटा जारी नहीं
  • अलग अलग रिपोर्ट के मुताबिक़ फिलहाल पाकिस्तान में Hindu की कुल आबादी 1 .6 फीसदी यानी 33 लाख से ज़्यादा है

यहां के मुसलमानों को कहा जाता है मुहाजिर

जब भारत पाकिस्‍तान (Pakistan) का बंटवारा हुआ था तो सिंध (Sindh) का इलाका खेती के मामले में काफी मजबूत था. भारत-पाकिस्‍तान (Pakistan) बंटवारे के बाद वहां भारत से मुसलमान रहने के लिए गए जो मुहाजिर कहलाए. सिंध (Sindh) मुसलमानों के मुकाबले मुहाजिर पढ़े-लिखे थे, इसलिए वहां सरकारी नौकरियों और बिजनस पर उनका कब्जा हो गया. ऐसे में सिंध (Sindh) समुदाय के लोग खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे. पिछले कुछ समय में सिंध (Sindh) से जो पलायन हुआ है वह उन 3 प्रमुख शहरों से हुआ है, जहां मुहाजिरों की अच्छी खासी आबादी है.

कब-कब भड़का सिंध में गुस्‍सा

सिंध (Sindh) लोगों का पहला गुस्सा 1983 में पहली बार जनरल जिया उल हक के खिलाफ देखा गया था. आरोप है कि उन्होंने एक लोकप्रिय सिंध (Sindh) नेता जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटका दिया था. तब कई सिंध (Sindh) यों ने सिंध (Sindh) देश के लिए लड़ाई शुरू कर दी थी लेकिन बाहर से सपॉर्ट न मिलने के कारण यह आंदोलन दम तोड़ गया. जल्दी ही पाकिस्‍तान (Pakistan) पीपुल्स पार्टी सामने आई जिसका बेस सिंध (Sindh) में था. यह प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई जिससे स्थानीय महत्वाकांक्षाओं को जगह मिली.

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भारत-पाक बंटवारे के वक्त सिंध (Sindh) के लोगों ने खुद ही पाकिस्‍तान (Pakistan) में शामिल होने का समर्थन किया था, लेकिन बाद में पाकिस्‍तान (Pakistan) में जिस तरह से यहां के लोगों का दमन किया गया, उससे मोहभंग हो गया. सिंध (Sindh) के लोगों का आरोप है कि पाकिस्‍तान (Pakistan) खुफिया एजेंसी आईएसआई हाफिज सईद जैसे आतंकवादियों को मदद देकर इस इलाके में आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है.

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17 जनवरी 2019- सिंध (Sindh) प्रांत के लोगों ने पाकिस्‍तान (Pakistan) सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी पाकिस्‍तान (Pakistan) से सिंध (Sindh) की आजादी की मांग कर रहे थे. यह प्रदर्शन सिंध (Sindh) देश आंदोलन के संस्थापक गुलाम मुर्तजा सयद (जीएम सयद) की 115वीं जयंती के अवसर पर किया गया.

गुलाम मुर्तजा सयद (जीएम सयद) कौन थे

पाकिस्‍तान (Pakistan) बनने के बाद जीएम सयद ही वो पहले राजनीतिक शख्स थे, जिन्हें 1948 में जेल में डाल दिया गया. सयद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी. उस वक्त उन्होंने 17 मार्च 1920 को सिंध (Sindh) के अपने शहर सान में खिलाफत कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था.

सयद ने अपने जीवन के करीब 30 साल जेल और हाउस अरेस्ट के रूप में काटे. पाकिस्‍तान (Pakistan) में उन्हें यातनाएं दी गईं, क्योंकि वह सिंध (Sindh) के खिलाफ पाकिस्‍तान (Pakistan) की नीतियों के मुखर विरोधी थे. अमनेस्टी इंटरनेशनल ने उन्हें 1995 में प्रिजनर ऑफ कॉन्सेंस (prisoner of conscience) की संज्ञा दी. आखिरकार 26 अप्रैल 1995 को उनका कराची में नजरबंदी के दौरान ही निधन हो गया था.

48 साल से जारी है सिंध (Sindh) देश का आंदोलन

आंदोलन की शुरुआत तब हुई थी जब पाकिस्‍तान (Pakistan) के दो टुकड़े हुए थे. आंदोलन को शुरुआत उस शख्स ने की जिसने पहली बार ब्रिटिश इंडिया में पाकिस्‍तान (Pakistan) का प्रस्ताव पेश किया था.  1970 में जब पाश्चिमी पाकिस्‍तान (Pakistan) के सिंध (Sindh) -भाषी जी एम सैयद ने बांग्लाभाषियों पर हो रहे जुल्म का विरोध किया तो पाकिस्‍तान (Pakistan) के हुक्मरानों ने उन्हें माफ नहीं किया. उन्हें नजरबंद कर दिया.

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मौत तक वो बिना मुकद्दमे के हिरासत में ही रहे, मानवाधिकार संगठन Amnesty International ने उन्हें 'अंतरात्मा का कैदी' नाम दिया.इस कैदी की आत्मा इतनी आजाद थी कि जी एम सैयद ने 1972 में अलग सिंध (Sindh) देश का प्रस्ताव रखा. यहां 1972 से ही अलग सिंध (Sindh) देश की मांग उठ रही है.

  • आजादी का वो आंदोलन जो चार दशक से ज्यादा ज्यादा वक्त से जारी है.
  • पाकिस्‍तान (Pakistan) ने इस आंदोलन को जुल्म और संगीनों के साए तले दबा कर दुनिया से छुपाए रखा था.
  • कई बार अहिंसक आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाईं गईं और दुनिया को पता तक नहीं चला. लेकिन अब तस्वीर बदल गई है.
  • सिंध (Sindh) देश की मांग इतनी ताकत से उठी है कि ये मानने वालों की कमी नहीं कि कहीं हो ना जाए-पाकिस्‍तान (Pakistan) का तीसरा टुकड़ा.
  • आजादी के ये नारे पाकिस्‍तान (Pakistan) के मीरपुर खास में लग रहे हैं.
  • प्रदर्शनकारी पाकिस्‍तान (Pakistan) की जुल्म हुकूमत से आजादी के नारे लगा रहे थे.
  • ये लोग जिये सिंध (Sindh) कौमी महाज नाम के संगठन से जुड़े हैं.
  • प्रदर्शनकारियों ने मीरपुर खास की सड़क पर आजादी का मार्च भी निकाला.
  • जिये सिंध (Sindh) कौमी महाज के आंदोलनकारी सिंध (Sindh) बोलने वाले पाकिस्‍तान (Pakistan) के इलाके की आजादी की मांग कर रहे हैं. वो इलाका जिसे स्थानीय लोग सिंध (Sindh) देश कहते हैं.

आंदोलन की मजबूती

ये आंदोलन इतना मजबूत है कि सिंध (Sindh) देश का राष्ट्रगान तक बनाया जा चुका है. सिंध (Sindh) देश का झंडा तक तय किया जा चुका है, जो लाल रंग का है, बीच में एक सफेद गोले में काले रंग में फरसा लिए हुए एक हाथ है. इस झंडे के तले लंबे वक्त से आजादी की मांग कर रहे आंदोलनकारियों की मांग है कि पाकिस्‍तान (Pakistan) सिंध (Sindh) में जनमत संग्रह कराए ताकि हुक्मरानों को पता चल सके कि जनता क्या चाहती है.

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कश्मीर में आए दिन जनमत संग्रह का राग अलापने वाला पाकिस्‍तान (Pakistan) , सख्ती से इस मांग को दबा देता है.अक्सर निहत्थे आंदोलनकारियों की भीड़ पर चलाई जाती हैं गोलियां. जिये सिंध (Sindh) कौमी महाज के समर्थक अपने उपाध्यक्ष केहर अंसारी की सलामती की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे, लेकिन पाकिस्‍तान (Pakistan) फौज ने उनपर गोलियां चला दीं.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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