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तबलीगी जमात और हिंसा एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं : मौलाना साद

'मैं अपनी अंतिम सांस के स्थान के रूप में एक मस्जिद, सर्वशक्तिमान के घर को चुनूंगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं लोगों को मस्जिद में इकट्ठा होने और वहां मरने के लिए आमंत्रित कर रहा हूं.'

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Nihar Saxena
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Tablighi Jamaat Leader Maulana Saad

'धर्मगुरु के तौर पर धार्मिक पाठ के लिए जन-जन को शिक्षित करूंगा'( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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सुन्नी मुस्लिम धर्म प्रचारक संगठन तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के प्रमुख मौलाना साद कंधालवी मार्च महीने में धारा-144 लगने के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीग के वैश्विक मरकज (Nijamuddin Markaz) में एक बड़ा धार्मिक आयोजन करने के बाद विवादों में हैं. साद व मरकज से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने कई कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. मामले की जांच दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा द्वारा की जा रही है. घातक कोरोना वायरस (Corona Virus) को फैलाने में मरकज की भूमिका जांच के घेरे में है. करीब 150 देशों में फैले तबलीगी जमात की स्थापना साद के दादा मुहम्मद इलियास कंधालवी ने 1926-27 में की थी. तबलीगी जमात ने अपने 92 साल के सफर में कभी मीडिया से संवाद नहीं किया और कहा जा सकता है कि तबलीग प्रमुख का किसी भी मीडिया संस्थान को दिया गया यह पहला साक्षात्कार है. मौलाना साद (Maulana Saad) का यह साक्षात्कार उनके वकील फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से लिया गया है. इसमें साद ने तबलीगी जमात की गतिविधियों को पाक साफ बताया है और कहा है कि संगठन का किसी भी तरह की हिंसा या गैर कानूनी कार्यों में कोई हाथ नहीं रहा है.

मरकज मुद्दे की खबर सार्वजनिक होने के बाद आप पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि आप कानून प्रवर्तन एजेंसियों से छिपे हुए हैं और 28 मार्च से उनसे बच रहे हैं और यही कारण है कि अपराध शाखा ने आपके खिलाफ एक नई धारा-304 जोड़ी है?

यह कहना गलत है कि मैं किसी से छुपा हूं. अपने डॉक्टरों की सलाह के अनुसार, मैं दिल्ली में क्वारंटीन था. कानून प्रवर्तन एजेंसियां इससे पूरी तरह अवगत हैं. यही कारण है कि इस अवधि के दौरान भी आईओ से दो नोटिस दिए गए हैं और उन्हें पहले से ही जवाब भी दे दिया गया है. आईओ ने मुझे कोविड-19 का टेस्ट कराने के लिए भी कहा, जो प्रक्रिया में है और इसका परिणाम जल्द ही आ जाएगा. मेरे बेटे की उपस्थिति में मेरे घर में भी खोजबीन की गई, जो क्वारंटीन नहीं है. अगर मैं छुपा होता तो यह कैसे होता?

क्या यह सच है कि मरकज ने स्थानीय पुलिस स्टेशनों और एसडीएम को बताया था कि जनता कर्फ्यू और फिर राष्ट्रव्यापी बंद लागू होने के कारण लोग 23 मार्च से परिसर में ही फंस गए थे?

हां, 24 मार्च को मरकज से छह लोगों की एक टीम एसएचओ से मिलने हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन गई थी, ताकि उन्हें मरकज की स्थिति के बारे में बताया जा सके. साथ ही आगे के मार्गदर्शन के बारे में पूछा जा सके, क्योंकि मरकज में दिल्ली के बाहर से भी लोग थे और उन्हें उनके मूल राज्यों में वापस भेजना था. बाद में स्थिति का विवरण देने के लिए एक पत्र अधिकारियों को प्रस्तुत किया गया था. स्थानीय अधिकारियों को मरकज में होने वाले कार्यक्रमों से अवगत कराया जाता है. मरकज में किसी के भी आने और देखने के लिए सब कुछ खुला है. हमारे प्रवचनों में भाग लेने के लिए लोगों का स्वागत होता है.

क्या यह प्रशासन की शिथिलता है कि उन्होंने मरकज के लोगों को नहीं हटाया और फिर मरकज को ही दोषी ठहराया गया?

हम किसी को दोष नहीं देना चाहते, क्योंकि यह एक अभूतपूर्व स्थिति है. न तो हमें और न ही अधिकारियों को इस तरह की स्थिति में उठाए जाने वाले कदमों के बारे में पूरी जानकारी थी. हमने प्रतिभागियों (मरकज कार्यक्रम में भाग लेने वाले) को घर वापस भेजे जाने की अनुमति के लिए प्रशासन से बार-बार अनुरोध किया, ताकि मरकज को खाली किया जा सके, लेकिन उनकी सहमति नहीं मिली. यह बात रिकॉर्ड में है. हमने अपने स्वयं के परिवहन की भी व्यवस्था की और एसडीएम के साथ जानकारी साझा की, लेकिन अनुमति नहीं दी गई. स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्थिति का पता लगाने के लिए केवल 25 मार्च को मरकज का दौरा किया और फिर दैनिक तौर पर आए. अगर यह कदम पहले उठाया जाता, तो स्थिति को काफी बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था.

मरकज की गतिविधियों और इसकी भूमिका पर संदेह जताया गया है. क्या आप संगठन की गतिविधियों के बारे में बता सकते हैं?

मरकज तबलीग का विश्व मुख्यालय है, जो विशुद्ध रूप से सामाजिक-धार्मिक आंदोलन है. हमारा दुनिया भर में किसी भी राजनीतिक समूह के साथ गठबंधन नहीं है और हम किसी भी सरकारी या निजी उद्यम से भी नहीं जुड़े हैं. यह काम 1926 से चल रहा है और पूरी तरह से मुस्लिम समुदाय पर केंद्रित है. यह मुसलमानों के नैतिक पतन की प्रतिक्रिया के रूप में शुरू हुआ और संगठन मुस्लिमों की आध्यात्मिक शिक्षा और उनमें सुधार चाहता है, ताकि मुसलमान ईमानदारी और उच्च नैतिक चरित्र का जीवन जी सकें. मरकज में दुनिया भर से प्रतिभागी धर्म की मूल बातों के बारे में जानने और उन्हें अमल में लाने के लिए आते हैं. यह शायद दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सुधार आंदोलन है. मरकज किसी भी प्रचार या मान्यता में विश्वास नहीं रखता है. हमारा काम मनुष्य की आत्मा को शुद्ध करने के लिए समर्पित है और हम केवल अल्लाह से ही अपना इनाम चाहते हैं.

एक ऑडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें आप कथित रूप से कहते सुनाई दे रहे हैं कि अगर आपको मरना है तो इसके लिए सबसे अच्छी जगह एक मस्जिद है. इसके कारण कई तबलीगी मस्जिदों में छिप गए..

हां, उस ऑडियो क्लिप को एक लंबे प्रवचन से निकाला गया है जिसे मैंने कुछ सप्ताह पहले दिया था. एक धर्मगुरु के तौर पर धार्मिक पाठ के लिए जन-जन को शिक्षित करना मेरा कर्तव्य है. अब जब महामारी और उसके विनाशकारी प्रभाव मानव जाति पर दिखाई दे रहे हैं, तो इस्लाम उसी से निपटने के लिए सुरक्षा और उपाय उपलब्ध करा रहा है. अगर मुझे मरना है, तो मैं अपनी अंतिम सांस के स्थान के रूप में एक मस्जिद, सर्वशक्तिमान के घर को चुनूंगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं लोगों को मस्जिद में इकट्ठा होने और वहां मरने के लिए आमंत्रित कर रहा हूं. उसी संदेश में मैंने यह भी कहा था कि हमें स्वास्थ्यकर्मियों और सरकार की सलाह माननी चाहिए जो महमारी के खिलाफ पूरा प्रयास कर रहे हैं. मैंने सुना है कि मीडिया संस्थानों ने संदर्भ को उपेक्षित कर दिया और मनचाहा मतलब निकाल लिया.

स्वास्थ्य आपातकाल और निषेधात्मक आदेशों की घोषणा के बावजूद मरकज ने 13 से 15 मार्च तक विवादास्पद रूप से कार्यक्रम क्यों किया?

मरकज में तो किसी भी दिन 2,000 से अधिक लोग होते हैं, जो भारत और विदेशों से आते हैं. वे अपनी पूर्व-निर्धारित योजनाओं व यात्रा टिकटों के साथ आते हैं. अगर हमें मरकज को खाली करने या कार्यक्रम को समाप्त करने के लिए अधिकारियों से कोई आदेश मिला होता, तो हमने तुरंत ऐसा किया होता. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से एक दिन पहले हमने 23 मार्च को मरकज की सभी गतिविधि बंद कर दी थी.

ऐसे दस्तावेज सार्वजनिक हुए हैं जो तबलीगी जमात के विश्व स्तर पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की बात कर रहे हैं. इस पर आपका क्या कहना है?

सबसे पहली बात तो यह सवाल ही सही नहीं है और दूसरा आप हमारी सुरक्षा एजेंसियों की क्षमता पर संदेह कर रहे हैं. हमारा लगभग 100 साल का इतिहास है और दुनिया भर की एजेंसियां जानती हैं कि हम क्या काम कर रहे हैं. एक आंदोलन जिसमें लाखों अनुयायी हैं, एजेंसियों की जांच के बिना खुद को व्यवस्थित नहीं कर सकता है. अगर हमारा आतंकवाद से कोई भी लेना-देना होता तो अधिकारी त्वरित जांच करते. तबलीग और हिंसा एक-दूसरे के विपरीत हैं. हमारा संदेश मानवता से हमदर्दी है.

फिर जमात ने जानबूझकर या अनजाने में जमात को निशाना बनाने ऐसे पत्रों और लेखों का खंडन क्यों नहीं किया?

इतिहास उठाकर देखें तो हमने कभी भी मीडिया के साथ संपर्क नहीं किया है और हम किसी भी प्रचार की तलाश में नहीं रहते. यही कारण है कि मुस्लिम समुदाय के बाहर के अधिकांश लोग हमारे काम से परिचित नहीं हैं. हम प्रकाशित या संप्रेषित किए जाने का समर्थन नहीं करते हैं और न ही हमने कभी आलोचना का जवाब दिया है. हमने हमेशा एजेंसियों के साथ सहयोग किया है जब भी उन्होंने किसी भी सहायता के लिए कहा है तो हमारा दृष्टिकोण हमेशा मुद्दों से निपटने का रहा है. लेखक और टिप्पणीकार अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन मेरा मानना है कि इतिहास उदारतापूर्वक समाज के नैतिक उत्थान के लिए हमारे योगदान को स्वीकार करेगा.

आप खुद को जांच के लिए पुलिस के सामने कब पेश करेंगे?

मैंने क्राइम ब्रांच को पहले ही पत्र भेज दिया है कि मैं इस मामले की जांच में उनका पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हूं.

Source : IANS

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