आने वाले दिनाें में अगर धरती पर सूरज चमके तो इससे आप हैरान मत होना. दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिक धरती पर एक ‘छोटे आकार का सूरज’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं और सबसे बड़ी बात इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर्स (आईटीईआर) या ‘द पाथ’ नाम की इस परियोजना में हर जगह ‘मेड इन इंडिया’ की छाप है.
क्या है खास
- यह 21वीं सदी की सबसे महंगी वैज्ञानिक परियोजना है. यानी इस परियोजना के जरिये भारत दुनिया के सबसे महंगे वैज्ञानिक प्रयास में साझेदारी कर रहा है.
- आइटीईआर का वजन लगभग 28,000 टन होगा. अगर वैज्ञानिक अपने इस प्रयोग में सफल होते हैं तो दुनिया को असीमित स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी.
- असंभव को संभव करने की कोशिशों में जुटे वैज्ञानिक इस प्रयोग के जरिए सूरज के असल ऊर्जा के स्त्रोत का पता लगाने का प्रयास करेंगे.
- भारत के अलावा अमेरिका, रूस, दक्षिण कोरिया, चीन, जापान और यूरोपीय संघ भी इस परियोजना में बराबर के साझेदार हैं.
- भारत ने इस प्रोजेक्ट में 17,500 करोड़ रुपये लगाने का वादा किया है.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हालिया फ्रांस यात्रा के दौरान इस परियोजना को लेकर फिर से सूची बनाने की बात कही थी.
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की लागत का दस प्रतिशत देकर भारत पूरी तकनीक को हासिल कर सकेगा.
- परियोजना के 2025 तक शुरू होने की उम्मीद है. वहीं, इसके तहत बिजली पैदा करने वाला पहला रिएक्टर 2040 तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा.
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना के तहत सौ से अधिक भारतीय अन्य देशों के वैज्ञानिकों के साथ मिल कर सूरज की ऊर्जा के वास्तविक स्रोत को पाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि दुनिया को असीमित स्वच्छ ऊर्जा मिल सके. रिपोर्ट की मानें तो इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भारत में ही हुआ है.
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यहां की लार्सन एंड टूब्रो कंपनी ने गुजरात में दुनिया का सबसे बड़ा रेफ्रिजरेटर तैयार किया है.आईटीईआर परियोजना से जुड़े इस विशाल रेफ्रिजरेटर की लंबाई आधे कुतुब मीनार के बराबर है जो पूरे रिएक्टर को कवर करेगा. इसके अलावा रिएक्टर से जुड़े कई अहम हिस्से भी भारत ने ही तैयार किए हैं.
भारत ने दिया सबसे बड़ा रेफ्रिजरेटर
- भारत ने इस प्रोजेक्ट के लिए दुनिया का सबसे बड़ा रेफ्रिजरेटर उपलब्ध कराया है.
- इस रेफ्रिजरेटर में ही यह विशेष रिएक्टर है.
- इस रेफ्रिजरेटर को गुजरात में लार्सन एंड टूब्रो द्वारा तैयार किया गया है और इसका वजन 3,800 टन है और इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार की ऊंचाई के लगभग आधी है.
- आइटीईआर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. टिम लूस के मुताबिक, भारत मूल्यवान साझेदार है.
- भारत ने क्रायोस्टेट जैसे अहम उपकरण तैयार किए हैं, जो शायद दुनिया का सबसे बड़ा थर्मो बोतल है.
कौन कौन देश साझेदार है
- इस प्रोजेक्ट को अमेरिका, रूस, दक्षिण कोरिया, चीन, जापान, यूरोपीय संघ और भारत बराबर की साझेदारी के साथ संयुक्त रूप से तैयार कर रहे हैं.
- इस प्रोजेक्ट से जुड़े देशों की आबादी दुनिया की आधी आबादी और 85 फीसद जीडीपी के बराबर है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो