भुखमरी की कगार पर खड़ा अफगानिस्तान की तालिबान सरकार पैसे के लिए हाथ-पैर मार रहा है. आर्थिक संकट से घिरे तालिबान ने अब विदेशों में जमा अरबों डॉलर को जारी करने के लिए दबाव बना रही है. अफगानिस्तान ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोप के अन्य केंद्रीय बैंकों के पास विदेशों में अरबों डॉलर की संपत्ति जमा की है, लेकिन अगस्त महीने में तालिबान राज कायम होने के बाद अब इस पैसे को फ्रीज कर दिया गया है. तालिबान शासन आने के बाद पूरा देश नकदी की कमी, बड़े पैमाने पर भुखमरी और नए प्रवास संकट से जूझ रहा है. यहां की स्थिति बिगड़ने के बाद अधिकांश लोग दूसरे देशों में शरण लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
यह भी पढ़ें : तालिबान किसे सौंपेगा बगराम एयरबेस, अफगानिस्तान में बढ़ा चीन का दखल
वित्त मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान सरकार महिलाओं की शिक्षा सहित मानवाधिकारों का सम्मान करेगी. उन्होंने मानवीय सहायता को लेकर कुछ पैसे की मांग की है. प्रवक्ता ने कहा कि उन्होंने केवल छोटी राहत के लिए पेशकश की है. 1996-2001 तक तालिबान शासन के तहत महिलाओं को बड़े पैमाने पर बाहर जाकर नौकरी करने और शिक्षा से वंचित कर दिया गया था. बाहर निकलने के दौरान महिलाओं को आम तौर पर मजबूरन अपने चेहरे को ढंकना पड़ता था. जबकि इस दौरान जब वह बाहर निकलती थीं तो उनके साथ एक पुरुष रिश्तेदार होता था.
मंत्रालय के प्रवक्ता अहमद वली हकमल ने रायटर को बताया कि विदेशों में जमा पैसा अफगान देश का है. बस हमें अपना पैसा चाहिए, इस पैसे को फ्रीज करना पूरी तरह अनैतिक है और सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मूल्यों के खिलाफ है. सेंट्रल बैंक के एक शीर्ष अधिकारी ने आर्थिक पतन से बचने के लिए जर्मनी सहित यूरोपीय देशों से अपने भंडार का हिस्सा जारी करने का आह्वान किया है ताकि बड़े पैमाने पर यूरोप की ओर जाने पर रोक लगाई जा सके.
पैसे नहीं मिलने पर पड़ेगा यूरोप पर असर
अफगान सेंट्रल बैंक के बोर्ड के सदस्य शाह महराबी ने रॉयटर्स को बताया, "स्थिति बेहद निराशाजनक है और देश में नकदी की मात्रा लगातार घट रही है. यही स्थिति रही तो देश में साल के अंत तक स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी. महराबी ने कहा, अगर अफगानिस्तान को यह पैसे नहीं मिले तो इसका असर यूरोप पर पड़ेगा और इससे यूरोप सबसे बुरी तरह प्रभावित होगा. लोगों की आर्थिक स्थिति कहीं से भी अच्छी नहीं है और लोग संकट में है. ऐसे में उन्हें यूरोप में शरण लेने के सिवाय कोई विकल्प नहीं होगा.
वित्त मंत्रालय ने कहा, नहीं मिल रहा है कोई आर्थिक मदद
वित्त मंत्रालय ने कहा, अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना और कई मदद करने वाले अंतरराष्ट्रीय देश भी उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं दे रहे हैं.वित्त मंत्रालय ने कहा कि उसके पास लगभग 400 मिलियन अफगानियों (4.4 मिलियन डॉलर) का दैनिक टैक्स है. हालांकि पश्चिमी ताकतें अफगानिस्तान में मानवीय आपदा को टालना चाहती हैं, लेकिन उन्होंने तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने से इनकार कर दिया है. मेहराबी को उम्मीद है कि यूरोपीय देश आर्थिक संकट से उबारने के लिए उन्हें मदद पहुंचाएंगे. हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका ने लगभग 9 बिलियन डॉलर के अपने शेयर के हिस्से को जारी नहीं करने का निर्णय लिया था.
भंडारन जमा रहने से देश में भुखमरी की समस्या
मेहराबी ने कहा कि जर्मनी के पास आधा अरब डॉलर का अफगान धन है और उसे तथा अन्य यूरोपीय देशों को उन फंड्स को जारी करना चाहिए. महराबी ने कहा कि अफगानिस्तान को स्थानीय मुद्रा और कीमतों को स्थिर रखने के लिए हर महीने 150 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होती है. महराबी ने कहा, अगर यह भंडार जमा रहता है, तो अफगान आयातक अपने शिपमेंट के लिए भुगतान नहीं कर पाएंगे और ऐसे में बैंकों का पतन शुरू हो जाएगा. जिससे देश में भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी.
किया दावा- इन बैंकों के पास हैं इतने पैसे
उन्होंने कहा कि लगभग 431 मिलियन डॉलर जर्मन ऋणदाता कॉमर्स बैंक के पास है, साथ ही जर्मनी के केंद्रीय बैंक बुंडेसबैंक के पास लगभग 94 मिलियन डॉलर है.
बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स, स्विट्जरलैंड में वैश्विक केंद्रीय बैंकों के लिए एक छत्र समूह के पास लगभग 660 मिलियन डॉलर है. हालांकि इसे लेकर बैंकों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. गौरतलब है कि अगस्त महीने में अफगानिस्तान सरकार को सत्ता से हटाकर तालिबान ने अपना शासन कायम कर लिया था. देश में लगभग 20 साल बाद तालिबान शासन की सत्ता में वापसी हुई.
HIGHLIGHTS
- तालिबान ने विदेशों में जमा अरबों डॉलर जारी करने का बनाया दबाव
- तालिबान राज कायम होने के बाद अब इस पैसे को फ्रीज कर दिया गया
- पूरे देश में है नकदी की कमी, दाने-दाने को तरस रहे हैं देश के लोग