मणिपुर में म्यांमार सीमा के पास घात लगाकर किए हमले में एक कर्नल, उनकी पत्नी और उनके आठ वर्षीय बेटे सहित पांच सैनिकों की मौत से कई सवाल उठने शुरू हो गए हैं. इस हमले के बाद भारत के पूर्वोत्तर इलाके में विद्रोहियों के लिए चीन के संभावित समर्थन देने को लेकर फिर से वापस फोकस में ला दिया है. खुफिया सूत्रों की मानें तो इस साजिश के पीछे चीन का हाथ हो सकता है. चीन पर नजर रखने वालों और सुरक्षा अधिकारियों ने रविवार को कहा कि सीमा पर तनाव के बीच क्षेत्र में संकट पैदा हो गया है. यह पहली बार नहीं है जब विद्रोही समूहों के साथ चीनी संबंध जांच के दायरे में आए हैं.
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विद्रोही गुटों और बीजिंग की भागीदारी के बारे में प्रश्न पहले भी अक्टूबर 2020 उठाए जा चुके हैं जब चीन की सरकारी मीडिया ने भारत को ताइवान के साथ एक व्यापार समझौते के खिलाफ चेतावनी दी थी जिसमें कहा गया था कि बीजिंग पूर्वोत्तर अलगाववादियों का समर्थन करके जवाबी कार्रवाई कर सकता है और सिक्किम को भारत के हिस्से के रूप में मान्यता देना बंद कर सकता है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पूर्वोत्तर में गुपचुप तरीके से चीन उग्रवाद को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है. मणिपुर सहित पूर्वोत्तर में विद्रोही संगठनों के म्यांमार में अराकान आर्मी और यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी जैसे सशस्त्र समूहों के साथ संबंध हैं, जहां से चीन अपने हथियार के जरिये पूर्वोत्तर में अपना रास्ता तलाश रहा है.
चीन दे रहा है समर्थन
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चीन ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के कमांडर परेश बरुआ और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (आईएम) के फुंटिंग शिमरंग सहित विद्रोही नेताओं को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान की है, जो चीन के साथ म्यांमार सीमा के पार युन्नान प्रांत के रुइली में रहते हैं. द रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) के एक समूह जिसके तहत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी मणिपुर संचालित होती है, ने मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट के साथ संयुक्त रूप से हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन कहा कि उसे काफिले में परिवार के सदस्यों की मौजूदगी के बारे में पता नहीं था.
चीन और उग्रवादी संगठनों के बीच सांठगांठ
2017 में असम राइफल्स का नेतृत्व करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल शौकिन चौहान (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हो सकता है कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति की पृष्ठभूमि में पीएलए मणिपुर और अन्य समान विचारधारा वाले समूहों के साथ अपने संबंध फिर से स्थापित कर लिए हों. उन्होंने कहा, यह हमला पूर्वोत्तर में तबाही मचाने और सुरक्षा बलों को उलझाने के लिए किया गया होगा. यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब पूर्वोत्तर में सुरक्षा की स्थिति में सेना के आकलन में काफी सुधार हुआ था और वहां सैनिकों की योजनाबद्ध और धीरे-धीरे वापसी लौटने की प्रक्रिया चल रही थी. पूर्व उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त), जिन्होंने 2009-10 में मणिपुर में लीमाखोंग-मुख्यालय 57 माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली थी, ने कहा कि चीन ने पहले हस्तक्षेप नहीं किया था, लेकिन एलएसी पर तनाव के बीच चीजें बदल सकती हैं क्योंकि पूर्वोत्तर में विद्रोही समूहों के चीनी संबंध हैं.
पूर्वोत्तर के उग्रवादियों का चीनी हथियार तक पहुंच
वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हुए और पूर्वोत्तर के पहले सेना अधिकारी रहे लेफ्टिनेंट जनरल कोन्सम हिमालय सिंह ने कहा, भारत और चीन ने सीमा के दोनों ओर सैन्य गतिविधियों में वृद्धि, बुनियादी ढांचे के विकास, निगरानी और युद्धाभ्यास के चलते एलएसी पर अपनी स्थिति सख्त कर ली है. दोनों पक्षों की सेना 18 महीने से अधिक समय से सीमा रेखा पर तैनात है. एलएसी पर स्थिति को देखते हुए, चीन द्वारा भारत पर दबाव बनाने के लिए पूर्वोत्तर में युद्ध के एक अलग रूप को छेड़ने का प्रयास करने की संभावना हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा, विद्रोही समूहों के पास चीनी निर्मित हथियारों तक पहुंच है और कुछ स्वयंभू कमांडर चीन में रह रहे हैं, लेकिन इन समूहों को चीनी समर्थन का सटीक पैमाना स्थापित करना कठिन है. अधिकारियों ने कहा कि ताजा हमला भी उग्रवादियों द्वारा अपनी प्रासंगिकता को फिर से स्थापित करने का एक प्रयास है, जब हिंसक घटनाएं कम हुई हैं. फिलहाल सुरक्षा बलों ने घात लगाकर हमला करने वाले विद्रोहियों के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है.
20 उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर में सक्रिय
चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच केंद्र सरकार और केंद्रीय एजेंसियों ने पूर्वोत्तर के उग्रवादी गुटों पर फोकस पहले से ही बढ़ाया चुका है. इस समय करीब 20 उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर में सक्रिय हैं. हालांकि खुफिया एजेंसियों को पहले से आशंका थी कि चीन की मदद से उग्रवादी संगठन नए सिरे से गतिविधि शुरू कर सकते हैं.
हमले में सात लोगों की गई थी जान
सशस्त्र आतंकवादियों ने शनिवार को मणिपुर के चुराचंदपुर जिले में असम राइफल्स के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था. यह हमला उस समय किया गया था जब 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी और उनकी त्वरित प्रतिक्रिया टीम बेहियांग सीमा चौकी से लौट रहे थे और खुगा में बटालियन मुख्यालय की ओर जा रहे थे. आतंकियों के इस हमले में कर्नल त्रिपाठी के अलावा उनकी पत्नी 36 वर्षीय पत्नी अनुजा और पांच वर्षीय बेटे अबीर की भी मौत हो गई थी. त्रिपाठी परिवार छत्तीसगढ़ के रायगढ़ का रहने वाला था. इस पूरे हमले में 7 लोगों की जान चली गई.
HIGHLIGHTS
- इस साजिश के पीछे हो सकता है चीन का हाथ
- सीमा पर तनाव के बीच ड्रैगन करवा सकता है और भी हमले
- विद्रोही समूहों के साथ चीनी संबंध जांच के दायरे में